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मुन्नी तो बदनाम होगी ही

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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‘मुन्नी बदनाम हुई’ जिस धरती पर मां सीता ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा दी हो, वहां पर मुन्नी बदनाम नहीं होगी, तो क्या मुन्ना बदनाम होगा? मुन्नी ने घर की चौखट लांघ पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के देश में पुरुषवादी सोच को चुनौती देने का प्रयास किया तो मुन्नी बदनाम हो गई. कहते है बात निकलती है, तो दूर तक जाती है, पर यहां पर दूर तक तो क्या सतयुग से कलयुग तक सदियां गुजरती गई और बात गहराती गई. सिर्फ ‘मैं भगवान राम नहीं, सीता को घर में रख लूं’ ऐसी निकली कि आज भी हजारोंलाखों, करोड़ों मुन्नियां अपनी बेगुनाही साबित न कर पाने के फेर में घरों से निकाली जा रही है. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जिस काल, जिस जगह पर किसी मुन्नी ने इस सोच को चुनौती दी, उसको सदा-सदा के लिए चुप करा दिया गया. हद तो इस बात की है कि जहां नारी को जगत जननी का दर्जा प्राप्त है, वहां पर मुन्नी की बदनामी को रोकने के लिए आज तक ठोस प्रयास नहीं हुए है. हां मुन्नी बदनाम न होती अगर सीता की जगह पर श्रीराम ने अग्निपरीक्षा दी होती या यमराज ने सत्यवान की जगह सावित्री के प्राण हर लिए होते. क्योंकि धार्मिक परम्पराओं की बैसाखियों पर जीवन निवर्हन करने वाले समाज में अपने आराध्य के आचरण को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, उसी समाज के महा पोंगा पंथियों के शैतानी दिमाग ने ऐसे चक्रव्यूह की रचना की है, जिसको तोडऩा आज की नारी के बस में नहीं है, और सच मानिए जिस दिन इस चक्रव्यूह को तोडऩे में सक्षम नारी इस धरती पर अवतरित होगी, उसी दिन से मुन्नी ही नहीं मुन्ना भी बदनाम हो सकता है.

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