koi bhi ladki psand nhi aati!!!
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आर्टिफिशियल स्वीटनर जीवन की मिठास को कम करते जा रहे हैं। डायबिटीज से बचने और खूबसूरत दिखने की चाह में लोग चीनी की जगह इनका यूज़ करने लगे हैं, जो स्लिम और ट्रिम तो बनाते नहीं, पर बीमारियां ज़रूर दे देते हैं। पहले के समय में कोई भी खुशी की बात होने पर हम तुरंत मीठा खाते थे, लेकिन उस मीठे का ट्रेंड बदल गया है। मीठा हम आज भी खाते हैं, लेकिन आर्टिफिशियल। बॉडी को स्लिम करने के चक्कर में हम इतनी आर्टिफिशियल चीज़ों का यूज़ करने लगे हैं कि त्योहारों पर भी आर्टिफिशियल मिठाई उपहार में देते हैं। आर्टिफिशियल स्वीटनर क्या है? आर्टिफिशियल स्वीटनर या कहें सुगर सब्सिट्यूट एक तरह का केमिकल है। कई शुगर या डायबिटीक पेशेंट्स चीनी की जगह आर्टिफिशियल शुगर इस्तेमाल करते हैं, ताकि वो भी मीठा खा सकें। दरअसल, आर्टिफिशियल स्वीटनर का स्वाद चीनी की तरह ही होता है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यह किसी मीठे ज़हर से कम नहीं है। आर्टिफिशियल मीठा मतलब मीठा ज़हर मार्केट में आप जो स्वीटनर देखते हैं, दरअसल वो उसकी असलियत नहीं है। सच यह है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर न तो आपका मोटापा कम करता है और न ही ही आपको स्लिम- ट्रिम रखता है। नॉर्थ-ईस्टर्न ओहियो यूनिवर्सिटीज कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साइकेट्री के प्रोफेसर और चेयरमैन डॉक्टर राल्फ वॉटसन के अध्ययन में यह सामने आया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर से सिरदर्द, याददाश्त की कमी, अचानक चक्कर आकर गिर पड़ना, कोमा में जाना और कैंसर जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा भी यह कई शारीरिक और मनोरोगों का कारण बन सकता है, जिसमें अल्जाइमर, क्रॉनिक थकान, अवसाद आदि प्रमुख हैं। कुछ मामलों में इसके लगातार इस्तेमाल से एडिक्शन की समस्या से भी दो-चार होना पड़ता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले ड्रिंक्स और दूसरी चीजें खाने से टेस्ट बड्स में भी चेंज आ जाता है। इससे आपको फिर से खाने की इच्छा होती है और न मिलने पर बेचैनी महसूस होने लगती है। इसे खाने के बाद अच्छा महसूस होता है, क्योंकि ये दिमाग के उन सेंटर्स को एक्टिवेट कर देते हैं, जो खुशी का अहसास कराते हैं।-सुभाष बुड़ावन वाला18,शांतीनाथ कार्नर,खाचरौद[म्प]* |
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