koi bhi ladki psand nhi aati!!!
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उन्हें राहत, हमें सांसत
यह खेद की बात है कि लोकसभा व विधानसभाओं के भोजनालयों में काफी सस्ती दरों पर खाने-पीने की चीजें मिलती हैं, करीब-करीब बाजार-दर से एक-चौथाई कीमत पर। कहने के लिए इसका सारा घाटा सरकार उठाती है। लेकिन देखा जाए, तो इस घाटे का बोझ देश के करदाता उठाते हैं। अच्छा होगा कि लोकसभा और विधानसभाओं के भोजनालयों में खाद्य वस्तुओं की सही कीमत वसूली जाए। इसके दो फायदे होंगे। एक, करदाताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगेंगे। और दूसरा, हमारे सांसदों- विधायकों को महंगाई का पता चलेगा। इसके अलावा, एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार का भेदभाव सही नहीं कहा जा सकता।!!सुभाष बुड़ावन वाला.,1,वेदव्यास,रतलाम[मप्र/..!!सुभाष बुड़ावन वाला.,
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