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योगासन सम्राट”शीर्षासन” कांग्रेस ही करती

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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व्यंगासन ..योगासनों का सम्राट आसन शीर्षासन माना जाता है | एक अकेले शीर्षासन मैं वे सभी गुण होते हैं जो सभी आसनों के करने से भी नहीं मिल पाते हैं | शीर्षासन करने वाला अन्य कठिनतम आसान भी सुगमता से सिद्ध करता जाता है | शीर्षासन करने वाले के सभी अंग सुचारु रूप से काम करते हैं और लचीले हो जाते हैं | मांसपेसियों मैं कड़ापन नहीं रहता | एक बलिष्ट व्यक्ति से भी अधिक सहनशीलता आ जाती है | थकान तो होती ही नहीं है | इसलिए योगासन को आरम्भ करने वाले को शीर्षासन से ही आरम्भ करना चाहिए ताकि अन्य आसान सुगम हो जाएँ | शीर्षासन सिद्ध की बॉडी देखने मैं साधारण लगती है किन्तु शक्ति मैं वे किसी बलिष्ट को मात दे देते हैं | ……………………….यदि टीनेजर हैं और साधारणतयः स्वस्थ हैं तो शीर्षासन सुगमता से कर सकते हैं किन्तु यदि उम्र ज्यादा हो गयी हो तो योग गुरु के सलाह से करना चाहिए | ……………………………………………………….कांग्रेस भी जब टीनेजर थी तभी से शीर्षासन से अपने को लचीला बना चुकी थी | नेहरू परिवार मैं तो मोतीलाल नेहरू जी शीर्षासन सिद्ध कर चुके थे | जिसके बाद जवाहर लाल जी ने सिद्ध कर लिया था | योगासन उनके लिए सुगम हो चुके थे | उसके बाद इंदिरा गांधी जी ने शीर्षासन की सिद्धी पाते कांग्रेस को पुनः सिद्ध कर लिया था | इंदिरा गांधी जी की इतनी सिद्धी थी की उस युग की अन्य राजनीतिक पार्टियां लाख कोशिशों के बाद भी कोई आसन नहीं कर सकीं | जनसंघ रूप मैं अटल विहारी बाजपेयी जी और आडवाणी जी भी लाख कोशिशों के बाद भी शीर्षासन सिद्ध नहीं कर पाए | ……फिर संजय गांधी ने और राजीव गांधी ने भी शीर्षासन की सिद्धि पाते कांग्रेस को नयी उंचाईयां प्रदान कर दीं | ……….. किन्तु कांग्रेस का दुर्भाग्य सोनिया गांधी जी विदेशी होने के कारन इस सिद्ध शीर्षासन विद्या को नहीं सिद्ध कर पाई | किन्तु भाग्यवश इस सिद्धी को अर्जुन सिंह जानते थे जिसका ज्ञान कालांतर मैं सोनिया गांधी जी को दिया और पुनः कांग्रेस दस वर्षों तक सिद्ध हो गयी | ……………अटल विहारी बाजपेयी जी और आडवाणी जी भी इस विद्या का ज्ञान प चुके थे किन्तु अधिक आयु हो जाने के कारन और ख़राब स्वास्थ के कारण शीर्षासन पुनः नहीं कर पाए | ……………………..और मन मोहन सिंह जी सोनिया गांधी के शीर्षासन ज्ञान का लाभ पाते रहे | स्वयं अधिक आयु होने के कारण और दो बार बाई पास सर्जरी हो जाने के कारण वे शीर्षासन के अयोग्य हो चुके थे | …………किन्तु भारतीय जनता पार्टी मैं कई नेता शीर्षासन को सिद्ध करने के लिए प्रयास रत थे | जिसको स्वामी रामदेव जी ने सुगम कर दिया | और नरेंद्र मोदी जी ने आखिर शीर्षासन सिद्ध कर ही लिया | ……………………………………………………………………………………..अधिक उम्र मैं शीर्षासन घातक हो सकता है अतः राम देव जी ने और मोदी जी ने विश्व योग दिवस मैं इसको मान्यता नहीं दी | ………………………….अभी राहुल गांधी जी अपने कुल द्वारा सिद्ध योगासन शीर्षासन को सिद्ध करने के योग्य हो सकते हैं | बाल ब्रह्मचारी भी हैं | अतः बार बार विदेश मैं जाकर योगासन शीर्षासन सिद्धि हेतु प्रयास रत हैं | कहा जाता है की संस्कारों से विद्या सुगमता से हासिल हो जाती है | और आनुवंशिकता भी मार्ग सुगम कर देती है |……एक सिद्ध परिवार के लिए ऐसे साधारण से योगासन शोभा नहीं देते हैं अतः नेहरू गांधी सिद्ध परिवार विदेशों मैं या अपने महलों मैं ही सिद्धासन करते हैं | ….……………मोदी जी को इस ब्रह्माश्त्र से शीर्षासन का ज्ञान तो अवश्य होगा किन्तु वे भी सतर्क अवश्य होंगे | यह समय ही बताएगा की शीर्षासन पुनः कौन सिद्ध कर पाता है | नीतीश लालू जैसे तो शीर्षासन मिलकर ही सिद्ध कर सकते हैं क्यों की उनकी आयु बाधक होगी | अतः वे संगीत से ही सिुद्धि मार्ग खोजेंगे | किन्तु अरविंद्र केजरीवाल की आयु भी कम है और वे शीर्षासन सिद्धि को लालायित भी हैं अतः उनको पुनः मौका ही नहीं दिया गया | ……………....कहीं कोई गायत्री मन्त्र का सिद्ध भी इन दोनों सिद्धों को परास्त करता हुआ अंतरिक्ष मैं धूमकेतु सा उदय भी हो सकता है | क्यों की कम उम्र के बालक शीर्षासन सिद्ध करते अन्य योगासन सुगम बना लेते हैं | गायत्री मन्त्र को सिद्धि मार्ग से हटा देना ही घातक हो सकता है भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को शवासन करने को मजबूर कर सकता है ………………..ओम शांति शांति शांति

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