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वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला।
सदा तुमने ऐब देखा, हुनर तो न देखा।
हजार बातों की एक सीधी बात. सर जी को अपने ऊपर उठी हर ऊंगली (आरोप) का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. क्योंकि अन्ना आंदोलन के दौरान राजनीति को भ्रष् टाचारमुक्त और आदर्श स्थापित करने के लिए सर जी को अपार जनसमर्थन मिला था. तात्कालिक दौर में दुनिया ने भारत को करवट लेते हुए देखा था. एक भ्रष्टाचारयुक्त समाज को करवट दिलाने की क्रांति के महानायक सर अरविंद केजरीवाल ही थे, आज उन पर आरोप लग रहे है, तो यह चिंता का विषय है. चिंता उनकी भी है जो क्रांति के दौर में सर जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे. लाइव टेलीकास्ट में सिर्फ केजरीवाल की एक झलक भर से युवा जोश-खरोश से भर उठते थे. सर जी ने भी माना था कि गंदगी को साफ करने के लिए गंदगी में उतरना ही पड़ता है. तब ऐसे में गंदगी अपने ऊपर ही लग जाए तो उसको साफ करना जरूरी होता है. कपिल मिश्रा के आरोपों पर जवाब देने की जरूरत ही क्या है. मिश्रा इतने ही सच्चे थे, तो उन्होंने तब तक क्यों इंतजार किया, जब तक सर जी ने उनको मंत्रिमंडल से बाहर नहीं किया. जब दुनिया आपकी दुश्मन हो तो अपना दुश्मन भी शेर बन जाता है. हो सकता है कि मिश्रा की कारगुजारियों को देखते हुए सर जी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया और इसी खुन्नस में मिश्रा जी ने उठा लिया बगावत का झंडा. तब ऐसे में सर जी को अपने ऊपर लगे हर आरोप का मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी हो जाता है. ताकि भविष्य में कोई यूं ही किसी पर आरोप लगाने से पहले हजार बार सोचे. फिर सवाल मिश्रा जी के आरोपों का नहीं, मायूस हताश आप के समर्थकों के साथ-साथ दुनिया की उन नजरों का है, जिन्होंने अन्ना क्रांति के दौर में भारत को करवट लेते हुए देखा था.
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