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ॐ…तेरे बिना भी श्रष्टि रच सकता हूँ ..नमोहम् ब्रह्माष्मी

PAPI HARISHCHANDRA
PAPI HARISHCHANDRA
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मोदी जी का मुस्लिम तुष्टिकरण ,अपने लक्ष विकास के लिए अपने चरम पर पहुँच गया है | जिस मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी आदि को कोसते कोसते ही हिन्दू वोट पाते सत्ता हासिल की ,उसी हिन्दू धारणा के…… ॐ …..को भी त्यज्य कर दिया | …..मोदी जी की राष्ट्रिय ग्रन्थ गीता की ही अवधारणा अनुसार ..…………………………………….परम अक्षर ……..ॐ………ब्रह्म है….| ,जीवात्मा ”अध्यात्म ” नाम से कहा जाता है | इस संसार की पीपल बृक्ष से तुलना की गयी है जिसकी जड़ें ऊपर को हैं और बृक्ष नीचे को शाखा ,उपशाखा पत्ते ,फूल फल आदि | आदि पुरुष परमेश्वर ……ॐ …श्रष्टि का मूल कारण होने से अविनाशी और सबसे ऊपर जड़ स्वरुप है | जो कभी नष्ट नहीं होता | इस बृक्ष की मुख्य शाखा रूप ब्रह्मा से प्रकट सम्पूर्ण लोकों के सहित देव , मनुष्य , और तिर्यक आदि योनियों की उत्पत्ति और विस्तार हुआ है | ………………परमेश्वर की योगमाया से उत्पन्न संसार क्षण भंगुर ,नाशवान ,और दुःख रूप है ,इसके चिंतन को त्यागकर,केवल परमेश्वर …ॐ … का ही नित्य निरंतर अनन्य प्रेम से चिंतन करना ” बेद ” के तात्पर्य को जानना है | ………………………………………………….. ॐ ….तत , सत……ऐसे यह तीन प्रकार का परमेश्वर का नाम कहा गया है ,इसलिए वेद मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शाश्त्र विधि से नियत यज्ञ ,दान और तप रूप क्रियाएँ सदा ……….ॐ ……..इस परमात्मा नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं | .…..हे अर्जुन…..विना श्रद्धा के किया हुआ हवन ,दिया हुआ दान अवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ कर्म है …..वह समस्त ”असत” इस प्रकार कहा जाता है ,इसलिए वह न तो इस लोक मैं लाभदायक है और न मरने के बाद ही | …………………………….परमेश्वर ….ॐ ……..के विश्व योग दिवस पर हटाकर….मोदी जी क्या अनपढ़ गंवारों को वेवकूफ बना रहे हैं या हिन्दू धर्म की जड़ को ही काट रहे हैं | .………योग केवल योगासन नहीं है | ..”.योग ” क्या है ….? ……….योग पूर्ववत कांग्रेस पोषित संतों द्वारा भी संसार मैं प्रचारित किया जाता रहा है | जिसका सिक्का विदेशों मैं खूब जमा जो योगी संतों द्वारा खूब कमाई का जरिया भी बना | जवाहर लाल नेहरू भी योगासन करते थे | और एक सफल योगी भी बने | …………………...क्या भारतीय योग दो प्रकार का होगा एक मोदी पोषित भा ज पा योग दूसरा कांग्रेस योग ….| कांग्रेस योग मैं …परमेश्वर …..ॐ ….सार्थक था | मोदी के भा जा पाई योग मैं …परमेश्वर ….ॐ ….के विना भी योग होगा | ……………………………………सूर्य नमस्कार को योग से हटा देना योग की और भी अवमानना होगी | ….मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ..परमेश्वर…. ॐ …..को काटा ,तो श्रष्टि के वास्तविक प्रतक्ष्य कर्ता सूर्य को भी नकार दिया | सूर्य से ही जीवन है श्रष्टि है | ब्रह्मा विष्णु ,शिव स्कन्द ,प्रजापति ,इंद्रा ,कुबेर ,कल ,याम ,चन्द्रमा ,वरुण ,पितर ,मनु बायु ,अग्नी ,प्रजा प्राण ,ऋतुओं को पैदा करने की शक्ति है | यही जगत के उत्पत्तिकारक ,सर्वव्यापक ,पोषण करने वाले ,ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बीज भी हैं | हिन्दू विचार धाराओं पर हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना वाले हिन्दू नेता ही योग को हिन्दुओं की धरोहर सिर्फ इसलिए नहीं करना चाह रहे की विश्व गुरु बनेंगे | क्यों नहीं गर्व से कह रहे गीता हिन्दुओं की धरोहर है और योगेस्वर कृष्ण की योग अवधारणा उसकी उत्पत्ति है | योग भगवन कृष्ण का ज्ञान है | ……………………....योग ही गीता है | ………जो पुरुष कर्म फल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म कर्ता है वही सन्यासी तथा योगी है | संकल्पों का त्याग नहीं करने वाला कोई भी योगी नहीं होता | जिस काल मैं न तो भोगों मैं और न कर्मों मैं ही आसक्त होता है ,उस काल मैं सर्व संकल्पों का त्यागी ही योगारूढ़ कहा जाता है | …………………………….यह योग न तो बहुत खाने वाले का ,न बिलकुल न खाने वाले का ,न बहुत सोने वाले का ,और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है | ………………………………….दुखों का नाश करने वाला योग तो यथा योग्य आहार विहार करने वाले का ,कर्मों मैं यथा योग्य चेष्टा करने वाले का ,और यथा योग्य सोने वाले का ही सिद्ध होता है |…………….अत्यंत वश मैं किया हुआ चित्त जिस काल मैं परमात्मा ……ॐ …..मैं भली भांति स्थित हो जाता है ,उस काल मैं सम्पूर्ण भोगों से चाहत रहित पुरुष योग युक्त है ,ऐसा कहा जाता है | ………………………वह पाप रहित योगी इस प्रकार आत्मा को परमात्मा मैं लगता हुआ सुख पूर्वक परब्रह्म परमात्मा ….ॐ …की प्राप्ति रूप अत्यंत आनंद का अनुभव करता है | |. ………………योगी तपश्वियों मैं श्रेष्ठ है ,शास्त्र ज्ञानियों मैं श्रेष्ठ है ,सकाम कर्म करने वालों से भी श्रेष्ठ है |सम्पूर्ण योगियों मैं भी जो श्रद्धावान योगी मुझमें लगे हुए अंतरात्मा से मुझको यानि ….ॐ को निरंतर भजता है ,वह योगी मुझे परम श्रेष्ठ मान्य है | …………………………………………..इतना सब कुछ भगवन श्री कृष्ण ने गीता मैं स्वयं ही कहा है | फिर विश्व योग दिवस को किसी धर्म संप्रदाय से अलग कैसे कहा जा सकता है | इसलिए योग को आत्मा से परमात्मा साक्षात्कार का मार्ग कहना ही उचित होगा | अतः गर्व से स्वीकारना चाहिए योग हिन्दू धर्म ही है | …………………………………………………..यह अवश्य हो सकता है की विश्व योगासन दिवस के रूप मैं सुधार किया जाये | जो सर्व मान्य जुडो ,कराटे और कुंग फु की तरह गर्व करते हिन्दुओं को गौरव प्रदान करेगा | …………………………………………………………………. ओम शांति शांति शांति

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