Hasya Kavita
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हास्य कविताओं के इस संग्रह में इस बार आपकी हंसी को बढ़ाने आ रहे हैं अशोक चक्रधर. प्याज का दाम किस तरह आम जनता की जेब में कड़वाहट फैलाता है इसको आप अशोक चक्रधर की हास्य फुलझड़ी को पढ़ने के दौरान जान जाएंगे.
प्याज एकम प्याज
प्याज एकम प्याज।
प्याज दूनी दिन दूनी
कीमत इसकी दिन दूनी।
प्याज तीया कुछ ना कीया,
रोई जनता कुछ ना कीया।
प्याज चौके खाली
सबके चौके खाली।
प्याज पंजे गर्दन कस
पंजे इसके गर्दन कस।
प्याज छक्के छूटे
सबके छक्के छूटे।
प्याज सत्ते सत्ता कांपी
इस चुनाव में सत्ता कांपी।
प्याज़ अट्ठे कट्टम अट्ठे
ख़ाली बोरे ख़ाली कट्टे
प्याज निम्मा किसका जिम्मा
किसका जिम्मा किसका जिम्मा
प्याज धाम बढ़ गए दाम,
बढ़ गए दाम बढ़ गए दाम।
जिस प्याज को हम समझते थे मामूली
उससे बहुत पीछे छूट गए सेब, संतरा, बैंगन, मूली.
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