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काका हाथरसी की हास्य रचनाओं को इस मंच पर विशेष महत्व दिया गया और पाठकों ने काका हाथरसी की रचनाओं को बहुत पसंद किया है. हास्य रचनाएं न सिर्फ हमारे चेहरे पर मुस्कान की लहर पैदा करती हैं बल्कि यह हमारे दिल में भी खुशहाली बनाए रखती हैं.
हास्य रचनाओं के इस अनोखे संग्रह में हर रचना कुछ इस तरह की होती है जो आपकी मुस्कान को बनाए रखे. काका हाथरसी की हास्य कविताओं को चुटकियां कहा जाता है. छोटे-छोटे पंक्तियों में उन्होंने समाज के कई हिस्सों और सामाजिक प्रणालियों पर प्रहार किया है.
नेता जी
नेता अखरोट से बोले किसमिस लाल
हुज़ूर हल कीजिये मेरा एक सवाल
मेरा एक सवाल, समझ में बात न भरती
मुर्ग़ी अंडे के ऊपर क्यों बैठा करती
नेता ने कहा, प्रबंध शीघ्र ही करवा देंगे
मुर्ग़ी के कमरे में एक कुर्सी डलवा देंगे.
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मोटी पत्नी / काका हाथरसी
ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल
किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल
लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा
आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा
कहँ ‘काका’ कविराय, खाय वह ठूँसमठूँसा
यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा.
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