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अशोक चक्रधर हिन्दी साहित्य के एक जाने-माने हास्य कवि हैं. उनकी अधिकतर रचनाएं हास्य रस में डूबी हुई होती हैं. खुर्जा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले अशोक चक्रधर हिन्दी साहित्य का विशेष ज्ञान रखते हैं. इनकी ही एक रचना आज हम लेकर आए हैं.
‘ससुर जी उवाच’ में अशोक चक्रधर ने एक प्रेमी की मंशा और समस्या का हाल अपने कविता के जरिये दिया.
आप भी मजा लें इस ससुर और दामाद की वार्ता का.
ससुर जी उवाच
डरते झिझकते
सहमते सकुचाते
हम अपने होने वाले
ससुर जी के पास आए,
बहुत कुछ कहना चाहते थे
पर कुछ
बोल ही नहीं पाए।
वे धीरज बँधाते हुए बोले-
बोलो!
अरे, मुँह तो खोलो।
हमने कहा-
जी. . . जी
जी ऐसा है
वे बोले-
कैसा है?
हमने कहा-
जी. . .जी ह़म
हम आपकी लड़की का
हाथ माँगने आए हैं।
वे बोले
अच्छा!
हाथ माँगने आए हैं!
मुझे उम्मीद नहीं थी
कि तू ऐसा कहेगा,
अरे मूरख!
माँगना ही था
तो पूरी लड़की माँगता
सिर्फ़ हाथ का क्या करेगा?
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