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कन्हैया होलीव्यंग भारत माता की परा जय नहीं बोलूंगा

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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कन्हैया एक ऐसा नाम जिसके बिना न होली हो सकती है ना ही राजनीती…..| चाहे ब्रज की होली हो या उत्तराखंड की बैठकी होली ,बंगाल की होली या महाराष्ट्र की गोविंदा होली …..| कितना भी छिछोरापन क्यों नहीं हो सात्विकता लाने के लिए केवल कन्हैया नाम ही उद्धार के लिए पर्याप्त होता है | जैसे होली मैं कन्हैया नाम ही होली का रंग भर देता है ,वैसे ही वर्तमान राजनीती भी विन कन्हैया अब नहीं चल पाएगी | ……………………………………………...हमारे देश के व्यंग सम्राट माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को कौन नहीं जानता | नरों मैं श्रेष्ठ को ही नरेंद्र कहा जाता है | व्यंग से राजनीती चलाना और किले दर किले फतह करना उनके वाणी का कमाल है | व्यंग के लिए विद्वता तो होनी ही चाहिए साथ मैं वाणी पर भी संयम आवश्यक होता है | किस तरह कन्हैया की द्वारका पर व्यंग वाणों से कांग्रेस को परास्त करते राज पाठ निभाया यह भी जग जाहिर है | …….कन्हैया (मन मोहन ) को अपने व्यंग वाणों से बींध कर मौन धारण करने को बाध्य किया | कांग्रेस भी किस तरह व्यंग वाणों के चक्रव्यूह मैं फंसती अपनी सत्ता गंवाने को मजबूर हो गयी | … ……कोई भी विश्वास नहीं कर सकता था की एक हिन्दू विचारधारा वाली सरकार अपना सुशासन चला पाएगी | यहाँ तक की अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी भी सतर्क कर गए थे की अगर देश सहिष्णु बना रहे तो बहुत आगे जा सकता है |..असहिष्णुता के प्रहार दर प्रहार होते रहे किन्तु मोदी जी के व्यंग वाणों के आगे क्षण भर भी नहीं टिक पा रहे हैं | होली पर व्यंग बाण हास्य पैदा करते गुदगुदाते हैं | साहित्य मैं साहित्य श्रजन करते हैं | किन्तु व्यंग वाणों से शासन सत्ता चलाना एक अनोखी कला है | …सिद्धी ऐसी प्राप्त है की दुश्मन से भी वही बुलवा देते हैं जो उनके शासन सत्ता चलने को हितकर होता है |……..जो दुश्मन बोलेगा उन्हें ज्ञान हो जाता है ,वैसी ही प्रतिक्रियाकारक व्यंग वाणों का प्रहार मोदी जी कर देते हैं | …………………………..कौन विश्वास कर सकता था कि कट्टर पंथी मुस्लिम भी भारत माता की जय जयकारे लगाएंगे | मोहन भगवत से लेकर ओबेसी और सूफी संतों को भी अपने व्यंग सम्मोहन से बींध डाला | अब न चाहते हुए भी भारत माता की जय निकलता जा रहा है | धन्य हो मोदी जी ………..| भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व भी मोदी के व्यंग वाणों का लोहा मानता जा रहा है | कोलाहल करती .राज्य सभा हो या लोक सभा ,अमोघ व्यंग वाणों के आगे .मौन हो जाती है | किसी मैं प्रतिक्रियात्मक व्यंग बाण चलाने .की बुद्धि नहीं उपज पाती है | …विश्व सांस्कृतिक समारोह का शानदार आयोजन कर भारत की विश्व गुरु बनने की ख्वाहिस भी पूरी कर दी | आमिर खान और शाहरुख़ खान जैसे असहिष्णु असहिष्णु करने वाले भी नतमस्तक होते सहिष्णु सहिष्णु करने लग गए है | अ उनके स्वरों मैं साईलेंट हो गया है | ……………………………………व्यंग वाणों से काल्पनिक नकली लाल किए से फतह करते असली लाल किले ,चीन ,जापान ,अमेरिका ,फ्रांस ,इटली ,संयुक्त राष्ट्र ,ब्रिटेन जैसे किले भी फतह कर चुके हैं | रास्ते मैं पड़ने वाले नेपाल जैसे किले तो उन्होंने चुटकियों मैं फतह कर लिए हैं | …………..लगता है पांच साल ख़त्म होते होते वे इंद्रासन पर भी अपनी दृष्टि डालना शुरू कर देंगे | …इन्द्र अपनी कूटनीतिक चाल न चल दे इसके लिए सावधान रहना होगा | …..इन्द्र के पास तो ब्रह्माण्ड भर की व्यंग वाणों से लेस सामग्री होती है | तपस्या को भंग करना उसके बाएं हाथ का खेल होता है | ………………………………………………………………………..”तीखे व्यंग वाणों के रचयिता मोदी जी अपने अनुयायियों को भी अपने जैसे व्यंग वाणों से लेस करते जा रहे हैं ………..क्यों कि वे जानते हैं कि ……..श्रेष्ट पुरुष जो जो आचरण करता है अन्य पुरुष भी वैसा वैसा आचरण करते है वह जो प्रमाण कर देता है समस्त मनुष्य समुदाय उसी के अनुसार वरतने लग जाता है | ” ………………………………………………………(.यह मोदी जी ने राज्य सभा मैं गीता का सन्दर्भ देकर कहा था )…………………………………….इसीलिये सर्वत्र मोदी जी के अनुयायियों ,द्वारा तीक्षण व्यंग वाणों का प्रहार यत्र तत्र सर्वत्र दृष्टिगोचार हो रहा है | दुश्मनों मैं ,प्रतिद्वंदियों मैं त्राही त्राही हो रही है | कैसे इस ब्रह्मास्त्र का काट किया जाये …..? |..किन्तु चिंतक परेशान हैं अति सर्वत्रे वर्जति……….. किन्तु अनुभवी प्रतिद्वंदी धैर्य बनाये रखने की सलाह दे रहे हैं |…………………………………………एक हिन्दू नेता द्वारा जन गण मन अधिनायक ……जय हे …..को भी …..सुधार का मुद्दा बनाया था | केवल एक खुदा के आलावा किसी और की जय न बोलना अपने धर्म सम्मत मानने वाला भी सबसे बड़े मंच पर चिल्ला चिल्ला कर भारत माता की जय ….भारत माता की जय ….भारत माता की जय …..कहता है | ..यही है एक पराक्रमी सम्राट की पहिचान | ……………………………….……………………….मुर्ख होते हैं हिरण्यकशिपु से सम्राट जो अपने बेटे प्रहलाद से भी अपने दुश्मन की जय बोलने से नहीं रोक पाते हैं | प्रहलाद पिता के दुष्मन विष्णु की जय बोलता है | दूसरे लोक की जय बोलता है | और बेटे प्रहलाद द्वारा दुश्मन की भक्ति आखिर हिरण्यकशिपु की मौत का कारण बनती है | काश हिरण्यकशिपु मैं भी ऐसी व्यग बुद्धि होती …….अहंकारी ,बल से मद मस्त सम्राट व्यंग बुद्धि के अभाव मैं मारा गया | भक्त प्रहलाद अमर हो गया | और भक्त प्रहलाद को जलाने की कोशिश करने वाली होलिका भी अमर हो गयी | होलिका मैया की जय होलिका मैया की जय से होली त्यौहार भी अमर हो गया |.लेकिन तब राजतन्त्र था राजाज्ञा का पालन पुत्र को भी करना होता था | तब भी दुश्मन का नाश करने के लिए दुश्मन के घर मैं अपने भक्त पैदा कर दिए जाते थे | क्या आजकल के कलियुगी लोक तंत्र के हिसाब से क्या प्रहलाद ने देश द्रोह किया था …? पिता देश के दुश्मन की भक्ति करके अपने ही पिता देश के राजा की मौत का कारण बना | कुशल मायावी की यही पहिचान होती है | जो देश द्रोही सिद्ध किया जा रहा था उसे राजपाठ दिलवा दिया | ..दुष्मन का भी अंत कर दिया | सर्वत्र भक्त प्रहलाद के साथ अपनी भी जय जय करवा दी | .. ……………………… .काश उस युग मैं भी फारुख अब्दुल्ला जैसे दबंग विद्वान होते जो जो प्रह्लाद को पिता और देश की जय बोलने मैं कोई हर्ज नहीं कह पाते | एक पिता हिरण्यकशिपु को पुत्र को मारने का प्रयास करने के पाप का भागी नहीं होना पड़ता | न ही प्रह्लाद , पिता की हत्या से पितृ दोष से पीड़ित होता | ………………………………………..काश मदमस्त ज्ञान ,विज्ञानं बल से अहंकारी रावण मैं भी यह व्यंग बुद्धि होती जो विभीषण को अपने दुश्मन की जय करने से रोक पाती | तो आज इतिहास कुछ और ही होता | विभीषण ने भी लंका की जय ,रावण की जय नहीं बोलकर देशद्रोही सी यातनाएं भोगी | उसे भी व्यंग बुद्धि के पराक्रम से राजपाठ मिला | ……………………………………………...अपरम्पार होती है व्यंग बुद्धि की महिमा …… व्यंग बुद्धि के भगवन विष्णु माने जाते हैं | कैसा भी कठिन संकट किसी पर पड़ा हो विष्णु भगवन की व्यंग बुद्धि तुरंत हल खोज लेती है | ……………………मधु कैटभ नामक भयंकर राक्षशों का अंत करके …… ब्रह्मा जी पर पड़े संकट को विष्णु ने चुटकियों मैं अपनी व्यंग बुद्धि से हर लिया था | शिवजी महादेव कहे जाते हैं वे भी तीनों लोकों मैं भस्मासुर से अपनी जान बचते भागते रहे ,अंत मैं विष्णु ने ही भस्मासुर को व्यंग बाण से बुद्धि को हर लिया और उसने अपने सर पर ही हाथ रखते अपने आप अपना अंत कर लिया | समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब राक्षस छीनने लगे तो मोहनी बन कर अपने व्यंग बाण राक्षशों पर चलाये और अमृत को राक्षशों से बचाया | केवल राहु केतु ही उसका पान कर पाये | .तीनों लोकों मैं भ्रमण करते नारायण नारायण से विष्णु भक्ति करने वाले विदुषी नारद जी को भी अपने व्यंग बाण से सुन्दर होने का अहसास करा दिया था जिससे वे विवाह करने को लालायित होकर स्वयम्बर मैं पहुँच गए थे |……चतुर हिरण्यकशिपु की बुद्धि को भी अपनी व्यंग धारा से भ्रमित कर दिया था | जिसके कारन उन्हें नर्सिंघावतार लेना पड़ा था | अपने अलग अलग अवतारों मैं विष्णु भगवन की व्यंग बुद्धि ही थी जिनसे पालनहार विष्णु ने संसार की विपदाएँ हरी थी | ……………………………………………………….भारत के महान विद्वान विदुषी साधु संत अब मानने लगे हैं की हमारे देश के महान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ही भगवन विष्णु का अवतार हैं ……………….अष्ट सिद्धी नव निधि के दाता अब उन्हें माना जा रहा है | जो भी कला भगवन के अवतारों मैं होती है सब उनमें विद्यमान दीख रही है | जिनके राज्य मैं विश्व आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर जी देव गुरु बृहस्पति की तरह विश्व सांस्कृतिक समारोह से अपनी पताका फहरा रहे हैं | योग गुरु अपनी चाणक्य बुद्धि से रोगों शोकों के साथ साथ दुश्मनों को भी परास्त कर देते हैं |.सर्वत्र राम राज्य को भी मात करता विश्व गुरु ,मोदी राज के गुण गान हो रहे हैं | ……………………………...ब्रज मैं बाल कन्हैया गोपियों के माखन चुराते रहे फिर बड़े होते दिल चुराकर आहत किया | गोपियों के संग रास रचाया | …तत्कालीन शासक कंस ने देश द्रोही सिद्ध कर कन्हैया को मारने के अनेक असफल प्रयास किये | आज वही कन्हैया बसंत ऋतू मैं होली के रूप मैं कामदेव को अपनी सत्ता का अहसास यौवनांगों को कर देते हैं | …………………..आरम्भ मैं कोई भी प्रह्लाद हो या कन्हैया मार खाते ही हैं | अपने आप कोई स्थापित करने के लिए सब सहना पड़ता है | …………………………………………………….जे एन यूं के कन्हैया को अपने व्यंग वाणों से मारना हर व्यक्ति का धर्म बन जाता है | जैसे कोई चोर ,या पाकेटमार पकड़ा जाता है तो वहां राह गुजरते सभी अपना अपना धर्म दो चार हाथ जड़ कर निभा ही देते हैं | लगता है जिन्होंने हाथ जड़े हैं सभी चोर नहीं रहे | यह सिद्ध करना भी होता है | ……………………………..जे एन यूं का कन्हैया देश द्रोही है ,देशद्रोहिता पर तीखे तीखे व्यंग बाण मारते कन्हैया को आहत करना भी यही सिद्ध कर देता है की आहत करने वाला स्वयं देश भक्त है | अपनी देश भक्त होने की इससे बड़ी क्या प्रमाणिकता हो सकती है | इसीलिये कन्हैया पर प्रहार करना देश भक्ति का द्योतक हो गया है | ……….देश भक्त और देश द्रोहिता भी अजीब होती है | सत्तारूढ़ जिस को देश द्रोही सिद्ध करते उसका नाश करना चाहती है ,वहीँ कालांतर मैं वही देश भक्त सिद्ध हो सत्ता पा लेता है | या क्रांतिकारी ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन कर सम्मानित होता है | …………………………….कोई भक्त और कोई अपने को भगवन भी सिद्ध कर देते हैं |……………………………………………………………………….जैसे भी हो ओम शांति शांति शांति हो ही जाती है |

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