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जनमैंजय(मोदी जी)का सर्प(कालाधन)यज्ञ

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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व्यंग्य ….मोदी जी कहते हैं यह यज्ञ सात्विक है जबकि विपक्ष कहता है यह यज्ञ राजस भी नहीं है यह तामसी (.जो विधि विधान से रहित ,…मूढ़ता से ,हठ से , मन वाणी और शरीर की पीड़ा के सहित अथवा दूसरे का अनिष्ट करने के लिए किया जाता है और अपने अपने उद्देश्यों को लेकर होते हैं | ) है | क्या सच है इसको समझने के लिए ………………….महाभारत से जुडी एक कथा बताते है। यह कथा पांडव कुल के अंतिम सम्राट जनमेजय (अर्जुन के प्रपौत्र) से जुडी है।…………………जन मैं जय यानि विश्वविजयी ….|……………………………… जनमेजय ने एक बार पृथ्वी से सांपो का अस्तित्व मिटाने के लिए सर्प मेध यज्ञ किया था जिसमे पृथ्वी पर उपस्तिथ लगभग सभी सांप समाप्त हो गए थे। हालंकि अंत में अस्तिका मुनि के हस्तक्षेप के कारण सांपो का सम्पूर्ण विनाश होने से रह गया था, अन्यथा आज पृथ्वी पर सांपो का अस्तित्व नहीं होता। ……………………………………..आइये जानते है कौन थे जनमेजय और क्यों उन्होंने सांपो के सम्पूर्ण विनाश की प्रतिज्ञा ली थी ?महाभारत के युद्ध के बाद कुछ सालों तक पांडवों ने हस्तिनापुर पर राज किया। लेकिन जब वो राजपाठ छोड़कर हिमालय जाने लगे तो राज का जिम्मा अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को दे दिया गया। परीक्षित ने पांडवों की परंपरा को आगे बढ़ाया। लेकिन यहां पर विधाता कोई और खेल, खेल रहा था। एक दिन मन उदास होने पर राजा परीक्षित शिकार के लिए जंगल गए थे। शिकार खेलते-खेलते वह ऋषि शमिक के आश्रम से होकर गुजरे।

जनमेजय को जब अपने पिता की मौत की वजह का पता चला तो उसने धरती से सभी सांपों के सर्वनाश करने का प्रण ले लिया और इस प्रण को पूरा करने के लिए उसने सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के प्रभाव से ब्रह्मांड के सारे सांप हवन कुंड में आकर गिर रहे थे। लेकिन सांपों का राजा तक्षक, जिसके काटने से परीक्षित की मौत हुई थी, खुद को बचाने के लिए सूर्य देव के रथ से लिपट गया और उसका हवन कुंड में गिरने का अर्थ था सूर्य के अस्तित्व की समाप्ति जिसकी वजह से सृष्टि की गति समाप्त हो सकती थी।सूर्यदेव और ब्रह्माण्ड की रक्षा के लिए सभी देवता जनमेजय से इस यज्ञ को रोकने का आग्रह करने लगे लेकिन जनमेजय किसी भी रूप में अपने पिता की हत्या का बदला लेना चाहता था। जनमेजय के यज्ञ को रोकने के लिए अस्तिका मुनि को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिनके पिता एक ब्राह्मण और मां एक नाग कन्या थी। अस्तिका मुनि की बात जनमेजय को माननी पड़ी और सर्पमेध यज्ञ को समाप्त कर तक्षक को मुक्त करना पड़ा।………………..(..किन्तु मोदी जी के इस कालाधन मेघ यज्ञ को कौन रोक सकेगा कैसे जियेंगे काले धन के बिना …..?….कैसे होगा विकास ….? कौन बनेगा संकट मोचक आस्तिक मुनि …..? )……………………………………………….. यह यज्ञ इतना भयंकर था कि विश्व के सारे सर्पों का महाविनाश होने लगा था | जिस जिस सर्प की नाम लेकर आहुति दी जाती थी वह कितना ही सशक्त क्यों न हो ,या किसी के भी संरक्षण मैं क्यों न हो ,हवन कुंड मैं खिंचा चला जाता था और फिर स्वाहा हो जाता था |
।……………………………………………..(..ठीक उसी प्रकार मोदी जी के इस काला धन मेघ यज्ञ मैं भी काला धन धारक कोई भी क्यों न हो | शक्ति ,बुद्धि चातुर्य ,सत्ता या विपक्ष ,या किसी प्रकार का संरक्षण भी उसे नहीं बचा प् रहा है | यज्ञ मैं दी गयी आहुति उसे स्वतः ही हवन कुंड मैं खींचती स्वाहा कर रही है | अभी तो काला धन धारक सर्पों के नाश को ५० दिन ही बीते हैं | काला धन धारकों मैं त्राहि त्राहि मची हुयी है | मोदी जी तो कहते हैं यह तो आगाज ही है ,जब आगाज इतना भयंकर लग रहे तो अंत क्या होगा ……?.काला धन रूपी सर्प विहीन हो जायेगा भारत …..|)…………………………………..यज्ञ की असफलता के बाद राजा जनमेजय ने तो सम्पूर्ण राज-पाट त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया और कालसर्प योग और ब्रह्महत्या के प्रायश्चित करने हेतु वन की ओर प्रस्थान कर गये।………………………………….आखिर यह यज्ञ क्या है | क्यों किया जाता है | मोदी जी जिस यज्ञ को कर रहे हैं वह क्या है …?…………………………………..गीता मैं भगवन श्रीकृष्ण ने कहा है …………….प्रजापति ब्रह्मा ने कल्प के आदि मैं यज्ञ(टैक्स ) सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा की तुम लोग यज्ञ के द्वारा बृद्धि (विकास )करो और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो | तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा देवताओं को उन्नत (विकास ) करो और यह देवता तुम लोगों को उन्नत (विकसित ) करें | इस प्रकार निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे को उन्नत(विकसित ) करते हुए तुम परम कल्याण (विकसित )हो जाओगे | यज्ञ के द्वारा विकसित हुए देवता तुम लोगों को विना मांगे ही इच्छित भोग देते रहेंगे | इस प्रकार उन देवताओं के द्वारा दिए हुए भोगों को जो उनके बिना दिए भोगता है ,वह चोर ही है |………………….यज्ञ से बचे हुए अन्न को खाने वाले सब पापों से मुक्त हो जाते हैं | जो अपना शरीर पोषण करने के लिए ही अन्न पकाते हैं वे पाप को ही खाते हैं | …………………………..योगेश्वर ,सन्यासी ,फ़क़ीर ,चौकीदार मुख्य सेवक .मोदी जी के इस यज्ञ को “कालाधन मेघ यज्ञ ” का नाम दिया जा सकता है|….जैसे …देव यज्ञ नहीं करने वाले चोर ,घोर पापी हो जाते हैं | उसी प्रकार टैक्स न देने वाले भी चोर और पापी ही कहलाते हैं | और कला धन मेघ यज्ञ मैं स्वाहा हो रहे हैं | |………………………………………………………………………………….मोदी जी का इसी यज्ञ से लगा दूसरा सहयोगी यज्ञ है “कैशलेस मेघ यज्ञ ” | यज्ञ की पूर्णाहूति यज्ञ होगा भ्रष्टाचार नाशक ईमानदारी मेघ यज्ञ “| ………………………………………….यज्ञ मैं आहूति दी जाती है | बलि भी दी जाती है | …..जिस प्रकार जनमेजय ने विभिन्न काले सर्पों के नाम के साथ स्वाहा कहते अग्नि कुंड मैं आहूति देकर नाश किया वैसे ही मोदी जी के इन यज्ञों मैं विभिन्न काले सर्पों (काले धन वालों )की आहूति दी जा रही है | जिस प्रकार सर्पों के समूल के नाश का बीड़ा जनमेजय ने लिया था वैसा ही बीड़ा मोदी जी ने काले धन धारक सर्पों के नाश का लिया है | आहूति बराबर दी जा रही हैं | दी जाती रहेंगी जब तक कोई भी काले धन धारक बचा रहेगा | आगे को कोई काले धन धारक पैदा ही न हों इसके लिए डिजिटलाईजेस्न करते ‘कैशलेश यज्ञ ‘किया जाता रहेगा | जब यह यज्ञ पूर्ण हो जायेगा तो “भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदारी यज्ञ” स्वतः ही संपन्न हो जायेगा |………………………|| यज्ञ आगे भी चलते रहेंगे यह तो आगाज है यह कहना है मोदी जी का ….| ……..राम राज्य मैं भी सभी यज्ञ सम्पूर्ण करने के बाद अश्व मेघ यज्ञ किया गया था | जिसकी सफलता के बाद ही उस युग मैं सम्राट की उपाधि मिल जाती थी | इस युग मैं अश्वमेघ की सफलता विश्व गुरु का ख़िताब सुनिश्चित कर देगी |……………भारत एक बार फिर विश्व गुरु सोने की चिड़िया सा चमकेगा | …………………………………………..यज्ञ एक महान कार्य होता है जिसको देखने सुनने वाला भी कुछ न कुछ सहयोग अवश्य देता है | वहीँ इस महान कार्य का विध्वंश करने वाले भी कम नहीं होते | ………………………………………..पुरातन युग मैं राक्षस यज्ञ करने वाले ऋषि मुनियों के यज्ञ का विध्वंश कर देते थे | भगवन राम ऐसे राक्षशों का नाश कर ऋषियों को अभय दान देते थे | ……………………किन्तु यज्ञ भी तीन प्रकार के होते हैं …..(१).सात्विक …जो नियमानुसार ,कर्तव्य मानकर फल न चाहने वाले द्वारा किया जाता है .(२)राजस …जो केवल दंभाचरण से फल को दृष्टि मैं रख कर किया जाता है और (३)तामस …..जो विधि विधान से रहित ,…मूढ़ता से ,हठ से , मन वाणी और शरीर की पीड़ा के सहित अथवा दूसरे का अनिष्ट करने के लिए किया जाता है और अपने अपने उद्देश्यों को लेकर होते हैं | …………………………मोदी जी कहते हैं यह यज्ञ सात्विक है जबकि विपक्ष कहता है यह यज्ञ राजस भी नहीं है यह तामसी है | . कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का उत्तर प्रदेश की भावी मुख्य मंत्री शीला दिक्षित जी को बलिदान करने का निश्चय ही यह सिद्ध करता है की यज्ञ के प्रति कितनी आस्था रखते हैं | राहुल गाँधी और विपक्ष की नजरों मैं १५० निरीह गरीबों की बलि चढ़ा दी गयी है | किसानों ,गरीबों के रोजगारों की बलि चढ़ा दी गयी है | व्यवसायों की बलि चढ़ाई जा रही है | इंजीनियरिंग कॉलेज ,मेडिकल कॉलेजों की बलि चढ़ रही है वे बंदी की तरफ उन्मुख होते जा रहे हैं | बड़ी बड़ी फैक्टरियां कर्मचारियों की छटनी कर उनकी बलि चढ़ा रही हैं | रोजगार की तो यह हालात है की बी टेक इंजीनियर सफाई कर्मचारी के लिए आवेदन कर रहे हैं ,उसमें भी वेरोजगारों का शोषण कि इंटरव्यू देने के पात्र वो ही बन रहे हैं जो गंदे नालों नालियों को पाहिले साफ करेंगे |+ ………………….शतरंज मैं भी किंग को मात देने के लिए बड़े से बड़े प्यादे भी पिटवा दिए जाते हैं | | राहुल गाँधी का किंग मोदी जी पर शह और मात का ख्वाब क्या सफल हो पायेगा …? या मोदी जी की एक और मात सहनी पड़ेगी | राहुल गाँधी का मोदी जी पर लांछन और फिर जाँच की मांग ,५० दिन बाद नोट बंदी यज्ञ की असफलता पर स्तीफा की मांग , क्या मोदी जी इस शह से निकल पाएंगे ….? जनमेजय ने तो सर्प जाति के नाश के लिए यज्ञ किया था | मोदी जी भी काले धन वालों के नाश के लिए यज्ञ कर रहे हैं | ……………………………….जनमेजय , जन मैं जय नहीं कर पाए | और सन्यासी बने | किन्तु मोदी जी की अब भी जन मैं जय जय कार हो रही है | ……………यज्ञ केवल वो ही नहीं होते जो हवन कुंड बना कर किये जाते हैं | ……………………………….या केवल हिंदुओं द्वारा किये जाते हैं | यज्ञ विभिन्न धर्मीयों ने ,विभिन्न विचारकों ने अपने अपने ढंग से किये हैं |विभिन्न देश अपने अपने ढंग से करते आए हैं | सफलता असफलता तो लगी रहती है | ………………………………………………………ॐ शांति शांति शांति

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