Harish Bhatt
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तेरे हुस्न के चर्चे
गूंजा करते थे
गली-गली
ऐसे ही
एक दिन
न जाने
क्या हो गया
मुझको तुमसे
प्यार हो गया
बस फिर क्या
खोए रहते
तेरी चाहत में
वक्त कहां रूकता है
वक्त के साथ-साथ
मेरी खामोशी
बन गई
मेरी दुश्मन
मैं न जान पाया
तुम्हारी हकीकत
हवा में बहती आवाजें
मुझे दगा दे गई
और
तेरी योग्यता के चर्चे
गलियों से निकल
पहुंच गए
सफलता के फलक पर
अब पता चला
जो सुना
वो था गलत
सबने देखा
चेहरा तुम्हारा
न परखा
दिल किसी ने
यही पर
धोखा हो गया
तुम पहुंच गई
मंजिल पर
और
हम खड़े रहे गए.
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