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मन में मनमुटाव न हो

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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आखिर वह दिन आ ही गए, जिनका इंतजार था, मेहमान आने शुरू हो गए है, हर तरफ खुशी का माहौल है, हमारे घर में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। बिलकुल ठीक उसी जैसे किसी के घर में बारात आने वाली है। इस समय सभी को मतभेद भुलाकर उत्साह के साथ गेम्स को यादगार बनाने की सफल कोशिश करनी चाहिए। जबकि सच तो यह है कि हमारे मतभेद इतनी गहराई लिए हुए है, कि उनको कभी नहीं भरा जा सकता, पर कुछ दिनों के लिए तो उन पर प्यार का पुल बनाया जा सकता है। गेम्स के आयोजन में जो भी कमियां है, उनकी जिम्मेदारी किसी एक की नहीं है, बल्कि वह हम सबकी सामूहिक है। क्योंकि हर वो शख्स जो इस आयोजन से जुड़ा है, वह अपनी हैसियत के अनुसार इन कमियों का जिम्मेदार है, चाहे वह मंत्री हो, अधिकारी हो या फिर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। इसके साथ ही हमारी मीडिया ने भी अपने फटे चिथडो को जगजाहिर करने में कोई कमी नहीं छोडी। जबकि कहा या माना जाता है कि मीडिया के पास ब्रह्मास्त्र होता है हर काम को बेहतर करवाने के लिए, सभी मीडिया से डरते है, तो फिर मीडिया ने देश के हित में आयोजन समिति पर इसका प्रयोग क्यों नहीं किया। अब मेहमानों के सामने अपने को फटेहाल दिखा कर हम क्या हासिल करना चाहते है। भारत का गौरवशाली इतिहास इस बात का गवाह है कि भारतीयों ने संकट की घडी में बेहतर प्रदर्शन करते हुए हर क्षेत्र में ऊंचाईयों को छूकर कृतिमान स्थापित किये है। दुनिया भी जानती है भारतीय दुःखी हो सकते है, पर हार नहीं मान सकते। आयोजन समिति के क्रिया-कलापों से हर भारतीय दुःखी है, पर अब रोने का समय नहीं, बल्कि अपने आंसू साफ कर चेहरे पर बनावटी मुस्कान के साथ अपने मेहमानों का स्वागत करने का है और अपने से वादा करे कि मेहमानों की विदाई तक हमारे मन में कोई मनमुटाव न हो।

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