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नेताजी की उदारता

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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मेरे क्षेत्र के नेताजी कि उदारता कि चर्चा इन दिनों सरेआम हो रही है, कारण कि अगर कोई उनसे चवन्नी की मांग करता है तो वे अठन्नी दे रहे हैं और अठन्नी कि मांग करने पर रूपया। दरअसल नेताजी ने पांच साल जो क्षेत्र की उपेक्षा की है, इस चुनाव में उसकी क्षतिपूर्ति कर देना चाहते हैं। विपक्ष अकसर उनपर क्षेत्र कि उपेक्षा करने का आरोप लगाता है, लेकिन डोलड्रम जी(नेताजी) इसे विपक्ष का दुष्प्रचार करार देते हैं। उनकी दरियादिली को लोग अक्सर चुनाव से जोड़ कर देखते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि उनका हृदय परिवर्तित हो गया है, देखते नहीं कितनी तल्लीनता से वे लोगो की सेवा में जुटे हुए हैं। भाई हृदय तो किसी का कभी भी परिवर्तित हो सकता है। फिल्मो में जब हो सकता है तो वास्तविक जीवन में क्यों नहीं हो सकता है। देखते नहीं भाई लोग फिल्मों में कितनी गरीबों एवं असहायों की सेवा किया करते हैं। जब अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन हो सकता है। तो क्या नेताजी का हृदय पत्थर का बना है जो गल नहीं सकता है। माना कि एक -दो दर्जन मुकदमा उनपर चल रहा है लेकिन माननीय बनकर वह उसका प्रायश्चित भी तो कर रहे हैं । मेरा मानना है की कड़क एवं रोबदार छवि ने अगर उदारता धारण की है तो वह जरुर एक दिन क्रांति लाकर मानेगी। कुछ नहीं तो नेताजी शराब का भठ्ठा ही खोलवा दिए तो कईयों का कल्याण हो जायेगा। रोजगार तो मिलेगा हीं लोगों को गला तर करने के लिए दूर भी नहीं जाना पड़ेगा। वैसे नेताजी ने छोटे- बड़े बाल- वृद्ध सभी की किश्मत को चमकाने का वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया है । उन्होंने जनता से यह भी वादा किया है कि वे अपहरण उद्योग की मंदी दूर करने के लिए सरकार से प्रोत्साहन पैकेज दिलवाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने युवकों से कहा है कि वे पोस्टर एवं बैनर पूरे मनोयोग से ढोएं । चुनाव जितने के बाद वे हर युवक को काम देंगे। उन्होंने गार्जियनों से भी कहा है कि अगर वे अपने बच्चे को जीवन में सफल देखना चाहतें हैं नैतिकता-वैतिकता का पाठ पढ़ाना बंद कर दें। क्या हम नेता नैतिकता का पालन करते हैं ? अरे सत्याचरण करने वाले माछी मारते हैं मांछी, नेता नहीं बनते।

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