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मैं कहीं रावण न बन जाऊँ, तेरे प्यार मैं ओ बहिना

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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राजनीतिज्ञों का रक्षाबंधन देखकर यह भ्रम सा लगता है की इस रक्षा बंधन की राजनीतिज्ञ कूटनीति क्या होगी | राजनीतिज्ञ को रक्षाबंधन से बाँधना राजनीती है या बंधवाने वाले की कूटनीति | राजनीतिज्ञ किसी काम को भी बिना राजनीती नहीं करता | वहीँ अब बहिन भी कूटनीति जानती है | रक्षा बंधन भाई बहिन के भावविभोर प्यार का त्यौहार | एक भावनात्मक लगाव ,संरक्षक भाई की परिकल्पना हर बहिन मैं होती है | और भाई भी अपनी सामर्थ्य से भी अधिक मरने मारने वाले भावों से बहिन की रक्षा का बचन देना चाहता है | कभी कभी यही प्यार रावण को जन्म दे देता है | सूर्पनखा अपने भाई के बचन को अपनी अनैतिक्ताओं मैं भी भुनाती है और लंका नाश के साथ भाई के कुल का नाश का कारण भी बन जाती है | कंश जब अपनी बहिन के प्यार मैं पागल सा हो जाता है | तो उसका मार्ग दर्शन करने वाली आकाशवाणी को ही उसने शत्रु मान लिया | और बहिन को प्रताड़ित करना आरम्भ किया | वहीँ कृष्ण और सकुनी ने भी बहिन के प्यार मैं पागल हो महाभारत को जन्म दिया | जिस बहिन ने रक्षा बचन भाई से ले लिया वह अपने भात्र प्रेम को अनैतिक्ताओं मैं भी भुनाती नहीं चुकती है | विवाह पर्यन्त ससुराल भी भाईयों पर ही निर्भर हो ससुराल के लिए सिरदर्द बन जाती है | यदि भाई सबल होता है तब वह भी अपनी बहिन को दिए बचन को निभाने के लिए भरपूर सहयोग करता है वहां नैतिकता ,अनैतिकता उसकी कसौटी नहीं होती | वहीँ पति पत्नी अनबन , सास ,ननद नाते रिश्तेदार सभी असहनीय लगने लगते हैं | या तो परिवार मैं विखराव होता है या मार पीट ,कोर्ट कचहरी ,जलाकर मार देना ,तलाक तक होती है | ……….बहिन का प्यार कितना अच्छा लगता है उससे भी अच्छा तब लगता है जब किसी बहिन के संरक्षक बनते भाई उसकी रक्षा करता है | बहिन का भी यही धर्म होना चाहिए की वह अपने भाई के धर्म को नैतिकता मैं ही रहने दे | उसके लिए संकट का कारण न बने | कितने भाई अपनी बहिन को छेड़ने वालों से लड़ मरते हैं | क्यों ऎसी घड़ी पैदा की जाये की भाई को युद्ध मैं झोंक दिया जाये | अपने पहनावे और आचरण को सुधार कर भी ऎसी स्तिथी को आने से रोक जा सकता है | हर भाई रावण सा ससक्त नहीं हो सकता ,जो अपनी सूर्पनखा बहिन के कुकृत्यों को अपनी शक्ति से नगण्य कर दे | भाई बहिन का प्यार राजनीती ,कूटनीति नहीं होता | राजनीती मैं रक्षाबंधन भी कूटनीति ही होती है | अपना कार्य सिद्धी हेतु किसी को भी भाई के बंधन से भावनात्मक जोड़ते अपना कार्य सिद्ध कर लिया जाता है | किन्तु प्रत्यक्ष मैं भाई जिस प्रकार बहिन पर सर्वश्व न्योछार करना चाहता है ,बहिन भी यही भावनात्मक दोहन करती है ,तो वहीँ बहिन का भी धर्म भाई के हितों की रक्षा होता है | किन्तु समाज मैं सुर्पनखाओं की कमी नहीं होती और भाई के कुल का नाश करती रहती हैं | ……….नैतिकता के लिए भाई का सहारा लेना ही बहिन का धर्म होना चाहिए वहीँ भाई का भा यह कर्तव्य होना चाहिए की जब बहिन कभी पथ भ्रष्ट होते सहयोग चाहे तो उसे उचित मार्ग दर्शन देते ही रक्षा करे | ………………………………………………………………………...लेकिन यह परिकल्पना ही लगती है जहाँ ऊपर से नीचे तक सम्पूर्ण समाज भ्रष्ट हो चूका है वहां नैतिकता वेकार की बातें ही लगती हैं | सिर्फ बहिन पर होते अत्याचार ही नजर आते हैं और भाई रावण मार काट तक कर बैठते हैं | सिर्फ भाई बहिन का रिश्ता ही नजर आता है | और उसकी रक्षा करना धर्म..…….. | होता भी यही आया है और होना भी यही चाहिए | तभी भाई बहिन का प्यार नजर आएगा | ……………………………………………………..ओम शांति शांति शांति

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