Menu
blogid : 15051 postid : 908791

अच्छे दिनों के लिए….सुलभ . योग कर

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
  • 216 Posts
  • 910 Comments

यह व्यंग नहीं आलोचना भी नहीं एक सत्य है | .……//////……..अच्छे दिन वही कहे जा सकते हैं जब शरीर स्वस्थ बना रहे ,मन शांत रहे | ,तभी सुख सुविधा भोग विलास का आनंद पाया जा सकता है | मन की शांति के लिए सत्कर्मों सहित भगवत चिंतन ,भक्ति कही गयी है और तन के लिए योगासन ..| यह सांख्य योग यानि सन्यास कहा गया | जो कठिन होता है | कर्मों का त्याग ,कर्म फलों का त्याग ……| कर्मों का त्याग और कर्म फलों के त्याग से कैसे मनोकामना पूर्ण होगी | विकास का स्वप्नं कैसे पूर्ण होगा | …… ……………………..योग का दूसरा स्वरुप कर्म योग कहा गया | कर्म योग सुगम और सहज माना जाता है | अतः भगवन कृष्ण ने कर्म योग को ही प्रधानता दी है | कर्म भी तीन प्रकार के कहे गए हैं | सात्विक ….राजस ….और तामसिक ….| अब हम कलियुग मैं जी रहे हैं विकास ही हमारा लक्ष्य होता है | लोक तंत्र हमारी व्यवस्था है | अतः सबको सुलभ योग करना ही हमारा लक्ष्य होगा | सुलभ योग ………..योग का प्रथम अंग शौच ही होता है जिसको सुलभ करते मोदी जी योग को भी सुलभ .करने की और अग्रसर हो रहे हैं | ….………अन्य युगों मैं योग प्राप्ति के लिए श्रद्धालु होना आवश्यक होता था | ईश्वर प्राप्ति मोक्ष्य लक्ष्य होता था | अब कलियुग मैं सुख वैभव विकास ही हमारा लक्ष्य होता है | भगवन की भक्ति विना कामनाओं के कर ही नहीं सकते | मोक्ष्य की बजाय पुनर्जन्म, की कामना लिए ही मरते हैं | अब यदि आप सात्विक नहीं भी हैं ………राजस या तामसिक कर्म भी करते हैं तो भी योग सिद्धी प्राप्त कर सकते हैं | ……………………………………....हे अर्जुन …स्त्री ,वैश्य ,शूद्र , तथा पापयोनि ,चांडाल आदि जो कोई भी हों ,वे भी योग से परम सिद्धी पा सकते हैं | ९\३२ ………….…………………………हमारा एक लक्ष्य होना चाहिए ,उस लक्ष्य् को पाने के लिए तड़प होना चाहिए | तड़प को सहने के लिए अच्छा स्वास्थ चाहिए | अच्छे स्वश्थ के लिए योगासन करना चाहिए | मन के लिए ध्यान करना चाहिए | काम ,क्रोध ,मद लोभ ,मोह जैसे कुविचार वाले भी यदि हैं तो योगासन और ध्यान से नष्ट हो जायेंगे या उनका राजनीतिक उपयोग कैसे करें यह ज्ञान भी हो जायेगा | सब भूल जाओ की हम किन कर्मों को करने वाले हैं |………………………………………………………………. क्यों की भगवन कृष्ण ने कहा है कर्म न करने से कर्म करना ही उत्तम होता है | कर्म न करने से शरीर निर्वाह कैसे होगा | ३\८………………………….मनोरथ सिद्ध करने के लिए कर्म करना ही पड़ता है ,सोये हुए शेर के मुंह मैं हिरन शिकार कैसे पहुंचेगा | ……………………………………..इसलिए अपने स्वाभाविक कर्म करते हुए योग करते हुए परम सिद्धी पाओ | १८\४६……………………………अच्छी प्रकार आचरण करते हुए दूसरे के धर्म से गुण रहित अपना स्वधर्म श्रेष्ठ होता है ,क्योंकि स्वाभाव से नियत किये हुए स्वधर्म रूप कर्म को करता हुए मनुष्य पाप का भागी नहीं होता | १८\47……………………………………………..योग हिन्दू सनातन धर्म की उपज है इसलिए स्वाभाविक ओम से ही आरम्भ होती है | योगासन जिस जिस मुद्रा को धारण करता है उसी नाम से पुकारा जाता है | मयूरासन ,गोमुखासन , हलासन , धनुरासन ,आदि | सूर्य नमस्कार भी नमस्कार की भावना से किया जाता है अतः उसी नाम से जाना जाता है | …………………………..कुश्ती मैं मुस्लमान या अली ……..कहते हैं वहीँ हिन्दू जय बजरंग बलि ……….ऐसे ही मुस्लमान योग का इस्लामीकरण कर सकते हैं | ……………….आयुर्वेद को हिकमत ने और ज्योतिष को भी नजुमीओं ने अपनाया | तो फिर ज्ञान विज्ञानं से दुराव क्यों …? …………………………………….अब योग के लिए ओम की नहीं ,सात्विक होने की नहीं ,भगवत भक्ति की भी आवश्यकता नहीं है | ….केवल योगासन कर और ध्यान मग्न होकर अपना मनोरथ सिद्ध कर भोग विलास मैं लग जा | ……………....हेल्थ इस वैल्थ ,वैल्थ इस पावर ,पावर इस सोर्स ,सोर्स इस फ़ोर्स …………………….हेल्थ के लिए किये जाने वाले अन्य व्यायाम शरीर की मांश पेशियों मैं अकड़न लाते हैं | शरीर बुढ़ापे तक लचीला पन खो चूका होता है | वहीँ योगासन तन मैं लचीला पन बनाये रहता है | ध्यान से मन मष्तिक शांत करते ब्लड प्रेसर , हृदयाघात , पक्षाघात ,जोड़ों का दर्द से बचाव रहता है | ……………………………………………………………...जिसका ध्यान से मन शांत हो योगासन से शरीर स्वश्थ हो वह क्या कुछ नहीं सिद्ध कर सकता | जिस वस्तु की कामना वह करेगा उसे स्वयं ही हासिल कर सकता है | उसे किसी गुलामी या भक्ति की आवश्यकता नहीं रहेगी | …………………अच्छे दिनों के लिए भारतीय जनता पार्टी या मोदी जी की याचना की भी आवश्यकना नहीं रहेगी | ……………...यही मोदी जी का जनता के लिए लक्ष्य होगा की संसार के आम दीं दुखी जन योग से आत्मबल पाते स्वावलम्भी बनें | उन्हें अच्छे दिनों की कामना लिए याचक नहीं बनना पड़े | ……………….सतयुग मैं नारद जी दीं दुखियों के दुखों के नाश के लिए भगवत भक्ति ,कथा श्रवण मार्ग लाए | द्वापर मैं कृष्ण गीता लाए | कलियुग मैं मोदी जी अच्छे दिनों के लिए योग को जन सुलभ कर दुःख निवारण कर रहे हैं | ………अब योग के लिए किसी जाति,श्रद्धा भक्ति , ,धर्म संप्रदाय ,देश ,प्रदेश , स्त्री ,पापी पुण्यात्मा , गरीब अमीर ,का बंधन नहीं रहेगा | अब योग परलोक के लिए नहीं इस लोक के लिए ही ,मोक्ष्य की कामना से नहीं पुनर्जन्म की कामना से किया जायेगा | विकास के सुख भोगने के लिए पर्याप्त जीवन जो कम पड़ जायेगा | ……………………………………………..ओम शांति शांति शांति

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply