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प्यार क्या है? आपने मेरे लेख को पढ़ने के लिए समय निकाला, यह प्यार है। आपने अपने दोस्त से पूछा क्या बात है बहुत परेशान दिख रहे हो, यह प्यार है। आपने अपने घर पर कहा परेशान मत होना, आज वापस लौटने में देर हो सकती है, यह प्यार है। आपने मां-पिताजी को पूछा कि आपकी तबियत कैसी है, यह प्यार है। लेकिन लोगों का क्या कर सकते है, वह एक गाना भी है न, कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, बस इन्हीं लोगों ने प्यार जैसे सुखद अहसास को नहीं छोडा और इसको जोड दिया उन युवाओं से जो असल में प्यार का मतलब भी नहीं समझते। और फिर जो प्यार का मतलब ही नहीं समझते, वह प्यार को कैसे संभाल सकते है, और फिर हो जाते है बदनाम, और प्यार जैसे खूबसूरत व अद्भुत अहसास पर भी बदनामी का दाग लगा देते है। प्यार को महसूस करना और निभाना हरेक इंसान के बस में नहीं होता। आप किसी वस्तु को तो संभाल कर रख सकते हो, क्योंकि वह साकार रूप में आपके सामने मौजूद है। कोई खुशबू को कैद कर सकता है, नहीं। बस प्यार भी खुशबू की तरह ही होता है। जिसको महसूस करने लिए आपको अपनी सोच, अपना व्यवहार बेहतर करने की जरूरत होती है। जिसके पास बेहतर सोच होती है, वह न तो खुद बदनाम होता है और न ही अपनों को कभी बदनाम होने देता है और न ही वह प्यार पर कभी बदनामी का दाग लगाता है। क्योंकि वह अपने साथ-साथ अपनों की भी चिंता करता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई किसी के प्यार में आकर अपने घर-परिवार को भी छोड़ देता है और कहता है कि मैंने यह सब अपने प्यार को पाने के लिए किया है। तो उससे बडा बेवकूफ कोई और नहीं, क्योंकि वह प्यार का मतलब नहीं जानता, वह स्वार्थी तो हो सकता है, पर उसमें प्यार की कोई भावना नहीं होती है। क्योंकि प्यार कभी बगावत करने की प्रेरणा नहीं देता है। प्यार हमेशा आपस में मिलने की प्रेरणा तो सकता है, पर कभी अलग होने की नहीं। आप खुद ही सोचिए जब कभी कोई अपना रूठ जाएं तो अपना हाल कितना बुरा हो जाता है, उसको मनाने के लिए हम क्या नहीं करते। असल में उसको मनाने की प्रेरणा हमको प्यार ही देता है। समझ नहीं आता इतनी छोटी सी बात लोगों की समझ में क्यों नहीं आती है कि प्यार जोडने का काम करता है न कि तोडने का। खामखवाह प्यार को बदनाम करते रहते है। चलिए, खैर कोई बात नहीं। आपने प्यार से इस लेख को पढा, थोडा गुस्सा भी आ रहा होगा, यह क्या लिख दिया। कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। पर असल में यही तो प्यार है, जहां डर जैसी कोई बात नहीं है, मन में जो विचार आए आपको बता दिए। अगर आपको अच्छा लगा तो ठीक बात, नहीं तो खुद तो सुधारने की कोशिश की जाएगी, ताकि अगली बार जब आप प्यार से मेरा लेख पढने के लिए अपना बहुमूल्य समय निकाले तो आपको गुस्सा न आए।
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