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लगे रहो मुन्नाभाई ।

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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वैसे तो कौन नहीं अपने आपको को ज्ञानी कहलाना चाहेगा। लेकिन ज्ञानी बनना इतना आसान काम नहीं। वास्तविकता यह है कि अधिकांष लोगों को अधिकांष चीजों की सतही जानकारी होती है। उनके अंदर गहरे ज्ञान का अभाव रहता है। जनसंख्या वृद्धि को हीं ले लीजिए। जनसंख्या वृद्वि के फायदे को आखिर कितने लोग जानते है। सभी लोग आपसे यहीं कहते मिलेंगे कि, जनसंख्या वृद्वि रोके बिना गरीबी दूर नहीं हो सकती। अर्थव्यवस्था की सेहत सुधर नहीं सकती। ऐसा कहने वाले लोगों में मौलिक सोच का अभाव होता है। वे लकीर के फकीर होते हैं। दुर्भाग्यवष जनसंख्या वृद्वि के संदर्भ में न व्यक्ति दूरदर्षिता का परिचय दे रहा है और न राष्ट्र। जबकि दूरदर्षिता के महत्व को हर कोई जानता है।
न जाने क्यों लोग जनसंख्या वृद्वि को रोकने को इतना आतुर दिखते है। अधिक बच्चे पैदा करने को पिछड़ी मानसिकता का परिचायक मानते हैंै। जबकी दूरदर्षी जानते हैं कि आने वाले दिनों में जनसंख्या वृद्वि के लिए लोगों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन पैकेज दिया जाएगा। अधिक बच्चा पेदा करने वाले को सम्मानित किया जाएगा। अबतक जनसंख्या वृद्वि रोकने के लिए न जाने कितनी नीतियां बन चुकी है। अरबो-खरबो रूपया जनसंख्या रोकने के नाम पर फूंका जा चुका है। लेकिन नतीजा षुन्य रहा है। आखिर रहेगा क्यों नहीं प्रकृति विरूद्ध काम का नतीजा तो यहीं होगा न। लोग यह क्यों नहीं जानते कि विष्व में आने वाली आगामी मंदी जनसंख्या क्षेत्र में हीं होगी। क्योंकि विष्व का अधिकांष देष परिवार नियोजन का पालन कर रहंे हैं। ऐसे में चुपचाप जनसंख्या वृद्वि करने में हीं बुद्विमानी है। जब और देषों में जनसंख्या का अकाल हो जाएगा, तो दूसरे देषों में जाकर यहां के लोग ऐष कर सकते हैं। जिस तरह चांद पर बसने की संभावना है। ठीक उसी प्रकार आने वाले दिनों में भारत के लोगों की दूसरे देष में जाकर बसने की संभावना है। और वहां के सरकार इसके लिए तमाम तरह की रियात देगी। आपके मन में यह प्रष्न उठ रहा होगा कि क्या जनसंख्या वृद्धि को बढ़वा देकर हम अप्रगतिषील नहीं कहाएंगे। आखिर हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। इसपर मेरा कहना है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ेगा हीं न। जीरो रिस्क वाली बात तो किसी भी काम में नहीं होती। हां मैं आपको जरूर यह आष्वस्त कर सकता हूं कि आप घाटे में नहीं रहेंगे। एक दूसरा प्रष्न भी आपके मन में उठ सकता है। क्या दूसरे देषों को मूर्ख बनाना इतना आसान है। तो मेरा कहना है क्यों नहीं जब पाकिस्तान अमेरिका सहित पूरे विष्व को मूर्ख बना सकता है तो भारत क्यों नहीं बना सकता? जैसा कि वह दिखावे के लिए आतंकवाद के विरूद्व लड़ाई लड़ सकता है और पूरा विष्व उसे मान सकता है। तो भारत क्यों नहीं चुपचाप जनसंख्या वृद्धि कर सकता है।
दूसरी बात कि अपने देष के बुद्विजीवियों के आक्रमण से बचने के लिए भी आपको उपाय सोचने होगें। बाहर से देष दिखाए कि वह जनसंख्या वृद्वि रोकने के लिए बहुत सीरियस है। आवष्यकता हो तो इसके लिए सौ-पचास जबर्दस्ती नसबंदी भी करा दे। लेकिन अंदर हीं अदंर लोगों को जनसंख्या बृद्वि के लिए खूब प्रोत्साहित करे। जनसंख्या वृद्वि के कुछ और फायदे है। जैसे
जनसंख्या वृद्धि व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है। क्योंकि
व्यक्तित्व विकास के लिए समाज का होना जरूरी है। बालक का समाज से परिचय परिवार के रूप में होता है। बालक सामाजिक होना परिवार से सिखता है। अतः परिवार जितना बड़ा होगा व्यक्ति उतना हीं अधिक सामाजिक होगा।

जनसंख्या वृद्धि से व्यक्ति चुनौतियों का सामना करना सिखता है। कई पुत्र होने से परिवार में अगर खाने को नहीं होगी तो मारा -मारी होगी। ऐसा होना बच्चों के मानसिक विकास के लिए बहुत अच्छा होगा। क्योंकि उनके आगे के जीवन में कितना भी अभाव आ जाए वे समस्या का रोना नहीं रोएंगे। वे लड़ झगड़कर दूसरे का हक मारकर अपना हक प्राप्त हीं कर लेंगे।
सुरक्षा के भाव के लिए जनसंख्या वृद्धि जरूरी- अधिक बच्चे माता पिता में सुरक्षा का भाव पैदा करते है। जिसका एक बच्चा होगा उसको हमेषा चिंता रहेगी ,अगर वह उसके बुढ़ापे का सहारा नहीं बनेगा तो क्या होगा। वहीं जिसके कई पुत्र होगें वह यह सोच सकता है कि एक नहीं करेगा। दूसरा तो करेगा न। भले हीं कोई न करे।
बड़ा परिवार सुखी परिवार – अगर आप पड़ोसियों के बीच धाक जमाना चाहते उन्हें अपने सामने झुकाना चाहते हैं। तो क्रिकेट टीम खड़ा कर हीं दीजिए। आपके बच्चों को देखकर हीं पड़ोसियों को नानी याद आ जाएगी। पड़ासियों को आपके परिवार की ओर आंखें उठाने की हिम्मत नहीं होगी। यानी हर जगह आपकी तुती बोलेगी। तो फिर देर किस बात की लगे रहो मुन्नाभाई ।

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