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क्यों बनाते है जख्म को नासूर ?

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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आज हमको किस से खतरा है? यह लाख टके का सवाल है, जिसने हरेक को परेशान कर रखा है। यह सत्य है कि अब तक की आतंकी घटनाओं के अधिकांश दोषी एक ही कौम के है। लेकिन यह भी सत्य है कि आज फिजाओं में गूंजती मोहम्मद रफी की सुरीली व मीठी आवाज दिल को सुकून देती है, सुनहरे पर्दे के तीन सुपर स्टार आमिर, शाहरूख, सलमान लाखों-करोड़ों के दिल पर राज करते है। हमारी गौरवशाली परम्परा के प्रतीक त्यौहार दशहरा, दीपावली या होली के प्रवाह को निरंतर जारी रखने और बेमिसाल तरीके से मनाने के लिए अपने दिन-रात एक करते गरीबी में जीवन-यापन करने वाले इंसान भी इसी कौम के है। दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल भी इसी कौम के वाशिंदों के प्यार की निशानी है और जिसके दीदार करने के लिए विदेशी बार-बार नहीं, तो एक बार जरूर भारत आना चाहते है। इसी कौम में एक नहीं अनेक नाम मिल जायेगें जो हमारी बेमिसाल संस्कृति के संवाहक बन कर उसको और सर्वोत्तम बना रहे है. फिर ऐसे में एक कौम को कैसे और क्यों बदनाम किया जा रहा है। और तो और भारत की आजादी के लिए कंधे से कंधा मिलाकर कामयाब लडाई में सहभागिता भी इसी कौम ने ही निभाई थी। मेरी समझ में यह नहीं आता है कि जरा सी बात आज के स्वार्थी हो चुके इंसानों की समझ में क्यों नहीं आती है कि हम सबसे पहले इंसान है हिन्दू-मुस्लिम बाद में और उससे भी पहले है सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा। दूसरी बात इतना सब कुछ हर हिन्दुस्तानी जानता है फिर भी वह नेताओं के बहकावे में आता जाता है, वह क्यों नहीं समझ पाता इनकी कुटिल नीतियों को, इनकी करतूत तो उसी दिन जाहिर हो गई थी जब महात्मा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद जिन्ना की महत्वाकांक्षाओं को महत्व देते हुए भारत-पाक बंटवारे को स्वीकार कर लिया। क्योंकि महात्मा गांधी जी को यह डर सता रहा था कि अगर उन्होंने बंटवारा स्वीकार नहीं किया तो कत्लेआम होगा। लेकिन वह यह भूल गए कि इन महत्वाकांक्षियों की नीयत में ही खोट है। अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल गांधी जी ने कर दी बंटवारा स्वीकार करके। कल्तेआम तो होना ही था, अगर वह बंटवारा स्वीकार न करते तब भी। लेकिन अगर वह बंटवारा स्वीकार न करते तो कम से कम आज भारत-पाकिस्तान अलग-अलग न होकर हिन्दुस्तान ही रहता। बस उस एक पल की खता आज के हिंदू और मुस्लिम दोनों ही भुगत रहे है। वह कहते है कि पलों ने की खता, सदियों ने सजा पाई, कुछ ऐसा ही उस समय हुआ। इस समय हमारी सरकार और नेताओं को महात्मा गांधी के समय में हुई गलती को नहीं दोहराना चाहिए, आज दृढ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है, अखंड भारत की बात करने वालों को सिर्फ लालकिले पर ही नहीं बल्कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को संपूर्ण भारत के हर आतंकवादी घटना बहुल क्षेत्रों में तिरंगा लहराना होगा, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो हम फिर उसी राह पर चलते हुए एक नहीं कई भूभागों को आतंकियों के हवाले कर देंगे, जिस राह पर गांधी जी ने इस देश के इंसानों को छोड़ दिया था। साथ ही हर भारतीय को समझना होगा फूट डालो-राज करो की नीति के पोषक इन स्वार्थी नेताओं को जवाब देने का समय आ गया है। आज पूरा भारत इन भ्रष्ट, स्वार्थी, सत्ता-लोलुप नेताओं से त्रस्त है। हमें पहचानना होगा कि हमको असली खतरा किसी कौम से नहीं, बल्कि इन नेताओं से है, जो मामूली से जख्म को नासूर बनाने में माहिर हो चुके है। यह भारतवासियों का दुर्भाग्य है, जिनको इस आतंक के खिलाफ सकारात्मक प्रयास करने चाहिए, वह आतंक का नामकरण करने में मशगूल है, जैसे लाल आतंक, भगवा आतंक, तालिबानी आतंक या मुस्लिम आतंक। कभी-कभी लगता है कि यह नेता तो नहीं सुधरने वाले, तब ऐसे में जरूरी हो गया है कि हर भारतीय को जागना होगा और इन नेताओं के खिलाफ लडना होगा कंधे से कंधा मिलाकर अपनी गौरवशाली परम्पराओं और अपने सारे जहां से अच्छे हिन्दुस्तां को बचाने के लिए।

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