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समझावन गुरू

हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
हास्य- व्यंग्य के विविध रंग
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ईष्वर प्रत्येक व्यक्ति को षक्ति सम्पन्न बनाता है। किसी के साथ अन्याय नहीं करता। यह अलग बात है कि कोई उसकी दी हुई क्षमताओं का उपयोग कर पाता है और कोई नहीं। यह अपनी क्षमताओं का उपयोग हीं करना है कि कोई किसी को करोड़ो का चूना लगा देता है और कोई मूंह ताकता रह जाता है। यह क्षमता की हीं बात है कि कोई हीरा की चोरी कर मौज करता है और कोई खीरे के चोरी के आरोप में जेल की हवा खाता है। किसी को जेल में भी पकवान मिलता है तो कोई घर पर भी भूखों मरता है। अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार कोई इंजीनियर बन जाता है तो कोई डाॅक्टर बन जाता है। उसमें से विषेड्ढ प्रतिभावान इंजीनियर दुष्मन देष को टेक्नोलाॅजी बेंचने लगते हैं और विषेड्ढ प्रतिभा सम्पन्न डाॅक्टर किड़नी बेंच कर लोगों का दूख दूर करने लगते हैं। इसी प्रकार अतिविषेड्ढ तेलगी और हड्र्ढद मेहता बन जाते हैं। अमर सिंह जी और कलमाड़ीजी आदि भी विषेष क्षेत्र के विषेड्ढ प्रतिभावान हैं। मुझे भी एक विषेड्ढ प्रतिभासम्पन्न के सानिध्य में रहने का सौभाग्य मिल चुका है, जिसके बारे में मेरा दावा है कि आज नहीं कल वे अपने व समझाने की क्षमता के चलते पूरे विष्व में जाने जाएंगे। आइए उनके बारे में थोड़ा बात करते हैं। यह षख्स अपनी समझाने की क्षमता के चलते अपनी बीवी से लेकर आॅफिस के कर्मचारी के दिलों पर राज करता है। अपनी बीबी से वह 20 साल बड़े थे। लेकिन उन्होंने उसे ऐसा समझाया कि घर से बगावत कर बैठी। वह केवल उनके नाम की माला जपने लगी। माता-पिता के समझाने का कोई असर नहीं हुआ। फिर क्या था परिवारवालों ने चट मगनी पट षादी कर दी तब जाकर बगावत थमी।
मेरा तो पक्का विष्वास है कि अगर उनके समझाने की क्षमता का उपयोग किया जाए तो पाकिस्तान आतंकवादियों को भेंजना भूल जाये। और चीन अरूणाचल में घुसना भूल जाए। अगर अन्ना समझावन गुरू के प्रतिभा को उपयोग करते तो उन्हें 13 दिनों तक अनषन नहीं करना पड़ता और नहीं रामदेवजी को डंडे खाने पड़ते। अभी भी समय नहीं गुजरा अन्ना एण्ड कम्पनी यह समझे कि कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने से नहीं, समझावनगुरू की सेवा लेने से लोकपाल बिल पास होगा। अगर अन्ना हजारे एवं बाबा रामदेव को समझाने के लिए समझावन गुरू को भेंजा गया होता तो सरकार को इतनी फजीहत नहीं हुई होती। सरकार की गलती यह रही गई कि उसने कपिल सिब्बल जैसे नेताओं की प्रतिभा पर भरोसा किया। जो केवल अब तक स्वामी अग्निवेष को समझा पाये हैं। रामदेवजी को नहीं समझाने के कारण सरकार को रामलीला मैदान जैसा अलोकप्रिय कदम उठाना पड़ा।

आइए हम समझावन गुरू के साथ अपने स्वयं के अनुभव कोे साझा करते हैं। बात उन दिनों की है जब मैं उनके यहां नौकरी करता था। मैडम तो अक्सर टूर पर रहती थीं। समझावन गुरू के हवाले हीं आॅफिस से लेकर फील्ड की देख- रेख था। सुबह हमलोगों को फील्ड में एक-दो घंटे कार्य के बाद कोई कार्म काम नहीं बचता था। लेकिन समझावन गुरू हमें मुफ्त की रोटी तोड़ना नहीं देना चाहते थे। इसलिए सुबह से लेकर षाम तक समझाते थे।
वह हमलोगों घर में समझाते । बाग में समझाते । आॅफिस में समझाते। कोर्ट पहनकर समझाते। टाई लगाकर समझाते, लुंगी बहनकर समझाते। माइक हाथ में लेकर समझाते। सोते हुए समझाते। बैठते हुए समझाते। कविता कहकर समझाते। गाना गाकर समझाते। चाय पिलाकर समझाते, खाना खिलाकर समझाते थे। हम लोगों का आठ घंटा का कार्य समझना था और उनका काम समझाना था। हमलोग समझने के बदले पगार पाते थे। और वो मैडम का प्यार या दुत्कार। लोगों का कहना था कि हमदोनों अर्द्ध बेरोजगार थे। आपका क्या कहना है ?
वैसे समझावन गुरू के प्रतिभा को पहचाना जाने लगा है। और पहला आॅफर स्वर्ग लोक से आया है। खबरों के अनुसार स्वर्ग से भारत रत्न नहीं पाने वाली कुछ अतृप्त आत्माओं ने उनसे संपर्क किया है और कहा है कि जीते जी न सही मरणोपरांत भारत रत्न देने के लिए सरकार को तो समझा हीं दो। वैसे ओबामा की ओर से भी उन्हें आॅफर आया है कि दोबारा राष्टपति बनाने के अमेरिकी जनता को वे समझायें। मेरा राजनेताओं से भी कहना है कि समझावन गुरू की सेवा लीजिए जूते की जगह फूल बरसने लगेंगे।

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