अपराधियों को भयभीत ठुल्ला ही कर सकता है | भयभीत अपराधी ही ठुल्ला शब्द जपते कभी अपराध की सोच भी नहीं सकेंगे |उसी तरह जैसे उत्तराखंड के ठुल्लों से डरना पड़ता है | देश की राजधानी ठुल्ला शब्द से विश्व मैं शांति सन्देश देती रहेगी | उत्तराखंड कभी आएं तो ठुल्ला शब्द सुनकर बुरा न मानना | यहाँ ठुल्ला बड़े का, सम्मान का ,अहसास ही करायेगा |
बात उस युग की है जब डूम (पिछड़ी निम्न जाति सूचक शब्द ) कहना अपराध नहीं था | अंग्रेजों का युग था | एक प्रताड़ित डूम ने अदालत मैं याचना की | इस उच्च जाती वाले ने मुझे प्रताड़ित किया और डूम भी कहा | उन दिनों कौन सुनता था निम्न जाति के डूमों की फरियाद | जज ने जबरदस्त फटकार लगाई और कहा ऐ विलारी यू डबल डूम …. गो आउट | बिलारी उस डूम का नाम था | …………………………………………………………..लगता है ठुल्ला शब्द पर की गयी याचना का भी यही हाल होने वाला है | याचना किसने किसके प्रति की है क्यों की है , यह भी विचारणीय होता है | शब्द का क्या अर्थ है | किस सन्दर्भ मैं है भी विचारणीय होगा | ……………….एक भाई शब्द को ही देखिये …भइया …..भाई जान….. ,ऐ भाई ..,भाई साहेब
भाई जी
.बड़े भाई ..भाई ….अलग अलग भाव और अर्थ …. |…………………………..p k फिल्म से निकला शब्द क्या उन्हीं भावों को देगा | एक p k का बोला संवाद क्या भाव लाएगा ,और एक मुख्यमंत्री का बोला संवाद क्या भाव देगा यह भी समझना होगा |…………………………………………उत्तराखंड मैं ठुल्ला शब्द का भाव सम्मानजनक यानि बड़ा होता है | बड़े भाई को ठुल्ला भाई ,ठुल्ली दीदी ,ताऊ को ठुल्ला बाबू ,ताई को ठुल्ली इजा (माँ ) ,ठुल्ली आमा(दादी की जेठानी ) ऐसे ही अन्य बड़े रिश्तों मैं ठुल्ला शब्द जुड़ जाता है | ठुल्ला है यानि सम्मान कारक हो जाता है और उनकी आज्ञा शिरोधार्य करना ही धर्म होता है | ……………..आप ठुल्ले हो आपका सम्मान करना होगा आपसे डरना होगा | वार्ना दण्डित हो सकते हैं | हमें यदि कुछ बनना है या आगे बढ़ना है ,कुछ सीखना है तो ठुल्ले से डरना ही होगा | ………….कहा भी है भय बिन होय न प्रीती ………….ठुल्ला रिश्तों मैं हो सकता है ,पद मैं हो सकता है ,धर्म मैं हो सकता है , जाति मैं हो सकता है ,कर्म मैं हो सकता है ,शिक्षा मैं हो सकता है ,धन दौलत मैं हो सकता है ,बल मैं हो सकता है ,बुद्धी मैं हो सकता है | जिसने ठुल्ले की गरिमा को समझ लिया उसी ने अपना मार्ग सुगम कर लिया | ………………………………………………………………एक p .k के कहे ठुल्ला और मुख्यमंत्री केजरीवाल के कहे ठुल्ला मैं यही अंतर है | p .k .एक चरित्र है एक मजाक है | जबकि केजरीवाल एक महान हस्ती मुख्यमंत्री है | जो अपने सिपाहियों को सतर्क करने के लिए या जाग्रत करने के लिए व्यंगात्मक भाव हैं | सिपाहियों को आदेश नहीं दे सकते ,उन्हें डांट डपट नहीं सकते तो प्रदेश मैं सुख शांति का माहोल बनाने के लिए साधारण सा व्यंग क्यों नहीं कर सकते |……………………….ठुल्ला शब्द की परिभाषा कहीं कुछ भी कर दी जाये किन्तु भाव सुंदर ही है | उत्तराखंड तो ठुल्ला को एक सम्मान जनक ही मानता आया है | और संस्कारित उत्तराखंडी ठुल्ला को महत्त्व भी बहुत देते हैं | ……………………………..इसलिए मेरे विचार मैं याचिका वापिस ले लेनी चाहिए | तथ्य विहीन ही याचिका सिद्ध होगी और जज की डांट ही खानी पड़ेगी | ………………………....ऐ बिलारी यू .डबल ठुल्ला .……सुनने से तो यही अच्छा होगा | ……………….कमिसनर साहेब ने भी यही सलाह दी है की ठुल्ला शब्द को स्वीकार करो | हम सब ठुल्ले हैं तभी तो समाज के अपराधी हमसे डरेंगे | साधु लोग भी निर्भय होकर जी सकेंगे | ……………………………………………...ओम शांति
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