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आजकल बिजनेसमैन लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी होती है लेपटॉप. यह लेपटॉप अच्छे भली जिंदगी की ऐसी तेसी कर देता है. शादी शुदा महिलाओं के लिए यह किसी सौतन से कम नहीं है. ऐसी ही हमारी एक मित्र हैं श्रीमति खन्ना. उनके पतिदेव को कंपनी ने एक लैपटॉप क्या दे दिया उसे वह अपने सौतन मान बैठी हैं. आखिर ऐसा क्यूं है चलिए जानें:
हास्य कविता : कभी सौतन कभी सहेली
लेपटोप क्या आया घर में,जैसे सौत आ गयी मेरी
दिन भर साथ लिए फिरते हो,करते रहते छेड़ा छेड़ी
एक ज़माना था जब मेरी,आँखों में दुनिया दिखती थी
कलम हाथ में थाम उंगलियाँ,प्यारे प्रेमपत्र लिखती थी
अब तो लेपटोप परदे पर,नज़रें रहती गढ़ी तुम्हारी
छेड़ छाड़ ‘की पेड’बटन से,उंगली करती रहे तुम्हारी
अब मुझको तुम ना सहलाते,अब तुम सहलाते हो कर्सर
लेपटोप को गोदी में ले,बैठे ही रहते हो अक्सर
कभी कभी तो उसके संग ही , लेटे काम किया करते हो
‘मेल’ भेजते,’चेटिंग’,’ट्विटीग’ ,सुबहो- शाम किया करते हो
रोज ‘फेस बुक’ पर तुम जाने किस किस के चेहरे हो ताको
और खोल कर के’ विंडो ‘को,जाने कहाँ कहाँ तुम झांको
कंप्यूटर था,तो दूरी थी,ये तो मुआ रहे है चिपका
करते रहते ‘याहू याहू’,फोटो देखो हो किस किस का
मेरे लिए जरा ना टाइम ,दिन है सूना,रात अँधेरी
लेपटोप क्या आया घर में,जैसे सौत आ गयी मेरी
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