योगश्च चित्त बृत्ति निरोधः”,सुलभ योग,मेड इन इंडिया (४)
PAPI HARISHCHANDRA
216 Posts
910 Comments
एक योगासन ध्यान करने वाले योगी एक दिन योगासन मैं पूर्ववत दिनों की तरह मग्न थे | किन्तु वे व्यथित थे ,क्योंकि उनकी चित्त बृत्ति नारी के सुन्दर अंगों को अपनी स्मृति से नहीं हटा प् रही थी | उनका यौनांग बार बार उत्तेजित हो उठता था | अंत मैं वे शवासन मैं लेट गए उन्होंने अपने मन मस्तिष्क और शरीर को ढीला छोड़ दिया | और शवासन मैं ही सम्भोग से समाधी मार्ग की और बड़ गए | सम्पूर्ण यौन क्रियाएँ उनके मन मष्तिस्क मैं चित्र पट की तरह आ गयी | आखिर समाधिष्ट योगी स्खलित हो गए | …………………………………….इससे भी अधिक शर्मिदगी की स्तिथी तब आई जब स्नान करने के पश्चात पूजा गृह मैं पूजा करते प्राणायाम और फिर ध्यान मग्न ,किन्तु यह क्या फिर उनकी चित्त बृत्ति नारी के सुन्दर यौनांगों मैं उलझ गयी ,लाख कोशिशों के बाद भी वे अपनी चित्त बृत्ति वहां से नहीं हटा पाये ,उनका यौनांग बार बार उत्तेजना पाने लगा | ध्यान मग्न योगी फिर सम्भोग से समाधिष्ट हो गए | अंत मैं आसन मैं ही अपनी धोती ख़राब कर बैठे | ………………………………………………..पिछले अंक मैं प्राणायाम ध्यान की स्तिथि तक पहुँच चुके साधक अब अपने अपने मार्ग को चुनते अपना सिद्धी मार्ग बदल देते हैं |…एक मार्ग भौतिक सिद्धियों की और जाता है दूसरा आध्यात्मिक | ………………………………………………………प्राणायाम ………………………………………………………ध्यान …………………………….सिद्धियां……..1)..भौतिक ..२)…..आध्यात्मिक ………………भौतिक सिद्धियों मैं विद्यार्थियों को विद्याध्यन मैं एकघ्रता ,व्यापारियों को व्यापर सिद्धि , वैज्ञानिकों को विज्ञानं की खोज सिद्धि ,,राजनीतिज्ञों को सत्ता सुख की सिद्धी | लेकिन कुछ सिद्ध चलते आध्यात्मिक सिद्धि मार्ग पर हैं ,किन्तु मार्ग मैं मिलती भौतिक सिद्धियों को भी भुनाते जाते हैं (स्वामी राम देव जी और नरेंद्र मोदी जी भी परम सिद्ध इसी मार्ग के हैं )| भौतिक सिद्धियों के लिए प्राणायाम ध्यान उन्हीं देवताओं का और मन्त्रों का किया जाता है , जिस सिद्धी से उनका सम्बन्ध होता है | मोदी जी का सिद्धि उद्देश्य मुख्य मंत्र्री से प्रधान मंत्री का था जो उन्होंने नकली लाल किले को ध्वस्त करके प् ही लिया | ध्यान मैं धीरे धीरे मन्त्रों का जप किया जाता है जो आरोही क्रम से बड़ा सकते हैं | फिर अपनी सामर्थ्य के अनुसार स्थिर कर सकते हैं | मनोकामना सिद्ध होने बाद भी साधारणतया अपनी साधना जारी रहने दी जाये | जिससे मति भ्रम न हो | ……………..जो मन्त्र जप को नहीं जप सकते वे अपनी मनोकामना सिद्धी को बारम्बार ध्यान मग्न हो ईश्वर से कह सकते हैं | धीरे धीरे यही ध्यानमग्न मनुष्य चिंतन अवश्था मैं अपने मार्ग को खोज लेता है | ईश्वर कुछ करे या न करे किन्तु अपना आत्मबल सब कुछ कर सकने की शक्ति पैदा कर देता है | सिद्धि मिल गयी तो पौ बारह …| …………….सिद्धी प्राप्ति मैं श्रद्धा और धैर्य आवश्यक होता है | धैर्य ख़त्म होते श्रद्धा ख़त्म होने लगती है | ……..सिद्धी प्राप्ति के लिए नरेंद्र मोदी जी को परिब्राजक के रूप मैं साधना करते ३० वर्ष से भी अधिक समय लगा | अब वे परम सिद्ध पुरुष बन सके हैं | बाबा राम देव जी बचपन से योग करते अब सिद्ध हो पाये हैं | .……..आखिर सिद्धि क्या है …? अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाना तो किसी के साथ भी हो जाता है किन्तु सिद्धी का मतलब यह होता है की जो बोलो वह हो जाये | जो आशीर्वाद दे दो वह हो जाये | जो सोचो वह हो जाये | नरेंद्र मोदी जी की वाणी सिद्ध हो चुकी है जो वह बोलते हैं सारा मीडिया वही सुर बोलने लगता है | जनता वही सोचने लगती है | यहाँ तक की विश्व के लोग भी वाही सोचने लगते हैं | यह सिद्धी महात्मा गांधी मैं भी थी | ………………………………………………………….२)….आध्यात्मिक सिद्धियां …………….इसको पाने के लिए प्राणायाम ध्यान मैं कामना रहित ईश्वर का ही ध्यान मन्त्र जपना चाहिए | संसार के भौतिक सुखों की कामना नहीं की जाती है | कुण्डलिनी और समाधी होते ही योग यानि ईश्वर साक्षात्कार होता है | जो केवल सन्यास लेकर ही संभव हो सकता | ……………………………………..क्योंकि चित्त वृत्तियों पर नियंत्रण एक गृहस्थ को असंभव है | आखिर साधक भौतिक सिद्धियों मैं ही उलझकर शांति पाने लगता है | …………....कोई जल्दी सिद्धी पाने के लिए इन दोनों को मिला कर तांत्रिक सिद्धियां प् लेते हैं | तांत्रिक सिद्धियां भी दो उद्देश्य से की जाती हैं | एक अच्छे काम के लिए दूसरी किसी का अहित करने के लिए | ……………..………………………….सिद्धी पाने का मार्ग सुगम हो गया है तो चित्त बृत्ति निरोध का भी सुगम …| पाहिले उद्देश्य केवल चित्त बृत्ति को संसार से हटकर भगवत चिंतन ही होता था | किन्तु अब भगवन से हटकर भौतिक सुखों की और होता है | …………………………………………योग से चित्त बृत्ति निरोध न होकर शांत तो हो सकती हैं | ……………….देखना यह भी होगा की योगी किस चित्त बृत्ति को शांत करना चाहता है | जैसे बचपन से गीता पढ़ाकर ब्रह्मचर्य का पालन कराकर उसे गृहस्थ मैं जाने से रोकते सन्यास की और अग्रसर कर सकते हैं | ………..या आजकल के मुक्त यौन ज्ञान देकर गीता को न छूने की सलाह देकर गृहस्थ सुख भोगते वंश परम्परा कायम करते ,अपने लिए तर्पण श्राद्ध करने वाला तैयार किया जाये | ……..……………योग से चित्त बृत्ति निरोध ज्ञानी सांख्य योगी तो नहीं कर पाते हैं तो कैसे कर्मयोगियों से जो सांसारिक हैं गृहस्थ हैं की जा सकती है | …………………...काम,क्रोध मद लोभ,मोह जैसी बृत्तियों से भगवन शिव को भी बचने के लिए ध्यान मग्न ही रहना पड़ता है | …………………..आजकल के विकसित मनुष्य ने इस चित्त बृत्ति निरोधी योग का उपयोग ढूंड लिया है | ध्यान मग्न राजनीतिज्ञ चाणक्य नीतियां सिद्ध करने लगा है | धर्म अधर्म ,अच्छा बुरा क्या है यह कुछ भी एक साधक योगी राजनीतिज्ञ सिद्ध कर देता है | …अब चित्तबृत्ति निरोध ब्रह्मचर्य ,त्याग की नहीं . भगवत चिंतन की नहीं ,चाणक्य नीति से विकास की करनी है | सत्ता सुख पाने बनाये रखने के ही मन्त्र जप करने हैं | चित्त बृत्ति जहाँ स्थिर कर लो योग सिद्धी वहीँ मिल जाती है | ……………………………………..चित्त बृत्ति यानि मन को वश मैं कैसे करेंगे इस पर संसय करते गीता मैं अर्जुन पूंछते हैं .…..यह मन बड़ा चंचल .प्रमथन स्वभाववाला ,बड़ा द्रढ और बलवान है | इसलिए उसको वश मैं करना मैं वायु को रोकने के समान मानता हूँ | ………………………………...उत्तरमें भगवन कहते हैं निःसंदेह मन चंचल और कठिनता से वश मैं होने वाला है परन्तु यह अभ्यास और वैराग्य से वश मैं होता है | …..जिसका मन वश मैं किया हुआ नहीं है ऐसे व्यक्ति द्वारा योग दुष्प्राप्य होता है | ……………………………………..शायद इसी लिए मोदी जी वर्षों योग सिद्धी का इंतजार करते रहे | …..वैसे भी बुढ़ापे तक वैराग्य हो ही जाता है अभ्यास करते रहो | …………………..इस जन्म मैं न सही | मरने के बाद पुण्यवान लोकों मैं निवास करके फिर शुद्ध आचरण वाले श्रीमान पुरुषों के घर मैं जन्म तो मिलेगा | जहाँ वह अपने अभ्यास से ही योग सिद्धी प् लेता है | और परम गति पाता है | श्रीमद्भागवत अध्याय (6.)…………...राहुल गांधी जी तो अपने ब्रह्मचर्य का पालन करते अपने बानप्रस्थ मैं योग साधना कर ही रहे है | योग तो उनका पुश्तैनी सिद्धी है | जवाहर लाल से अब तक परिवार सिद्ध ही रहा | फिर क्यों नहीं जल्दी सिद्धी पाएंगे | ……………………………………………………ओम शांति शांति शांति
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments