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मोदी का राजतिलक के लिए अनुष्ठान।

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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विगत दिनों मोदी के एक बाद एक उपवास ने मुझे इस निष्कड्र्ढ पर पहंुचने को मजबूर कर दिया कि ,अगर अन्ना के आंदोलन ने सबसे ज्यादा किसी को प्रभावित किया है तो वह हैं नरेन्द्र मोदी। भले हीं लाखो लोग अन्ना के समर्थन में सड़कों पर उतर आयें हों। या मैं हूं अन्ना तू है अन्ना का लोग गीत गायें हों, लेकिन नरेन्द्र मोदी के आगे सब फीके हैं। भले अन्ना अरबिंद केजरीवाल या किरन बेदी को अपना नजदीक बताएं या कोई अन्य उनके आगे-पीछे मड़राए। लेकिन नरेन्द्र मोदी उनके सबसे अधिक करीबी हैंैं, क्योंकि वे उनके आंदोलन को अबतक जीवित रखे हुए हैं। वे उनके अनषन से इतना अधिक प्रभावित हुए हैं कि उनका महीने का आधा दिन उपवास में बीत रहा है। वैसे मैं भी अन्ना के उपवास से कम प्रभावित नहीं हुआ था, लेकिन निगमानंदजी का हाल देखने के बाद मैंने अनषन न करने में हीं अपनी भलाई समझी। मुझे लगा कि उनकी तो लोग खबर भी पा गए, मेरे स्वर्ग सिधारने को लोग जान भी पाएंगे की नहीं। एक दूसरी बात भी मैं आपको बता दूं, कि मोदीजी के अनषन सेेे सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित है तो वह हैं बघेलाजी। कांग्रेस को भले हीं बघेलाजी पर षक नहीं हो रहा हो, लेकिन मुझे तो हो रहा है जी क्योंकि बघेला जी मोदीजी के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। कभी भी बघेलाजी एवं मोदीजी मिल सकते हैं। इतिहास कभी भी इस सदी की सबसे बड़ी दुर्घटना का साक्षी बन सकता है। और इस दुर्घटना के बाद मोदीजी बघेलाजी के षिष्य बनेंगे कि बघेलाजी मोदीजी के, मैं कुछ कह नहीं सकता । मोदी के विरोधियों का कहना है कि उनका अनषन राजतिलक के लिए हो रहा है। मुझे यह नहीं पता कि वे अनुष्ठान कर रहे हैं या आत्मषुद्धि या फिर आडवाणी जी कोे किनारे लगाने के लिए कुछ और। कुछ लोगों का कहना है कि उनमें अषोक की तरह वैराग्य का भाव आ चुका है।
अगर वो राजतिलक के लिए अनुष्ठान करा रहे हैं तो आडवाणी जी चिंतित हों , गडकरी जी चिंतित हों, सुड्ढमा जी चिंतत हों, जेटलीजी चिन्तित हों। कांग्रेस में राहुलजी चिंतित हों, सोेनिया जी चिन्तित हों, मनमोहन सिंह चिंतित होकर क्या करेंगे।
मेरा काम सूचना देना है, आप माने या ना माने चेते या ना चेते । ये आपकी मर्जी। यह कांग्रेस या भाजपा का सरदर्द है। मेरा नहीं। कुछ दिन पूर्व मोदीजी के साथ श्री-श्री मुलाकात के बाद भी मुझे कुुछ-कुछ होने लगा था। आडवाणी जो को हुआ था कि नहीं।

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