Menu
blogid : 2824 postid : 737088

मैं यह कैसे मानू की यह देश आजाद हो चूका हैं!!–सुभाष बुड़ावन वाला

koi bhi ladki psand nhi aati!!!
koi bhi ladki psand nhi aati!!!
  • 805 Posts
  • 46 Comments

भारत में बहुत अच्छा कपडा बनाने वाले बडीयां कारीगर होते था वो कपडा इतना बारीक बुनाई करते थे की कोई मशीन भी नहीं कर सकती । उस कपडे के थान के थान एक छोटी सी अंगूठी में से निकल जाते थे । पूरी दुनियां मे प्रसिध्द था भारत का कपडा १८३५-५० तक । भारत मे उस समय तक दो ही वस्तूएं सबसे जादा निर्यात होती थी कपडा और मसाले । अंग्रेजो का कपडा लंका शयर और मान्चेस्ट्र का कपडा बिक नही पाता था क्योंकी भारत का ही कपडा इतना बडीयां होता था । तो फ्री ट्रेड के नाम पर अंग्रेजों ने उन सब करीगरों के अंगूठें और हाथ कटवा दियें । सुरत में १००००० बहतरीन कारीगरों के अंगूठें और हाथ कटवा दियें । बिहार मे एक इलाका हैं मधूबनी । मधूबनी मे २५०००० से ३००००० कारीगरों के हाथ कटवा दियें अंग्रेजों ने । इस पर अंग्रेज बडा गर्व करते है, कयोकी भारत का सबसे बडा उद्योग हैं कपडा मील्ले और कारीगर नही रहेंगे तो कपडा मील्ले नही चल सकती और जब कपडा मील्ले धराशाही होगी तो भारत की अर्थव्यवस्था भी धराशाही हो जाएगी । यह एक वार्ता हैं ब्रिटीश की संसाद मे चल रही हैं । और उसके बाद अंग्रेजों ने यह कर दिया हैं ताकी अंग्रेजो का माल (लंका शयर और मान्चेस्ट्र का कपडा ) भारत मे बिक पायें । और अंग्रेजों ने अपने कपडों पर से सारे टेक्स हटा लियें और भारत की कपडा मील्लों पर अतीरीक्त टेक्स लगाया । सुरत की कपडा मील्लों पर १०००% अतीरिक्त टेक्स लगा दिया ।
ताकी यह उद्योग बन्द हो जायें । और लंका शयर और मान्चेस्ट्र का कपडा बिकने लगे ।
अब कपडा बनाने के लियें कच्चा माल अंग्रेजों को चाहीयें तो भारत का कोटन ब्रिटेन मे जाने लगा । तो अंग्रेजों को बडा परीशाम करना पडता था तो अंग्रेजों ने जहां – जहा पर अच्छे कोटन (कच्चा माल) मिलता था वहां – वहां पर अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के लियें रेलगाडी चलाई इस देश में । आपको लगता होगा कि अंग्रेज नही आते तो रेलगाडी नही होती इस देश में परन्तू आप यह नही जानते की अंग्रेजो ने रेल इस लियें चलाई ताकी अंग्रेजे भारत के गांव – गांव से कोटन को ईकाठा करके मुम्बाई ले जा सके और मुम्बाई के बन्द्रगाह से जहाजॐ के द्वारा कोटन को ब्रिटेन ले जा सके । और बाद में इसी रेल का एक और प्रयोग होने लगा । अंदोलन को कुचलने के लियें जल्दी से जल्दी भारत के विभिन्न क्षेत्रो मे सेना को पहुंचाने के लिए रेल का प्रयोग भी किया जाने लगा । अंग्रेजों के सबसे पहले रेल जो चलाई है मुम्बाई से थाना के बीच में ट्राईल के रुप में । जब बाद मे प्रयोग सफल हो गया तो सबसे पहले अंग्रेजों ने रेल चलाई है मुम्बाई से अहमदाबाद मे बीच में जो कपास के लिये सबसे अच्छा उत्पादान करते हैं । अब अंग्रेजों के कपास को ईकाठा कर के मुम्बाई के बंद्र्गाह से कपास के जहाज तो भर कर भेजना शुरु कर दियें परन्तू इंग्लेंड से खाली जहाज आते थे तो खाली जहाज समून्द्र में डुब जाते थे । तो इसके लियें उन्हो ने समून्द्री जहाजों में नमक भर कर भेजना शुरु कर दिया । समून्द्री जहाजों में नमक भर कर ईंग्लेंड से आते थे और मुम्बाई के बन्द्रगाह पर नमक डाल देते थे । और यहां से कपास भर कर ले जाते थे । भारत में उस समय तक सभी लोग स्वादेशी नमक ही खाते थे । परन्तू अग्रेजों ने स्वदेशी नमक पर भी टेक्स लगा दियें और अपना नमक टेक्स फ्री बेचने लगें ताकी सभी उनका नमक खाएं । इस पर महात्मा गांधी जी ने डांडी सत्यग्रह किया । ६ अप्रेल १९३० में महात्मा गांघी जी ने एक मूठ्ठी हाथ मे लेकर कसम खाई थी के भारत में विदेशी नमक नहीं बिकने दूंगा । और आज भारत में कितने ही विदेशी नमक बिक रहे हैं पत्ता नहीं गांघी जी कि आत्मा को कितना दुःख होता होगा यह देख कर । हमारी सरकारो ने विदेशी कम्पनियों को नमक बनाने के लियें भी अनूमती दे दी । जरा आप बातायें कि नमक बनाने मे कॉन सी हाईटेक तकनीक हैं । समून्द्र का पानी एक जगह ईकाठा कर लेते हैं और धूप में पानी भाप बन कर ऊड जाता हैं और नमक नीचे रह जाता हैं क्या भारत के लोग इतना भी नहीं कर सकते हैं । कि विदेशी कम्पनियाओं को नमक बनाने के लिये अनूमती दे दी । गांधीजी कि आत्मा कितने आंसू बाहाती होगी यह देख कर कि जिस देश मे मेने नमक सत्यग्रह किया वहां पर आजादी के बाद भी आज तक विदेशी नमक बिक रहा हैं जरा सोचीयें कि यह कितना बडा नेशनल क्राईम हैं । अंग्रेजों ने जो – जो व्यवस्थायें बनाई सभी इस देश मे आज भी चल रही हैं । तो मैं यह कैसे मानू की यह देश आजाद हो चूका हैं!!–सुभाष बुड़ावन वाला,18,शांतीनाथ कार्नर,खाचरौद[म्प] –


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh