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हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की रचनाएं आप लोगों को बेहद पसंद आई है इसलिए हम एक बार फिर हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा की कुछ हास्य रचनाएं आप तक लेकर आएं हैं. सुरेंद्र शर्मा ने एक पुत्र और पिता के बीच के वार्तालाप में शादी के संदर्भ की बात को हास्य के रस में डुबो कर परोसा है. शादी और सर्वे से ना जानें सुरेंद्र शर्मा जी को क्या समझ आया पर जो उन्होंने समझाया उससे हमको बड़ा मजा आया. आप भी आनंद लीजिए सुरेंद्र शर्मा की हास्य रचना का.
पिताजी ने बेटे को बुलाया पास में बिठाया,
बोले आज राज की मैं बात ये बताऊंगा।
शादी तो है बरबादी मत करवाना बेटे,
तुमको किसी तरह मैं शादी से बचाऊंगा।
बेटा मुस्कुराया बोला ठीक फरमाया डैड,
मौका मिल गया तो मैं भी फर्ज ये निभाऊंगा।
शादी मत करवाना तुम कभी जिन्दगी में,
मैं भी अपने बच्चों को यही समझाऊंगा।
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एक नए अखबार वाले सर्वे कर रहे थे
मैंने कहा मैं भी खूब अखबार लेता हूं
जागरण, भास्कर, केसरी ओ हरिभूमि
हिन्दी हो या अंगरेजी सबका सच्चा क्रेता हूं
पत्रकार बोला इतनों को कैसे पढ़ते हैं
मैंने कहा ये भी बात साफ कर देता हूं
पढ़ने का तो कोइ भी प्रश्न ही नहीं है साब
मैं कबाड़ी हूं पुराने तोलकर लेता हूं
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