अटल बिहारी बाजपेयी जी जहाँ भारत रत्न के योग्य माने जा रहे हैं उनकी योग्यता यदि उन्हें इस योग्य मानती है तो उससे कहीं अधिक योग्य सशक्त कर्मठ और कुछ कर दिखने वाले ,जनसंघ और आरएसएस मैं समनजष्य बैठने वाले लाल कृष्ण आडवाणी जी ही थे | जनसंघ के रूप मैं जब अटल विहारी बाजपेयी जी जब भासन के आलावा वोट बैंक नहीं बन सके तो भारतीय जनता पार्टी को नया रूप देना आडवाणी जी का ही काम था | अटल विहारी बाजपेयी जी भारतीय जनता पार्टी के रूप मैं भी वर्षों भासन ही देते रहे और कुछ भी नहीं उपजा सके तो रथ यात्रायें करके जनता मैं पार्टी को सशक्त स्तम्भ दिया आडवाणी जी ने ….. | कांग्रेस से टूटे विखरे जान समुदाय को एक विकल्प पर सोचने का विचार दिया | राम जन्म भूमि ,बाबरी मस्जिद और फिर उत्तर प्रदेश फतह किस किस पर आडवाणी की कूटनीति सफल नहीं हुयी | जब केंद्र मैं अटल विहारी बाजपेयी जी की सरकार बनी तो भी आडवाणी जी की ही कूटनीतियां रही | बहुत मन मसोष कर उन्हें उप प्रधानमंत्री का पद सहेजना पड़ा | ……...अटल विहारी बाजपेयी जी अगर इतने कुशल प्रधानमंत्री रहे उनका नेतृत्व इतना अच्छा रहा ,तो क्यों नहीं दो लोक सभा चुनावों मैं भी सोनिया गांधी या राहुल गांधी से नौसिखिये को परास्त कर सके थे | ……………………………………………….……….वर्तमान मैं भी यदि जीत हुयी तो वह भी आडवाणी जी की कूटनीतियां ही रही | जब नितिन गडकरी जी को अपना भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था ,और नए अध्यक्ष की खोज हो रही थी तो लाल कृष्ण आडवाणी जी ने ही अपनी कूटनीतिक बुद्धि से राज नाथ को भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के बीच समनजष्य बैठाते पदारूढ़ किया था | बस यही गलती आडवाणी जी से हुयी | फिर तब से अब तक आडवाणी जी भीष्म पितामह की तरह अपनी सहनशक्ति की परीक्षा देते आ रहे हैं | पार्टी के हित के लिए एक सहनशक्ति की पराकाष्टा आडवाणी जी ने निभायी | और भारतीय जनता पार्टी को एक दुनियां की सशक्त पार्टी के रूप मैं स्थापित कर दिया | आज जिस जीत का श्रेय कहीं आरएसएस को ,नरेंद्र मोदी को ,या अमित शाह को दिया जा रहा है वे सब लाल कृष्ण आडवाणी जी की ही उपज हैं | असली चाणक्य कभी अपनी तारीफ खुद कभी नहीं करता है | देश के लिए पार्टी के लिए एक सशक्त सरकार आडवाणी जी की ही देन है | कुशल राज नाथ सा पार्टी अध्यक्ष ,नरेंद्र मोदी सा वक्ता ,अमित शाह सा कूटनीतिज्ञ को आडवाणी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ तभी वे अपने को स्थापित कर सके | आरएसएस के लिए भारतीय जनता पार्टी के लिए मार्ग बनाते अग्रसित करने वाले आडवाणी जी ही रहे | …………………………………………………………..आज अगर सच्चे अर्थों मैं अगर कोई भारत रत्न है तो वह लाल कृष्ण अड़वानी जी ही हैं | जिनके कारन आज भारत वर्ष दुनियां मैं गौरवान्वित हो रहा है | ……………………………………………भीष्म पितामह की तरह ,भारतीय जनता पार्टी को सत्तारूढ़ करवाने की प्रतिज्ञा को आडवाणी जी ने ही समय समय पर चरितार्थ किया | ………….किसी भी राजनीतिज्ञ की मौत उसकी निष्क्रिय अवधी ही होती है | क्या लाल कृष्ण आडवाणी जी ,मुरली मनोहर जोशी जी भी जसवंत सिंह की तरह एक कोने मैं खांसते भीष्म पितामह सी रह जाएगी | निष्क्रिय अपमानित भीष्म पितामह क्या तड़पते किसी बाथ रूम मैं फिसलते होंगे | ….या अपमान की पराकाष्टा मैं नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह बनते नयी पार्टी का ध्रुवीकरण करेंगे ……? चाणक्य नीति कूटनीति की काट कूटनीति से ही होती है | क्या भारतीय जनता पार्टी का विभाजन होगा ….? क्या भारतीय जनता पार्टी इस विभाजन को झेल पाएगी ….? या आडवाणी जी राष्ट्रपति पद की लालसा मैं खांसते रहेंगे ….? या भारत रत्न का ख्वाब देखते अपाहिज से बने रहेंगे ….? …..आज लग रहा है की भीष्म पितामह अपने ही लोगों मैं कितना तड़पे होंगे | पितामह होना भी कितना शिव सा विष्पाणी होता है | आडवाणी जी की दयनीय स्तिथी पर भारतीय जनता पार्टी के ही नहीं साधारण लोग भी दुखी हो रहे हैं | ………………….……….किसी भावनात्मक विखराव से पाहिले ही यदि वास्तविक अर्थों मैं भारत रत्न को भारत रत्न घोषित कर दिया जाये तो पितामह की गरिमा रहते पार्टी भी सशक्त बनी रहेगी | देश भी एक भारत रत्न पाकर गौरव अनुभव करता रहेगा | ………………………………………..क्या मुरली मनोहर जोशी जी के मुरझाये नयन उनकी विद्वता को नगण्य कर देंगे…..? | मस्त नयन होना ही क़ाबलियत की पहिचान होगी…..? | या दहाड़ना ही पराक्रम होगा ……? ……………………………………….ओम शांति शांति शांति
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