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अभी तो सिर्फ ॐ कहना पड़ रहा है आगे पूरा गायत्री मन्त्र भी जपना पड़ेगा| ॐ कहने वाले मरने के बाद सीधे हिन्दुओं के स्वर्ग जाते हैं जहाँ उन्हें मूर्ति पूजा करनी पड़ेगी, जो इस्लाम विरुद्ध होती है | यह भ्रामक है|
२१ जून को योग दिवस पर सम्पूर्ण विश्व के सभी धर्मी ॐ से गूंज उठेंगे| भविष्य जन कल्याणकारी शांति कारक गायत्री मन्त्र से गूंजेगा| क्यों की बिना गायत्री मन्त्र के जप के मन को संयमित नहीं किया जा सकता है| गायत्री मन्त्र जप से ही विश्वामित्र ऋषि इंद्रासन तक पंहुच गए थे| मोदी जी और रामदेव जी भी सिद्धियां पा चुके हैं| सनातन धर्म मैं दो पंथ हैं एक साकार रूप को मानता है और दूसरा निराकार रुपं को मानता है| ॐ को परमेश्वर यानि अन्य सभी देवताओं का उत्पादक माना जाता है | जो निराकार होता है | सभी देवता श्रष्टि के आरम्भ मैं अवतरित होते हैं और प्रलय के बाद परमेस्वर ॐ मैं ही विलीन हो जाते हैं|
साकार को या निराकार को मानने वाले दोनों ही ॐ को परमेश्वर स्वरुप सबसे ऊपर मानते हैं. निराकार रूप मुस्लमान भी मानता है| और निराकार रूप सनातन धर्म का एक पंथ भी मानता है| दुनिया के अन्य सभी धर्म भी ईश्वर के निराकार रूप को ही मानते हैं | निराकार रूप मैं मन मैं श्रद्धा भक्ति भाव लाना कठिन लगा तो साकार रूप मैं भक्ति करके शांति पाते सिद्धियां और मुक्ति मार्ग की तलाश की| जो ज्यादा सहज लगी| कलियुग मैं ऋषी मुनि नहीं होते जो तपस्या से निराकार परमेश्वर को मानकर शांति पा सकें| इसलिए साकार रूप को अधिक मान्यता मिलती गयी| निराकार रूप को मानने वाले महान संत तो मंदिर मैं भगवानों की तरफ पैर करके सो जाते थे उन्हें हर तरफ परमेस्वर ही नजर आता था वे भ्रमित हो जाते थे कि किधर पैर करूँ |
योग की परीणिती ईश्वर साक्षात्कार है योगारम्भ के लिए मनसा वाचा कर्मणा. शुद्धि आवश्यक होती है| प्रातः शौच से निब्रट होकर स्नान करके भगवन का स्मरण करके मानसिक शुद्धी की जाती है| किसी भी लक्ष को पाने के लिए मन को कन्सन्ट्रेट करना होता है| जिसके लिए प्राणायाम किया जाता है| प्राणायाम करने के लिए सुखासन मैं बैठकर पाहिले बाईं नासिका से स्वास लेते हैं और निराकार ईश्वर के गायत्री मन्त्र को जपते यथा संभव समय स्वास रोकते हैं फिर दायीं नासिका से गायत्री मन्त्र जपते ही .स्वास निकालते हैं यही क्रम ढाई नासिका से स्वास लेकर गायत्री मन्त्र जपते स्वास रोकते हैं और गायत्री मन्त्र जपते ही स्वास बाई नासिका से छोड़ते हैं |
गायत्री मन्त्र ईश्वर के निराकार स्वरुप को ही स्वीकारता है ॐ भूर्भुवःस्वः तत्स वितुर्वरेनयम भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न प्रचोदयात ॐ (हम स्थाबर जंगम रूप सम्पूर्ण विश्व को उत्पन्न करने वाले उन निरतिशय प्रकाशमय परमेश्वर के भजने योग्य तेज का ध्यान करते हैं जो हमारी बुद्धियों को सत्कर्मों की तरफ प्रेरित करते हैं ) गायत्री मन्त्र निराकार स्वरुप को ही मानता है अतः किसी भी धर्म के लोग इसको जप सकते हैं | मन के कन्सन्ट्रेट होते ही हम अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो सकते हैं | हमारा लक्ष्य यदि केवल योगासन ही है तो हम योगासन सुगमता से करते स्वास्थ लाभ पा सकते हैं | किन्तु यदि हमारा लक्ष्य ईश्वर साक्षात्कार है तो हमने गायत्री मन्त्र का यथासम्भव जप करना पड़ेगा ,जो लगातार रोज सुबह शाम करते रहना होगा | परमेश्वर स्वरुप निराकार ॐ का ध्यान करते ही मन को शांत करते ही सिद्धियां पाई जा सकती हैं | मन सकारात्मक रहते हम अपने लक्ष्य को पाते जायेंगे | समाधी की तरफ जाएँ या न जाएँ ,प्रधान मंत्री मोदी जी की तरह सिद्धियों को पाते चले जायेंगे |
जब भारत माता की जय बोलने मैं कोई हर्ज नहीं, ॐ कहने मैं कोई हर्ज नहीं तो सिद्धि दायक गायत्री मन्त्र जपने से यदि प्रधान मंत्री जैसी सिद्धियां यदि मिलती हैं तो इसे जप जाना चाहिए| पुराने युग मैं गायत्री मन्त्र को जपने के लिए यज्ञोपवीत (जनेऊ ) होना जरूरी होता था, जिसको केवल पुरुष ब्राह्मण ही जप सकता था और ज्ञान ध्यान सन्मार्ग से मुक्ति की तरफ अग्रसर होते शांति मय समाधी तक पाता था | आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने गायत्री मन्त्र को जन सुलभ किया जिसे राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ ने अपने स्कूलों मैं आवश्यक करके जन सुलभ किया जिसके परिणाम स्वरुप सदाचारी बालक बने जो देश समाज के लिए समर्पित होते गए|
अब गायत्री मन्त्र जन सुलभ हो चूका है इसको कोई भी किसी भी वर्ण का हो ,किसी भी लिंग का हो जप सकता है | जनेऊ होना जरूरी नहीं. एक मन को सन्मार्ग की तरफ ले जाने वाला यह मन्त्र भी समाज मैं सुख शांति लाने का माध्यम हो सकता है| यज्ञोपवीत आवश्यक हो या न हो इस जन कल्याण कारक गायत्री मन्त्र को सुबह शाम जपना जरूरी कर देना चाहिए | सभी कार्यालयों मैं तीन बार सुबह ,दोपहर और शाम को एक माला जप आवश्यक होना चाहिए | इससे समाज मैं फ़ैली दुर्भावनाओं का नाश होगा सर्वत्र ॐ शांति शांति का ही अनुभव होता जायेगा |
जनसंघ स्वरुप से जनता पार्टी बने और सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना करके गायत्री मन्त्र जपते बालक प्रधानमत्री तक बनते चले गए | किन्तु अब पूर्ण बहुमत की सरकार बन्ने पर भी क्यों कैसे गायत्री मन्त्र को भूल रहे हैं | ऐसे जन कल्याण कारक मन्त्र को सभी धर्मीयों ने जपना चाहिए और सिद्धियों पर सिद्धियां पाने का अधिकार भुनाना चाहिए| सम्पूर्ण विश्व इस गायत्री मन्त्र का चमत्कार मोदी जी और राम देव मैं देख चूका है| भारत माता की जय बोला, ॐ बोलने मैं कोई हर्ज नहीं ,अब गायत्री मन्त्र भी अवश्य बोलेंगे| सम्पूर्ण विश्व को सुगम योग का लाभ जरूर मिलना चाहिए.
विश्व शांति के लिए सुगम योग का यह मन्त्र जन कल्याण कारी मार्ग प्रसस्त करेगा| समाज मैं भ्रष्टाचार, आतंकवाद और यौन उत्पीड़न , लूटपाट, क्रूरता, हिंसा, जैसी दुर्भावनाओं का नाश करने वाला गायत्री मन्त्र ही होगा| मारो काटो लूटो ,बलात्कार करो की भावनाओं का नाश स्वतः ही होता जायेगा, जब कल्याण कारी भावनाएं लाने वाली गायत्री जप मन मष्तिष्क मैं छा जाएगी | गायत्री मन्त्र की सिद्धी संस्कृत भाषा मैं है किन्तु यदि इसे अपनी सुगम भाषा मैं भी जप जाये तो इसकी सिद्धी पाई जा सकती है | सिद्धी यानि जिस लक्ष्य को पाने की ठान ले ,उसे पाया जा सकता है | दूसरे के मन की बात जानी जा सकती है | अब केवल ब्राह्मण ही गायत्री मन्त्र का जप करके इन्द्रासन या मोक्ष्य नहीं पा सकता बल्कि सभी विश्व समुदाय भी लाभान्वित हो सकता है| मोदी जी ने जन कल्याण के लिए इस पर विचार करना चाहिए|
ॐ शांति शांति शांति
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण डॉट कॉम किसी भी दावे, आंकड़े या तथ्य की पुष्टि नहीं करता है।
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