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नेताजी आराधना कर रहे ह

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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नेताजी आराधना कर रहे हैं
अपनी जीत के लिए साधना कर रहे हैं
यूपी में त्रिषंकु विधानसभा की कामना कर रहे हैं
हसीन सपनों में कभी कभी गमन कर रहे हैं।
तिहाड़ की वादियों में भ्रमण कर रहे हैं।
एम्स के वीआईपी वार्ड में षयन कर रहे हैं।
किसी आदर्ष स्कैम का चयन कर रहे हैं।
मन हीं मन फिर कुछ मनन कर रहे हैं
बस सफलता एक कदम दूर है
नैतिकता-वैतिकता की बात सोचना भूल है।
अपनी आत्मा को मारनेवाला हीं षूर-वीर है।
किसी को कुचल कर आगे बढ़ना हीं सफलता की मूल है।
और सब उलूल जुलूल है।
फिर दूसरा दृष्य सामने आता है
जो नेताजी में आत्मविष्वास जगाता है
फिर देख रहे हैं कि
वे नोटों की गड्डियों पर सो रहे हैं।
पांच सितारा होटलों में रह रहे हैं
दूर लखनऊ से रह रहे हैं।
कभी दूसरे सपने भी आते हैं
जो उनके मन को भाते हैं।
जैसे कि एकाएक उनका भाव सांतवे आसमान को छू रहा है।
विरोधी पार्टी का नेता उनका चरण छू रहा है
फिर नोटों की गड्डियों से उन्हें तौल रहा है।
लोकत्रंत्र का निरादर करने का अन्ना पर आरोप मढा जा रहा है।
फिर सदन के नेता द्वारा सदन में बताया जा रहा है।
लोकतंत्र का मान माननीय सदस्यों द्वारा बढ़ाया जा रहा है
अन्ना को भ्रष्ट बताया जा रहा है।
लोकपाल का पलीता लगाया जा रहा है।
स्वामी अग्निवेष को नेपथ्य से सामने लाया जा रहा है।
सदस्यों को नोटों की गड्डियों से तौला जा रहा है।
सदस्यों को लोकपाल कि प्रतियां फाड़ने का बोला जा रहा है।
अपने पक्ष में लाने के लिए उन्हें पकवान खिलाया जा रहा है।
उनका गुण गाया जा रहा है
उन्हें पटाया जा रहा है।
बात नहीं मानने पर
इस दुनिया को छोडकर चले जाने को बोला जा रहा है।
फिर दूसरा दृष्य सामने आता है
कि बहुमत के पक्ष में वोट करने के लिए
करोड़ो का पैकेज उन्हें दिया जा रहा है।
विपक्ष की नजर न लग जाए
इसलिए दूर कहीं हसीन वादियों में रखा जा रहा है।
डायरेक्टर के इच्छाअनुसार पार्ट बजाने को कहा जा रहा है।
महामहीम के सामने परेड करने के लिए बोला जा रहा है।

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