Menu
blogid : 15051 postid : 856723

राहुल गांधी का आत्म मंथन ,स्वच्छता राजनीती …

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
  • 216 Posts
  • 910 Comments

अहम ब्रह्माष्मी…..मैं ही सब कुछ हूँ जो कुछ हो रहा है सब मेरे द्वारा ही हो रहा है | यह अहंकार नारद मुनी को भी हो गया था और मनुष्य भी सिद्धियां पाकर ऐसा ही बोलने लगता है | ऐसी सिद्धी कैसे पाई जा सकती है | कांग्रेस को मैंने ही परास्त किया और आगे भी विजय रथ चलता ही जा रहा है | कैसे पाई ऐसी सिद्धी …? | वाणी मैं तो सरस्वती सिद्ध होकर बैठ गयी है | ऐसे सिद्ध व्यक्ति को कैसे परास्त किया जाये …? कहाँ से पाई होगी ऐसी सिद्धी …? .हिमालय की कन्दराओं मैं इसी खोज मैं भटकते राहुल गांधी मन को एकाघृ करने की कोशिश करते .आत्म मंथन कर रहे हैं | कैसे समाधिष्ट होकर विजय मार्ग ढूँढा जाये ….? ……………………………………………………………एक दिन ध्यान मग्न राहुल जी को समाधी का सा आभास होने लगा उन्हें लगा की कोई उन्हें समझा रहा है | लग रहा है शायद पितृ जवाहर लाल जी ही समझा रहे हैं | .…………………………… ..एकाघृता से समाधी एक प्रवचनात्मक ही लगता है | कैसे प्राप्त की जाये यह मार्ग कहीं नजर नहीं आता है | कौन किस प्रकृति का किस वातावरण मैं पैदा हुआ है यह उसकी एकाघृता का केंद्र हो सकता है | एक नौजवान सशक्त व्यक्ति कामुक वातावरण मैं कैसे अपने को एकाघृ कर सकता है वह सिर्फ काम क्रियाओं मैं ही समाधी प्राप्त कर सकता है | ब्रह्मचर्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | …………………………………………………………ज्योतिष के अनुसार मनुष्य अलग अलग प्रकृति का पैदा होता है | सात्विक प्रकृति के लिए गुरु का उच्च होना आवश्यक होता है | हस्त रेखा मैं भी बृहस्पति पर्वत का उभार आवश्यक होता है | ……………………………भोग विलास प्रकृति वाले के लिए शुक्र गृह का उच्च स्थान आवश्यक होता है | पाप पुण्य को कुछ नहीं समझने वाला राजनीतिज्ञ राहु के दसम भाव वाला होकर अपनी प्रकृति सिद्ध करता है | सन्यास की और राजा की प्रकृति भी जन्म से ही निश्चित हो जाती है |………………………………………. लक्ष्य कुछ भी हो मन को एकाघृ किया जा सकता है | यदि हमारा लक्ष्य भगवन स्मरण कर समाधी प्राप्त करना है तो उसका मार्ग कठिन है |…शारीरिक स्वच्छता के पश्चात मानसिक स्वच्छता आवश्यक होती है | मानसिक स्वच्छता के लिए ध्यान मग्न होकर मन को शांत करना पड़ता है | ब्रह्मचर्य और सात्विक खान पान शरीर को एकाघृ और शांत रखता है | ब्रह्मचर्य के पालन के लिए खान पान सात्विक हो, वातावरण धार्मिक हो | ………………………संध्या बंधन आवश्यक होगा जिसमें काम क्रियाओं को पाप मान कर क्षमा याचना तीनों प्रहर करनी होती है | गायत्री मंत्र का जप भी आवश्यक है जिसमें सत्कर्मों की ओर मन के झुकाव की प्रतिज्ञा की जाती है | गायत्री मन्त्र के जप के लिए यज्ञोपवीत भी आवश्यक है | इतना सब कुछ करने वाला व्यक्ति जब भगवत चिंतन करने बैठता है तो अपनी आँखों को बंद कर नासिका के मध्य मैं केंद्रित करके अपने आराध्य या गायत्री देवी के रूप की कल्पना करते मन्त्र जप करा जा सकता है | जैसे जैसे मन्त्र जप बढ़ता जायेगा मन एकाघृ होता जायेगा | एक स्वास मैं एक मन्त्र से आरम्भ करते मन्त्रों की संख्या प्रति स्वास बड़ाई जा सकती है | जिससे अनुलोम विलोम होते मन और भी एकाघृ होता जायेगा | यदि भगवन चिंतन ही ध्येय है तो समाधी तक जाया जा सकता है जो की दुरूह है | विना गुरु के संभव नहीं हो सकता है | ……………………………………..किन्तु मन को शांत करना ,ब्लड प्रेसर को सामान्य करना ,किसी समस्या का समाधान करना उद्देश्य हो तो वह सामान्यतः किया जा सकता है | हृदय रोग मैं ,ब्लड प्रेसर के रोग मैं अपने को सामान्य बनाया जा सकता है | अन्य रोग जैसे गठिया भी सामान्य होते जाते हैं | सामान्य व्यक्ति अभ्यास करता रहे तो रोग मुक्त रह सकता है | इन्द्रियों पर संयम बहुत कठिन होता है किन्तु एक खोजे मार्ग से कुछ तो संयमित किया जा सकता है | ब्रह्मचर्य रह सको तो उत्तम किन्तु न रह सको तो संयमित तो रहा जा सकता है | बलात्कार जैसे घृणित कर्मों,पाप कर्मों से तो बचा जा सकता है | क्यों की संध्या बंधन मैं यौन क्रियाओं से होने वाले पाप कर्मों की क्षमा प्रार्थना होती है | गायत्री मन्त्र सत्कर्मों की और प्रेरित करता है | ………………………….गृहस्थाश्रम एक ऐसा समय है जिसमें काम ,क्रोध ,मद लोभ मोह के विना जीवन यापन असंभव हो जाता है | अतः अभ्यासी गृहस्थ ,सन्यास मैं सिद्धी प्राप्त कर सकते हैं | सन्यास तभी सार्थक भी होता है जब जीवन की समस्त कर्मों को यथायोग्य भोग लिया जाता है | मन भगवत चिंतन मैं सुगमता से एकाघृ हो जाता है | ……………………………….राहुल गांधी जी आप तो गृहस्थाश्रम से दूर हैं | अतः सुगमता से समाधी की और जा सकते हैं | और समाधिष्ट व्यक्ति जल्दी ही अपनी ऐच्छिक कामनाओं की पूर्ती सुगमता से कर लेता है | समाधी न भी हो तब भी ध्यान मग्न होते आत्म चिंतन से सन्मार्ग पाकर मन को शांत किया जा सकता है | यदि शत्रु को परास्त करना ध्येय हो तो भी शत्रु नाशक बगुलामुखी देवी जी का जप करते सिद्धी पाई जा सकती है | राज सत्ता प्राप्ति के लिए भी यह सिद्धी कारगर होती है | आपकी प्रतिद्वंदी पार्टियों या प्रतिद्वंदी व्यक्तियों की बुद्धि का नाश भी कर देती हैं सिद्धी प्राप्त बगुलामुखी जी | यहाँ तक कि अच्छे दिन प्राप्त व्यक्ति की बुद्धि नाश होते वह बुरे दिनों की और अग्रसर हो जाता है | किन्तु इसकी सिद्धी के लिए कोई भी ब्रेक नहीं होना चाहिए ,निरंतरता आवस्यक है | अन्यथा उल्टा असर हो जाता है | ………………………………...आपका उद्देश्य तो शत्रु को परास्त कर अपनी जय जय कार करवाना ही है | आप प्रधानमंत्री पद के लालायित नहीं कभी नहीं रहे | आप एक संयमित व्यक्ति हैं | आपको सिद्धी अवश्य प्राप्त होगी | इस सिद्धी को पाकर आप मॉडर्न इंस्टिट्यूट ऑफ़ राजनीती मैं राजनीती के गुरों से योग प्राप्त करके योगी हो जायेंगे ,फिर आपको परास्त करना किसी व्यक्ति या पार्टी के बस का नहीं होगा | आपकी चाणक्य नीतियों की काट कोई नहीं कार पायेगा | मॉडर्न इंस्टिट्यूट ऑफ़ राजनीती गुरु लालू जी का ही है जिनके शिष्य आज उत्तर प्रदेश और विहार मैं अपना झंडा फहरा रहे हैं | उनका आशीर्वाद आपको अर्जुन सा प्रताप पैदा करेगा | फिर कोई भी कौरवों सी सशक्त सेना भी आपको परास्त नहीं क़र पाएगी | ………………आपकी दादी और पिता को मारने वाले राक्षशों को आप अवश्य दण्डित क़र सकेंगे | अपनी पूरी जिंदगी आपने इन्हीं दर्दों मैं गुजारी | फिर भी आप संत हो किसी प्रकार भी अपने को सदैव संतुलित ही रखते हो | स्वच्छ निर्मल मन ही रहा आपका |....मोदी का स्वच्छता अभियान भारत को स्वच्छ कर पाये या नहीं इसमें संसय ही रहेगा किन्तु आपका निर्मल मन करने की स्वच्छता राजनीती अवश्य सफल होगी. …………………………………..ओम शांति शांति शांति

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply