- 272 Posts
- 172 Comments
हास्य कविता
वैलेंटाइन डे आने वाला है और इसी के साथ साहित्यकारों की एक फौज वैलेंटाइन डे के खिलाफ अपना मोर्चा खोल चुकी है. इन्हीं में से एक लेखक की कविता आज हाजिर है जो देश में नैतिकता के पतन पर एक व्यंगात्मक टिप्पणी कर रहे हैं.
आजकल की लड़कियों का फैशन देख किसी को समझ ही नहीं आता है कि आखिर यह हो क्या रहा है? मंगलसूत्र और सिंदूर को लड़कियां टेंशन का नाम देती हैं तो साड़ियां सिर्फ अलमारी में पड़ी पडी कभी कभार ही निकल पाती हैं.
सर पे सिंदूर का “फैशन” नही है,
गले मे मंगलसूत्र का “टेंशन” नही है!
माथे पे बिंदी लगने मे शर्म लगती है,
तरह तरह की लिपस्टिक अब होंठो पे सजती है!
आँखो मे काजल और मस्कारा लगाती हैं,
नकली पलकों से आँखो को खूब सजाती हैं!
मूख ऐसा रंग लेती हैं की दूर से चमकता है,
प्रफ्यूम इतना तेज की मीलों से महकता है!
बालो की “स्टाइल” जाने कैसी -कैसी हो गयी,
वो बलखाती लंबी चोटी ना जाने कहाँ खो गयी!
और परिधान तो ऐसे “डिज़ाइन” मे आये हैं,
कम से कम पहनना इन्हे खूब भाये है!
आज अंग प्रदर्शन करना मजबूरी सी लगती है,
सोचती है इसी मे इनकी खूबसूरती झलकती है
पर आज भी जब कोई भारतीय परिधान पहनती है,
सच बताऊं सभी की आँखे उस पे ही अटकती है!
सादगी, भोलापन और शर्म ही भारतीय स्त्री की पहचान है,
मत त्यागो इन्हें यही हमारे देश का स्वाभिमान है..
Read Comments