Menu
blogid : 4683 postid : 611

मोटी पत्नी और भ्रष्टाचार का अचार (Hasya kavita in Hindi)

Hasya Kavita
Hasya Kavita
  • 272 Posts
  • 172 Comments

ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल

किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल

लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा

आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा

कहँ ‘ काका ‘ कविराय , खाय वह ठूँसमठूँसा

यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा

****************************************

अनुशासनहीनताऔर भ्रष्टाचार

बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर
जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना

********************************

भ्रष्टाचार

राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर
‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला
कहँ ‘काका’ कवि, करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले – भागो, खत्म हो गया आटा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh