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सादर प्रणाम,
मुझे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी जागरण जंक्शन पर आकर ही मिली. 2010 में जागरण जंक्शन पर आयोजित संपादकीय ब्लॉग स्टार कांटेस्ट में भाग लेने के लिए अपना ब्लॉग बनाया। मेरे पहली ब्लॉग पोस्ट जिंदगी की भागम-भाग पर आदरणीय श्री आर.एन. शाही की प्रथम प्रतिक्रिया ने मेरे अंदर उत्साह का संचार कर दिया। उसके बाद तो 1 अक्टूबर 2010 से 31 दिसंबर 2010 तक कांटेस्ट अवधि की समाप्ति तक इसी उत्साह के साथ लिखता रहा कि कहीं मैं पीछे न छूट रह जाऊ। सांध्य 2011 में कांटेस्ट के विजेता प्रतिभागियों की घोषणा हुई। जिसमें मुझे कांटेस्ट में प्रथम स्थान मिला था। यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी थी। यूं तो लिखने का थोड़ा-बहुत शौक था। कभी-कभार कुछ लाइन लिखकर साथियों को दिखाता और पढ़ाता रहता था। लेकिन कभी कहीं पर प्रकाशन योग्य कुछ नहीं लिख पाया था। मुझे लगता था, कैसे लोग इतनी बड़ी बातें को आसानी से लिख लेते है। कभी मैं भी लिख सकूंगा। लेकिन उस समय मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। क्योंकि मेरी सोच और मेरे शब्दों को जागरण जंक्शन ने सफलता के मुकाम पर पहुंचा दिया था। मेरा मानना है कि कोई भी हमको अपने सपनों को साकार करने का रास्ता दिखा सकता है, पर उस पर चलना तो खुद ही पड़ता है। जागरण जंक्शन ने मेरे सपनों को साकार करने का रास्ता दिखाया और मैं भी अपने छुटपुट प्रयासों के सहारे पर धीरे-धीरे चलता रहा। मुझको कभी भी जागरण जंक्शन से कोई शिकायत नहीं रही। यह अलग बात है कि कभी-कभार किसी पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते वक्त समस्या जरूर आ जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप किसी-किसी पोस्ट पर प्रतिक्रिया चाह कर भी नहीं दी जा सकती।
आजकल जागरण जंक्शन पर नए मेहमान आ रहे है, जो बहुत अच्छा लिखते है। मुझे उम्मीद है कि मैं भी उन्हीं की तरह लिख सकूं। अब इससे ज्यादा क्या कह सकता हूं कि जागरण जंक्शन ने आईनेक्स्ट के देहरादून एडीशन के लेआउट आर्टिस्ट के सपनों को साकार करने में जो भूमिका निभाई, वह कभी न भुलाने वाली बात है। वो लम्हें तो कभी नहीं लौटेगे, लेकिन उन लम्हों की मीठी यादें जिंदगी में हमेशा मिठास घोलती रहती है, और जिंदगी को खुशनुमा बनाती रहेगी।
आपका प्यार और स्नेह यूँ ही मुझ पर बना रहे इस विश्वास के साथ अभी बस इतना ही. मुझे अपना अमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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