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हास्य कविताओं (Hasya Kavita) के इस संग्रह में हमने कई कवियों की शानदार कविताओं को आप लोगों तक पहुंचाया है और आज भी हम एक ऐसी कविता आप लोगों तक लेकर आ रहे हैं जो आज के परिपेक्ष्य पर कटाक्ष हैं. हिन्दी हास्य कविताओं (Hasya Kavita) को कवि भारती पंडित ने अपनी हंसिकाओं के माध्यम से पाठकों तक रखा है.
यह कविता आधुनिक पति और पत्नी के रिश्तों को दर्शाती है और उनकी घरेलू बातों को हास्य के माध्यम से हमारे सामने लाती है. साथ ही यह कविता हमारी बिगडती सभ्यता पर भी एक प्रहार है.
श्रीमती जी
श्रीमती जी ने इन दिनों
स्वच्छता सप्ताह मनाया है
शुभारंभ के तौ र पर
पति की जेब को अपनाया है।
नारी स्वतंत्रता को
पुरुष ने खूब भुनाया।
अपनी नौकरी उन्हें दी
उनकी पगार को अपनाया।
जैसे ही पतिदेव ने
ओवर टाइम का मन बनाया।
पत्नी ने की घर की सफाई और
बर्तनों का ढेर उन्हें थमाया।
आजकल की आधुनिकता का
क्या गजब अंदाज है
मरती जा रही है सभ्यता
बेहूदगी का राज है।
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