भारत के ९० प्रतिशत क्षुद्रो ,,,न इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ अभियान से तुम्हारी क्षुद्रता हटी , न ही मोदी जी के अच्छे दिन अभियान से हटने वाली है || मोदी जी २०२४ तक के लिए वायदा किया है अमित शाह २५ वर्षों मैं अच्छे दिन लाते क्षुद्रता हटाने का वायदा करते हैं | …किन्तु नीतियां उच्च वर्णों के लाभ की ही लाते हैं | न गरीबी हटेगी ना ही अच्छे दिन आ पाएंगी | ……….बस वोट देते रहो …|..तुम क्षुद्र हो क्षुद्र ही रहोगे …|.……………………………………………. मनु व्यवस्था मैं चार वर्ण होते हैं ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य ,शुद्र | ऐसे ही राजनीती मैं भी चार वर्ण होते हैं ….विधायिका मैं जा चुके विधायक ,सांसद अदि ब्राह्मणत्व प्राप्त उच्च वर्ण होता है | सरकारी कर्मचारी यानि कार्यपालिका क्षत्रियत्व प्राप्त सम्मान योग्य होते हैं | तीसरा वर्ण वैश्य राजनीती मैं भी वैश्य ही होता है जो व्यवसाय ही करता है | बाकि चौथा वर्ण जिसका कोई निच्चित स्थिर कार्य व्यवसाय नहीं होता वे राजनीती मैं भी क्षुद्र ही माने जाते हैं | वे अपने धर्म का भी निर्धारण नहीं कर पाते | ……………राजनीती के …..तीनों उच्च वर्ण विधायिका ,कार्यपालिका और व्यवसायी किसी भी देश राजनीती के कर्णधार होते हैं | जिनसे राज शासन सरकार चलती है | अतः उनको ही ध्यान मैं रखकर कोई भी नीति निर्धारण किया जाता है | मंहगाई ,विकास भी इन्हीं को ध्यान मैं रखकर किया जाता है | …………….यह तीनों राजनीतिक वर्ण कुल आबादी के कितने होते होंगे …? अनुमानतः विधायिका एक प्रतिसत ….कार्यपालिका यानि सरकारी कर्मचारी लगभग पांच करोड़ (राज्य और केंद्र दोनों मिलकर ) व्यवसायी (स्थिर ,अस्थिर दोनों मिलकर )…लगभग दस करोड़ …| …………………………….बाकि बचे सभी अस्थिर जनता जो किसान हो या प्राईवेट कर्मचारी ,दैनिक मजदूर या इसी तरह के लोग और उनसे जुड़े परिवार ,क्षुद्र ही कहलाते और बने रहते हैं | आबादी के ९० प्रतिशत होते हैं |…………………………………………………………………………………………….देश का विकास केवल दस प्रतिशत उच्च वर्ण के लिए ही होता है | टैक्स वे ही देते हैं अतः नीतियों का निर्धारण भी उन्हीं के लिए होता है | महगाई उन्हीं के लिए आती है ,अतः मंहगाई भत्ता के हक़दार भी वे ही रहते हैं | समय समय पर बेतन आयोग होते हैं और यह तीनों उच्च वर्ण लाभान्वित होते रहते हैं |……….मंहगाई भत्ता देने मैं , समय समय पर टैक्स बढ़ाने मैं .पेट्रोल ,डीजल ,रेल ,बस किराया बढ़ाने मैं आदि आदि जो दबाब पड़ता है और उससे जो मँहगाई बढ़ती है उसको यह उच्च वर्ण सहजता से झेल लेते हैं | ………किन्तु क्षुद्र वर्ण क्षुद्र से ऊपर नहीं उठ पाता है | ……….कहा जाता है लोक तंत्र जहाँ समाज के सभी वर्गों को दृष्टिगत ही नीतियां बनती हैं | किन्तु इस ९० प्रतिशत क्षुद्र वर्ण को नगण्य ही मान लिया जाता है | …………………………………………….जिसका रोजगार निश्चित नहीं ,जिसकी आय निश्चित नहीं वे कैसे इस वेतन आयोग से या टैक्स से बड़ी मँहगाई को झेलेंगे | छठे वेतन आयोग से पाहिले दस हजार भी न पाने वाले सरकारी क्लर्क सातवें बेतन आयोग के बाद लाख तक पहुँच जायेंगे | किन्तु प्राईवेट क्लर्क पांच से कितना ऊपर बढ़ते हैं या वह भी नहीं रहते सब भगवन भरोसे | विधायिका तो सर्वे सर्वा है वहां तो गुने भत्ते बढ़ते हैं | व्यवसायी को तो किसी मँहगाई का कोई फर्क नहीं पड़ता है | ………………………………नीतियां ऐसी क्यों नहीं बनती जिनसे सम्पूर्ण जनता लाभान्वित हो | मँहगाई भत्ता ,बेतन आयोग लागु केवल कुछ ही पांच करोड़ लगभग पाते हैं किन्तु उसका दुष्परिणाम ९० प्रतिशत जनता भुगतती है | ………..बेतन आयोग ,मँहगाई भत्ता तुरंत बंद कर देने चाहिए और ऐसी नीतियां बने जिनसे मँहगाई अंकुश मैं रहे | …..सरकारी कर्मचारी तो अपना बेतन बृद्धी सुनिश्चित कर लेते हैं किन्तु प्राईवेट सेक्टर तन्खा बढ़ाने मैं मजबूरी दिखता है | मजबूर जनता ही पिसती है | …………………………………..मोदी जी सवा सौ करोड़ जनता को पुकारते हैं किन्तु सुनते सिर्फ लगभग २० करोड़ की ही हैं | बाकि सब क्षुद्र ही लगते हैं जो २० करोड़ की जूठन पर ही अपने आप पलते जायेंगे | भाजपा हो या अन्य कांग्रेस अदि की सरकारें सभी की नीतियां इन्हीं उच्च वर्ण पर केंद्रित रही हैं | ..………………………………………..सवाल यह उठता है की लोक तंत्र मैं सभी को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है तो फिर क्यों नहीं यह 90 प्रतिशत क्षुद्र वर्ण अपनी आवाज बुलंद करता है | जबाब यही है की जिसका सुबह खाके शाम के खाने का इंतजाम करना होता है वह कैसे इन लफड़ों मैं पड़ेगा | ……………………………..इन उच्च वर्णों और निम्न क्षुद्र वर्णों के बीच की खाईयां इन बेतन आयोगों से दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही हैं | फिर कैसे भ्रष्टाचार विहीन , नैतिकता विहीन ,धार्मिक आस्थाओं वाली शांति कारक भावनाएं पनपेंगी | लूट पाट भ्रष्टाचार का सर्वत्र बोल बाला होता जायेगा | …….क्या भविष्य मैं किसी क्रांति की आशंका नहीं हो जाएगी | भारत वैसे भी दुनियां का सबसे घनी आबादी वाला देश है | ………..क्या रूस की ,मजदूर क्रांति ,चीन की क्रांति के बाद भारत ही क्षुद्र क्रांति का चक्र चलाएगा | …….अरस्तु की परिकल्पना मैं राज तंत्र ,लोकतंत्र के बाद क्रांति अवश्य आती है | यह बेतन आयोग क्या इस क्रांति को जल्दी लाने के बाहक कारक नहीं बन जायेगा | ………………………………दुनियां का एक सबसे घनी आबादी वाला देश ,दुनियां के अन्य संसाधन पूर्ण विस्त्रत क्षेत्रफल वाले देशों की प्रतिस्पर्धा कर रहा है | ..यहाँ आसमान छूता विकास तो दिखेगा किन्तु रसातल को जाता क्षुद्र समाज नहीं दिखेगा | ……..घर जमाई बन चूका सरकारी तंत्र अपने ससुर से कभी संतुष्ट नहीं होता | इतना सब कुछ मिलने के बाद भी असंतुष्ट मुंह सुरसा की तरह फैलता ही जा रहा है | उसे यह चिंता नहीं सरकार पैसा कहाँ से लाएगी | पैसा कोई पेड़ मैं तो नहीं उगता लौट फेर कर और टैक्स लगेगा जिससे और मंहगाई बढ़ेगी | और अपने ही भाई क्षुद्रों से खाईयां बढ़ती जाएंगी | …………जो हिन्दू मुस्लमान ,सिख ईसाई ,ब्राह्मण ,क्षत्रियय वैश्य ,शुद्र न होकर केवल उच्च वर्ण और क्षुद्र वर्ण की ही रह जाएगी | ……………………………छठे बेतन आयोग से पैदा खाई सातवें मैं सुरसा सी फ़ैल चुकी है | भगवन ही जाने आठवें बेतन आयोग तक तो कल्पना से बाहर होगा भारत की जनता के लिए |…………………………………………………किस तरह जीते हैं यह लोग बता दो यारो ,हमको भी जीने का अंदाज बता दो यारो …………इतना भी नहीं जानते मोदी जी का योग एह लोक के लिए होता है | …९० प्रतिशत क्षुद्र जनता लड़की को भ्रूण मैं ही मार देना चाहती है लड़कों से दहेज़ की आश लिए पालती है । योग तो इस लोक के लिए होता है अतः गुजारे के लिए योग करते स्वसथ रहते मिलावट खोरी ,चोरी ,चकारी , छल कपट ,छीना झपटी ,बलात्कार से अपनी पीडी का विकास कर ही लेते हैं । काम ,क्रोध मद लोभ मोह से इह लोक तो सुधर ही जाता है । कहा जाता है यह मरने के बाद नरक के कारण बनते हैं । किंतु मोदी जी कहते हैं बर्तमान मैं जीयो ।अतः पहले बर्तमान ही सुधारते हैं…..|चाणक्य नीति का पालन करते धार्मिक रुप धारण करते यह सब करके उच्च बर्ग मैं आने का प्रयास करते रहते हैं । लाखों करोडो मैं कोइ तो अपना वर्ण बदलने मैं सफलता पा ही लेता है । …………………….और शांति पा लेता है ।.ओम शांति शांति शांति के लिए योग भी परलोक मैं ही करना पड़ेगा
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