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नेता का सरकारी झपट्टा..

हस्तक्षेप..
हस्तक्षेप..
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एक नेता बहुत ही परेशान था, उसके साथ के कई नेता चारा, सडक, डामर, पनडुब्बी, तोप, प्रोविडेंड फंड, रिश्वत खा कर, और ईमान, धर्म, देश, न्याय, सुरक्षा बेच कर बहुत मोटे हो गये थे. नेता चूंकि खेल संघ का अध्यक्ष भी था लेकिन फिर भी कुछ नही कर पा रहा था क्यों कि जो कमाई चारा, डामर, पनडुब्बी, तोपो मे थी वो कमाई खेलो मे नही हो पाती थी. लेकिन नेता जी अंदर से बहुत घाघ थे, वो जानते थे कि अभी ना सही कभी तो रजिया गुंडो मे फंसेगी. सो एक दिन उसे पता चला कि पुराने गुलाम देशो का एक संगठन है और उसके लिये खेलो का आयोजन होना है. तुरंत ही कार्र्वाई करते हुए उसने एक बजट बनाया और उसमे बताया की मामूली से खर्चे मे देश को बहुत सम्मान मिलेगा. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के नाम कि दुंदुभी बजेगी. नेता के प्रोपोजल पर खेलो के आयोजन के लिये सहमति व्यक्त कर दी गयी. नेता समझ गया कि बस अब यही मौका है, रजिया गुंडो की ओर आने लगी है. फंसा तो मै लूंगा ही. तो नेता ने योजना तैयार करनी शुरु कर दी. खेलो की तैयारी के लिये ७ साल का समय था. नेता के लिये ये जरूरी था कि खेलो के होने तक उसकी कुर्सी की ओर कोई आंख ना उठाये. और ये भी आवश्यक था कि काम हो या न हो लेकिन दिखना जरूर चाहिये. तो राजधानी मे तैयारियां शुरु हो गयी. ५ साल बीत गये, राजधानी मे कुछ भी नही बदला. एक दिन जनता को अचानक पता चला कि दो साल बाद राजधानी मे खेल होने वाले हैं. लेकिन तैयारी कुछ नही है. नेता ने सरकार को झिंझोड दिया और कुछ अपने जैसे नेताओ को साईड मे ले जा कर कान मे कुछ कहा. वो नेता भी सकते मे दिखे. कुछ दिन और बीत गये, एक दिन राजाज्ञा निकली कि लोगो पर एक अतिरिक्त कर लगाया जायेगा क्यों कि खेल होने हैं, जनता की समझ मे नही आया, लेकिन जनता ने कुछ नही कहा, उसने चुपचाप अतिरिक्त कर का बोझ अपने सर पर ले लिया. एक दिन लोग सुबह उठे तो देखा बडी बडी मशीने सडको को खोद रही हैं, खेलो की जगह तैयारियां चल रही थी, स्टेडियम बनाये जा रहे थे, पुल बनाये जा रहे थे. लोग बडे परेशान थे, कोई आफिस को देर से जा पा रहा था और कोई घर देर से आ पा रहा था. जब लोगो ने शिकायत की तो उनको कहा कि ये सब प्रगति के लिये है, और उनको सहयोग देना चाहिये. लोग नेता की बातो मे आ गये, उनको देश की प्रगति दिखाई दी. नेता को भी प्रगति दिखायी दे रही थी लेकिन कुछ जल्दबाजी मे नेता से कुछ गलतियां हो गई, नेता ने कुछ लोगो की प्रगति की ओर ध्यान नही दिया जिसके कारण वो लोग नेता से नाराज हो गये. और जनता को नेता की चतुरता का पता चल गया. नेता की पार्टी के बडे अधिकारी बडे परेशान थे कि क्या किया जाये, उन्होने एक उपाय निकाला, कुछ लोगो को बर्खास्त कर दिया गया और ज्यादा बडे नेता को आगे कर दिया, जिसने तुरंत ही अपने रिमोट कंट्रोल मे आये सिग्नल को देख कर कहा कि किसी को नही छोडा जायेगा, लेकिन खेल हो जाने दो, एक दूसरे नेता ने कहा कि अगर कोई खेल को नही देखेगा तो वो देश द्रोही होगा. जनता ने जब ये सुना तो समझ नही सकी, क्यों कि वो पिछले ७ सालो से वैसे ही काम करती चली आ रही थी जैसे वो उसके पहले के ६० सालो से कर रही थी. उसे समझ नही आया कि वो देश द्रोही क्यों है. जनता ने तो पैसे समय पर दे दिये थे, समस्या भी बिना शिकायत किये झेल ली थी, अब ये खेलो को क्यों झेले..?
उस देश मे कुछ लोग भावुक थे, उनसे चुप नही रहा गया, उन्होने नेता और घोटाले के खिलाफ कमर कस ली और खेलो को झेलने से मना कर दिया. स्वर बढने लगे, लोग जुडने लगे, नेता और परेशान हो गया. उसे समझ नही आया तो उसने फिर से अपना ब्रह्मास्त्र निकाला और कहा कि देश के सम्मान के लिये खेलो को सफल बनाओ. जनता पशोपेश मे है कि नेता कि पोल खोले या फिर देश को देखे. नेता देश का सम्मान गिरवी रख चुका है और जनता से आह्वान कर रहा है कि उस गिरवी रखे सम्मान को बचा ले. जनता भोली है, वो उलझन मे है कि क्या करे. लेकिन नेता और उसकी प्रजाति ने पिछ्ले कई सालो से जनता को लूटा है, नेता को कैसे छोड दिया जाये? खेल तो हो चुका है, नेता उसका स्वर्ण पदक भी जीत चुका है.? जनता भी देख चुकी है कि नेता जैसा खिलाडी कोई नही है.? तो फिर अब किसे देखने जायें..?
और वो नेता जो पदक झपट कर भाग चुका है उसे कैसे पकड कर वापस लाया जाये.. ये नेता का सरकारी झपट्टा है, नेता इतनी आसानी से हाथ नही आयेगा. जनता जानती है.
लेकिन इस बार नेता को नही भागने देना है, इस खेल के नियमो को बदलना होगा, इस खेल के स्थान को बदलना होगा, इस खेल के निर्णायको को बदलना होगा. और इस खेल के परिणाम को बदलना होगा..
आप सभी लोगो का सहयोग अपेक्षित है.. कृपया इस नेता को और उसके ऐसे खेलो को बंद करने कि मुहिम मे साथ दीजिये.. इस मुहिम मे साथी बनने के लिये फेसबुक मे कामनवेल्थ झेल को सब्सक्राईब करें..
आपके साथ की अपेक्षा मे..

किशोर बडथ्वाल.  (http://hastakshep.wordpress.com/)

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