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मात्र व्यंग्य.
…………..इतिहास गवाह है ‘राम’ के बाद यदि कोई “राम राज्य”(अच्छे दिन )का प्रयास कर रहा है तो वोह मोदी जी ही हैं | भगवन ‘राम’ के बाद ‘राम’ का राज्याभिषेक केवल ‘राम’ लीलाओं मैं ही होता रहा है | दलितों के उत्थान के लिए ‘राम’ ही सर्वोत्तम मार्ग ‘राम’ का अभिषेक ही है | अब “राम मंदिर” की स्थापना को तड़पते हिन्दुओं को साक्षात् ‘राम’ ही सत्तारूढ़ हो जायेंगे | अब मंदिर बने या न बने आराध्य स्वयं ही सिंहासनाधीन हो जायेंगे | मंदिर भी क्यों नहीं बनेगा ..? सब सर्वत्र ‘राम’ ही ‘राम’ हैं | किसी युग मैं “राम राज्य” से पहिचाना जाने वाला अब “अच्छे दिन” के नाम से भी जाना जाता है | जब ‘राम’ का ही राज्याभिषेक हो जायेगा तो ‘”राम राज्य” का आभास ही “अच्छे दिनों” मैं बदल जायेगा |
.क्या विडम्बना रही की १४वें राष्ट्रपति के लिए एक दलित रूप मैं ‘राम’ को स्वयं आना पड़ा | जिस हिंदुस्तान मैं १०० हिन्दुओं मैं ४० नाम ‘ राम’ नाम को लिए होते हैं वहां अब तक कोई’ ‘राम’ नाम धारी राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री नहीं मिल पाया | लगता है मोदी जी ने इस तथ्य को समझा और ‘राम’ के बनवास को ख़त्म कर दिया | उनका प्रयास ‘राम’ का राज्याभिषेक करते ‘राम’ राज्य स्थापित कर देना ही है |
.”.राम राज बैठे त्रिलोका ,हर्षित भये गए सब शोका “
यानि “अच्छे दिनों” वाला ‘राम’ राज्य
.भारत की स्वतंत्रता से अबतक 13 राष्ट्रपति हो चुके है। इन 13 राष्ट्रपतियों के अलावा 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी हुए है जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद बनाये गए है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे।
7 राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पूर्व राजनीतिक पार्टी के सदस्य रह चुके है। इनमे से 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1 जनता पार्टी के सदस्य शामिल है, |. दो राष्ट्रपति, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, जिनकी पदस्थ रहते हुए मृत्यु हुई. भारत के वर्तमान १३वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी है | इससे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति रही
डा,राजेन्द्र प्रसाद(१९५० -१९६२)बिहार के पहिले राष्ट्रपति जो दो बार चुने गए एक मात्र राष्ट्रपति रहे |
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन(१९६२ -१९६७)
पद्म विभूषण भारत रत्न ज़ाकिर हुसैन (१९६७-१९६९)
वी॰ वी॰ गिरि(कार्यवाहक ३ मई १९६९ -२० जुलाई १९६९ )
मुहम्मद हिदायतुल्लाह ( कार्यवाहक २० जुलाई -२४ अगस्त 1969
भारत रत्न वी॰ वी॰ गिरि(२४ अगस्त १९६९ -२४ अगस्त १९७४े) एक मात्र व्यक्ति जो कार्यवाहक राष्ट्रपति ,और राष्ट्रपति दोनों रहे | )
फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (२४ अगस्त १९७४ -11 फरवरी 1977 ,दूसरे राष्ट्रपति जिनकी मृत्यु कार्यकाल मैं हो गयी
बासप्पा दनप्पा जत्ती(कार्यवाहक ११ फरवरी १९७७ – २५ जुलाई १९७७ )
नीलम संजीव रेड्डी (२५ जुलाई १९७७-२५ जुलाई १९८२ )
ज्ञानी ज़ैल सिंह(२५ जुलाई १९८२ -२५ जुलाई १९८७ )
रामस्वामी वेंकटरमण(२५ जुलाई १९८७-२५ जुलाई 1992 )
शंकरदयाल शर्मा (२५ जुलाई १९९२ – २५ जुलाई १९९७ )
कोच्चेरील रामन नारायणन (२५ जुलाई १९९७ -२५ जुलाई २००२ )
.भारत रत्न .ऐ पी जे · अब्दुल कलाम(२५ जुलाई २००२ – २५ जुलाई २००७
प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (२५ जुलाई २००७ -२५ जुलाई २०१२ ..भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति ) ·
प्रणब मुखर्जी(२५ जुलाई २०१२ -२५ जुलाई २०१७
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के अगले १४वें राष्ट्रपति पद के लिए बिहार के नि वर्तमान गवर्नर श्री ‘राम’ नाथ कोविंद , को उमीदवार बनाया है |
‘राम’ नाथ कोविंद
मूल रूप से कानपूर के रहने वाले एक दलित थे अब ब्राह्मणत्व प्राप्त हैं |’राम’ नाथ हमेशा से ही बीजेपी और RSSS से जुड़े रहे है और उन्होंने उत्तर प्रदेश और बिहार में काफी काम किया है|..’राम’ नाथ जी के अनुसार…………………………………
ईसाई और मुसलमान विदेशी हैं.
भाजपा के प्रवक्ता के रूप मैं ‘राम’ नाथ कोविंद जी ने 2010 में सरकारी नौकरी में धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने का विरोध किया था, । रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट ने कहा था कि भाषा के आधार पर पिछड़े और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरी में 15 फीसदी का आरक्षण देना चाहिए। राम नाथ जी ने इस रिपोर्ट का भी विरोध किया था। उन्होने कहा था कि इस्लाम और ईसाई धर्म को अल्पसंख्यकों में रखने से संविधान का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा था कि भारत के लिए ईसाई और मुसलमान विदेशी..|.
.एक ‘राम’ राज्य की परिकल्पना मैं इन विदेशियों से कैसे सामंजस्य बैठाया जा सकता है जिनके अचार विचार ‘राम’ राज्य के विपरीत हों |
‘राम” नाथ कोविंद मीडिया की सुर्ख़ियों से हमेशा ही दूर रहे ,.पर एक ऐसा मौका भी था जब ‘राम’ नाथ कोविंद सुर्ख़ियों में आये थे |.जनवरी 2016 में गुजरात के गांधीनगर में “नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी” के एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए…….’राम’ नाथ कोविंद ने कहा था कि,….
.”.देश की भलाई, लोगों की भलाई या देशभक्ति नहीं.बल्कि गाँधी और नेहरू का एकमात्र लक्ष्य सत्ता की प्राप्ति था “
नेहरू और गाँधी ने हर काम सत्ता प्राप्त करने के लिए किया, उन्होंने सत्ता को ही अपना एकमात्र लक्ष्य समझा | नेहरू गाँधी ने देश की कभी परवाह नहीं की, देश के कितने भी टुकड़े हो पर इन दोनों को सिर्फ सत्ता चाहिए थी |
.‘.राम’ नाथ जी के बयान पर मीडिया ने हल्ला मचाया था | नरेंद्र मोदी ने ‘राम’ नाथ कोविंद जैसे राष्ट्रवादी व्यक्ति को राष्ट्रपति के लिए चुना है | जिस से साफ़ होता है की मोदी जी का फैसला हर मायने में सही है, और राष्ट्रपति की कुर्सी पर ‘राम’ नाथ कोविंद जैसा एक राष्ट्रवादी शख्स ही बैठना चाहिए |… हिंदुस्तान का राज सिंघासन अब राम से ही शोभायमान होगा |
“.राम राज बैठे त्रिलोका ,हर्षित भये गए सब शोका “|
यानि अच्छे दिनों वाला राम राज्य |
.यह भी सत्य है की ‘राम’ कभी भी सत्ता के भूखे नहीं रहे | माता कैकेयी के आग्रह पर उन्होंने सहर्ष १४ वर्ष का बनवास स्वीकार कर लिया था | इस १४ वर्ष के बनवास मैं उन्होंने शबरी ,केवट ,सुग्रीव ,अहिल्या जैसे असंख्य दलितों का उद्धार किया था | पापी रावण का संहार करके उसको मोक्ष प्रदान किया था | विभीषण जैसे दलित को ‘”जो रावण के राज्य मैं प्रताड़नाएं झेल रहा था”,लंका राज सिंघासन पर बैठाया | वहां भी रावण का अंत करके ‘राम’ सत्ता के भूखे नहीं रहे थे |……बाली को मारकर दलित सुग्रीव को राज सिंघासन दिया किन्तु वहां भी सत्ता के भूखे नहीं रहे थे | मर्यादाओं के धनी ‘राम’ को यों ही मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहा जाता |
.बिना तलाक दिए सीता का परित्याग करके भी उन्होंने एक मर्यादा ही स्थापित की थी जो आज भी जन जन मैं व्याप्त है |
.जिस तरह राम ने विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाते मर्यादाएं कायम की उसी तरह ‘राम’ नाथ जी भी विभिन्न पदों पर जिम्मेदारियां निभाते अब राष्ट्रपति पद की गरिमामयी मर्यादाएं स्थापित करेंगे |
.ॐ शांति शांति शांति
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