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जियो और जीने दो- पेड़ की पुकार

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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save-the-environment-f4आज विश्व पर्यावरण दिवस है, दुनिया भर में पर्यावरण को बचाने की मुहिम चल रही है. लेकिन क्‍या यह सच नहीं है कि विकास के नाम पर हमको बेदर्दी से काटा, उखाड़ा जा रहा है. मेरी आपसे एक ही गुजारिश है कि मुझे भी जीने दो, मैं जिंदा रहा तो आप भी सुकून से रहेंगे, अगर मैं ही नहीं रहा तो फिर आप कैसे जिंदा रहोगे. सब कुछ जानते-समझते हुए भी मुझ पर कुठाराघात क्यों? किसी भी डे को सेलिब्रेट करना जितना आसान है, उतना ही कठिन उस पर अमल करना. सिर्फ एक बार सोचिए मुझको उखाड़ कर क्या आप पर्यावरण को बचा पाएंगे. मैं आज तक भी आपको समझ नहीं पाया हूं, एक ओर कहते हो कि पेड बचाओ, पेड ही हमारी जिंदगी है, तो वही दूसरी ओर अपनी सुख-सुविधाओं के लिए हम पर ही आरियां चलवा रहे हो, आरियां तो आरियं हमको तो जड सहित उखाड दिया जाता है. फिर रोते हो कि हाय पेड होता तो कम से कम ताजी हवा तो मिलती, धूप से बचाव तो करता. अभी भी वक्‍त है, मुझ पर नहीं, तो अपने पर ही रहम करो, वरना वह दिन दूर नहीं जब मैं सिर्फ इतिहास के पन्‍नों में दर्ज होकर रह जाउंगा. आप खुद तो हाइवे पर व्‍यवस्थित होकर चलते नहीं, और सडक कम चौडी होने का बहाना बनाकर हमे अपने रास्‍ते से हटवा देते हो. हे मानव, संभल जाओ, वरना बहुत पछताना पडेगा. बाकी क्‍या कह सकता हूं बस इतना जानता हूं, मारने वाले से बचाने वाला बडा होता है. इसलिए खुद भी जियो और मुझे भी जीने दो.

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