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रामभरोसे दूर होगी महंगाई।

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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मेरे देश के लोग भी महान हैं। कारण कि यहां जब भी महंगाई बढ़ती है लोग ऐसा हो- हल्ला करते हैं मानो आसमान टूट पड़ा हो। मानो पहली बार इस देश में महंगाई बढी़ हो। महंगाई से लोग जब इतना लोग आतंकित हो जाते हैं तो खुदा न खास्ता कभी विदेशी आक्रमण हो गया तो लोग क्या करेंगे । वैसे पाकिस्तान एवं चीन जैसे पड़ोसियों के रहते विदेशी आक्रमण होने की संभावना कम हीं है। मैं लोगों से अक्सर कहता हूं भाई जमाने के साथ बदलो । क्या आज भी चवन्नी -अठन्नी में बोरा भर समान खरीद लाने की बात सोंचना यथार्थ में जीना कहा जाएगा ?

वैसे तो दर्शनशास्त्र में आस्तिकों एवं नास्तिकों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया गया है। लेकिन मेरी नजर में आज के समय में आस्तिकों एवं नास्तिकों के वर्गीकरण का एकमात्र आधार मूल्यवृद्धि होनी चाहिए। जो महंगाई में आस्था रखता है वह आस्तिक है और जो आस्था नहीं रखता हो वह नास्तिक है। वैसे देखा जाए तो यह वर्गीकरण पहले वाले वर्गीकरणों का विरोधी नहीं है। आवश्यकता है मेरे जैसे समझदार होने की। जिन्हें ईश्वर के वचनों में आस्था होती है वे मंहगाई का रोना नहीं रोते। वे अपने आपको महंगाई के सामने समर्पण कर देते हैं। और कहते हैं कि शायद भगवान कि यहीं इच्छा है।

अब इसके समाधान पर विचार करते है। मेरा तो शुरू से मानना है कि हिन्दूस्तान की अधिकांश समस्याओं का समाधान राम भरोसे हीं हो सकता है। हो-हल्ला करने से कुछ लाभ होने वाला नहीं है। रामदेवजी एवं अन्ना हजारे को भीे मेरी मुफ्त सलाह है कि देशवासियों को चैन से रहने दें। देश में भ्रष्टाचार का हौव्वा मत खड़ा करें। मेरा दोनो महानुभावों को सुझाव है कि अगर भ्रष्टाचार देखकर अगर उनको बैचनी होती हो वे ध्यान की अवस्था में चले जाएं। ध्यान की अवस्था में षांति मिलती है। ध्यान से प्रत्येक समस्या का समाधान संभव है। दूसरी बात आप दोनों भ्रष्टाचारियों को मांफ कर दें। तब न भ्रष्टाचारियों का हृदय आपके प्रति सम्मान से भरेगा। आपलोग बड़े हैं तो बड़प्पन दिखाएं। अनशन पर न अड़ें। देश अपना है। नेता अपने हैं। जिसे आपलोग घोटाला समझ रहे हैं। वह दरअसल घोटाला है हीं नहीं वह तो सुविधासुल्क है। जो हर देषकाल रही है। आपकी सोच में और भ्रष्टाचारियों के सोंच में अंतर का प्रमुख कारण अलग-अलग स्कूलों में पढ़ना है। शिक्षा में एकरूपता लाइए एवं द्वैत को दूर भगाइए। आप दोनों कभी जन्तर- मन्तर पर तो कभी कहीं और अनषन करते रहते हैं । केवल आप दोनों के चलते नरेंद्र मोदी जी एवं बघेलाजी को भूखा रहना पड़ रहा है। आपके देखा- देखी देश में और लोग भी अनशन करते हैं। जरा सोंचिये तो अगर इतने लोग अनशन करते हैं तो विदेशों में यहीं न संदेश जाता है कि देश में खाने को नहीं है। तो क्यों आप दोनों देश का नाक कटवाना चाहता है। इसलिए मेरी आपको सलाह है कि मूदहूं आंख कतहूं कुछ नाहीं। जरा सोचिए हमारी सरकार इनसान की इच्छा न सही भगवान की इच्छा का तो सम्मान कर रही है न। कारण की अपून की सरकार को भगवान भरोसेे हो गई है। वह मानती है कि हिंदूस्तान की समस्याओं का समाधान रामभरोसे हीं हो सकता है। यहां की समस्याओं का समाधान किसी अन्ना एवं रामदेव से नहीं वाला है। समस्याओं के समाधान के लिए किसी अचेतन शक्ति की दरकार है।

मंहगाई के मामले में सरकार सबसे ज्यादा भगवान भरोसे है। केन्द्र की सभी सरकारों ने भगवान के प्रति यहीं श्रद्वा कायम रखी है। चाहे वह किसी दल की सरकार क्यों न हो। वैसे भी एक बात तय है जबतक सरकार जोर लगाती रहेगी तबतक मंहगाई नहीं जाने वाली। क्योंकि तबतक भगवान समझ रहे हैं कि सरकार अहंकार से भरी हुई है। ज्योंही वह द्रोपदी की तरह सरकार अहंकार छोड़ देगी भगवान दौड़े चले आएंगे। और महंगाई छूमंतर हो जाएगी।

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