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2011 की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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2011 की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज
बीते साल की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज क्या थी। इस प्रष्न पर भिन्न-भिन्न लोगों की भिन्न- भिन्न राय हो सकती है। अमेरिका के लिए ओसामा का मारा जाना ब्रेकिंग न्यूज हो सकता है। तो भारत के लिए अन्ना का भ्रष्टाचार के विरूद्ध बड़ा आन्दोलन खड़ा करना। पाकिस्तान के लिए जरदारी का तख्तापलट रोकने के लिए अमेरिकी गुहार। लेकिन मेरे लिए बीते साल की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज रही मनमोहन सिंह का गिलानी को षांति पुरूड्ढ की संज्ञा देना।

मनमोहन सिंह के इस धमाका के आगेे दिग्गिराजा के सारे धमाके फीके पड़ गये । मनमोहन सिह ने गिलानी के षांति पुरूड्ढ का अवॉर्ड देकर उनके सारे गिलवे सिकवे दूर कर दिए। वहीं गिलानी कृतज्ञता में यह कहने पर मजबूर हो गए कि जल्दी हीं वह इसका णिं सीमा पार से भारी गोलीबारी करवा कर चुकता कर देगें।
मनमोहन सिंह ने लोगों के इस सवाल का धमाकेदार जवाब दिया कि वे कोमल हैं पर कमजोर नहीं । आवष्यकता पड़ने पर वे भी वाजपेयी की तरह इतिहास रच सकते हैं। क्योंकि इतिहास रचने का अधिकार केवल व्यक्ति विषेड्ढ या पाटी विषेड्ढ को नहीं है। मनमोहन ने गिलानी को षांतिपुरूष कहकर विरोधियों को यह भी बता दिया कि वे वाजपेयी एवं इंदिरा गांधी से कहीं अधिक परिपक्व राजनेता हैं। क्योंकि उनकी तरह वे मदहोसी का इंजेक्षन नहीं लगाना जानत थेे।
हालांकि सूत्रों के अनुसार मनमोहन सिंह का दर्द भी उनके इस कथन में झलका। जो कम बोलता है वह जब बोलता है तो धमाका करता है। विषेड्ढज्ञों की नजर में उनका यह कथन दबाव से निकलने की एक तरकीब हो सकती है। वे विरोधियों के दबाव से इतना दब गए थे कि उन्हें यह बताना जरूरी हो गया था कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में ख्वाब देखने की स्वतंत्रता है। वे केवल रबर स्टंप प्रधानमंत्री नहीं है। उन्होंने आकाषवाणी करके लोगों को यह याद दिलाया कि कभी-कभी हीं सही सोनियां गांधी स्वयं विदेषी दौरे के दौरान उन्हें विदायी दे चुकी हैं। अतः सोनियां के दबाव की बात कहना हवाहवाई से ज्यादा कुछ नहीं है। वे कार्य करने में पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
हालांकि विरोधी पार्टियों का कहना है कि गठबंधन दल के नेता अपने कार्यव्यवहार द्वारा प्रधानमंत्री पद का अवमूल्यन कर रहे थे और उनके पार्टी के नेता भी उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे थे। इसका परिणाम यह हुआ कि उनका गुस्सा गिलानी को षांतिपुरूड्ढ कहकर फुट पड़ा। अधिक दबाव का नतीजा था कि प्रधानमंत्री को ऑपरेषन भड़ास विदेषी धरती पर करना पड़ा। क्योंकि वहां न तो ममता थी और न मैडम हीं।
कुछ लोग के अनुसार प्रधानमंत्री अपने दुख को कभी-कभी इन षब्दों में भी व्यक्त करते हैं। क्या मुझे इतिहास रचने का अधिकार नहीं है। मुझे लोकपाल पर क्यों नहीं आगे बढ़ने दिया जा रहा था यह बात तो समझ में आती है। लेकिन पाकिस्तान से संबंध बढ़ाने पर देष में हाय तौबा मचाना मेरे समझ से परे है। भला मै कोई गोलीबारी थोड़ी कर रहा था जो पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ जाता। पाकिस्तानी नेताओं को गाली देने से क्या समस्या का हल निकल पाएगा। बाप रे बाप कुछ नहीं कहने पर तो वे इतनी गोलीबारी करवाते हैं। कुछ कह देने पर तो वे परमाणु बम हीं फेंक देंगे। मनमोहन सिंह का यह भी कहना है कि यह तो सामान्य समझ का व्यक्ति भी समझ सकता है। जो काम प्रेम से करवाया जा सकता है वह लड़-झगड़कर तो कतई नहीं करवाया जा सकता है। मैंने कोई नया काम थोड़े किया। वैसे भी इस देष में षांति जाप की षाष्वत परंपरा रही है। अबतक का सुपरहिट षांति मंत्र रहा है हिन्द-चीन भाई-भाई। जो अबतक बहुत हीं फलदायी रहा है। वे चाहते हैं कि इस देष में षांति जाप की परंपरा कायम रहे। क्योंकि आदिकाल से हमारा राष्ट परंपरा प्रधान रहा है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि विदेषी धरती मनमोहन अपने को स्वतंत्र महसूस करते हैं। बाहर उन्हें मैडम से भय वाली बात नहीं होती। इसलिए वे कभी- कभीे ऐसा बोल जाते हैं जो ऐतिहासिक की श्रेणी में आता है।
कुछ लोगों का कहना है कि मनमोहन सिंह एक सोची-समझी रणनीति के तहत यह कदम उठाए थे। मोस्ट फेवरेस्ट नेषन का दर्जा पाकिस्तान की ओर से नहीं मिलने के बाद वे एक सोची-समझी नीति के तहत यह वक्तव्य दिए। दरअसल प्रधानमंत्री की योजना गिलानी को मदहोसी का इंजेक्षन लगाने से था। क्योंकि वे जानते हैं कोई भी पाकिस्तान का प्रधानमंत्री पुरे होषोहवाष में भारत के साथ षांति बहाली का प्रयास नहीं कर सकता क्योंकि उसको अंजाम का भय सतायेगा। मनमोहन चाहते हैं कि गिलानी को मदहोषी का इंजेक्षन लगाकर वो काम करा लें जो अबतक उनके पूर्ववर्ती नहीं करा पाए हैं।
जैसा मुख वैसी बातें। आप भी विषेड्ढज्ञ हैं आप अपनी राय हमें लफुआ एट द रेट डॉट काम पर भेज दें आपकी बात मिर्च मसाला लगाकर प्रकाषित की जाएगी।

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