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जिंदगी के सफर को अकेले काट पाना बहुत मुश्किल होता है. जिदंगी के सफर में आगे जाने के लिए पत्नी का सहारा लेना ही पड़ता है. लेकिन यह बीवी कुछ पतियों के लिए गले की ऐसी फांस होती है जिसे ना वो बाहर निकाल पाते हैं ना ही अंदर निगल पाते हैं. ऐसे ही एक कवि महोदय ने अपनी व्यथा एक हास्य कविता के द्वारा निकाली है. डा.राजेंद्र तेला”निरंतर” नामक कवि की इस रचना को पढ़ना बेहद मनोरंजक है. आप भी पढ़िए और अगर शादी-शुदा हैं तो अपनी हालत को कविता में उपस्थित पति की हालत से मेल करके देखिएं.
टीवी या बीवी
मेरा दोस्त
हंसमुख बोला मुझसे
यार निरंतर
टीवी और बीबी में
ज्यादा फर्क नहीं होता
दोनों के बिना
आदमी का काम
नहीं चलता
मैंने जवाब दिया
अरे मूर्ख
काम तो वाकई नहीं
चल सकता
पर टीवी को बंद किया
जा सकता
मन मर्जी चैनल देखा
जा सकता
एक्सचेंज में
नया टीवी लिया जा
सकता
बीबी का निरंतर
शिकायत वाला
चैनल ही होता
किसी हाल में
बंद नहीं करा जा
सकता
हर आदमी
एक्सचेंज तो करना
चाहता
पर बदले में नयी बीबी
कोई नहीं देता
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