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धर्म का अर्थ

shivehi
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धर्म जीवन का वो प्रकाश है, जो हमें सही मार्गदर्शन देता है, हर उस पथ पर चलने की जिससे हम अपनी मंजिल सुविचार के साथ पा सके। जब भी कोई कठिनाई आए तो सही-गलत में अंतर कर सकें। यह समाज और  प्रकृति को एक साथ मिलजुल कर जीवन जीने की प्रेरणा देता है ।

धर्म होने की  सबसे बड़ी वजह मनुष्य, पशु, पक्षी और प्रकृति को साथ बनाए रखना है धर्म हमें कुछ नियमों से बाधित करता है ताकि यह संसार एक संतुलन में बनकर चले। जिसमें सभी जीव-निर्जीव प्रसन्नता से रह सकें। ताकि वह हर सुख-दुख में एक दूसरे का सहारा बने और एक-दूसरे का साथ दें।

जब हम धर्म को जानते-समझते और उसका पालन करते हैं तब हम जान पाते हैं दरअसल धर्म हमें एक दूसरे का ख्याल रखने को कह रहा है, चाहे वह पशु-पक्षी हो, पेड़-पौधे हो, फसल हो, चाहे हम मानव ही क्यों ना हो। हर किसी को किसी न किसी रूप में किसी ना किसी वजह से एक दूसरे के साथ जोड़ा गया है ताकि एक संतुलन बना रहे। हर जाति एक भूमिका अदा करती है। एक वक्त आने पर अपने-अपने स्थान पर जिसके लिए वह जन्म लेती है। अगर एक भी प्रजाति का नाश होता है, तो पूरा खेल चक्र असंतुलित हो जाता है। जिसका असर सभी को भुगतना होता है, चाहे जिम्मेदार कोई  भी हो इसीलिए सब की अदायगी मान्य है और उसके लिए वह सम्मान का पात्र भी है।

आज ना कोई सही गुरु है ना कोई महात्मा, जो इन विचारों को सही रूप में दुनिया के सामने व्याख्या कर सके। हमारे गुरू, ऋषि और महात्माओं द्वारा लिखे गए कई ग्रंथ और गाथाएं हमारे जीवन को दर्शाती है, जिसमें हमारे जीवन और प्रकृति से जुड़ी हर वह बात है, जो सही मार्गदर्शन देती है, जो आजकल सिर्फ गाथाएं ही रह गई है। जीवन में उन्हें उतारना कोई नहीं चाहता हमारी अज्ञानता ही हमारे समाज का विनाश है और जिसका फायदा कूटनीति द्वारा समाज को तोड़ने और बिखेरने के लिए उठाया जाता है।

सही ज्ञान और स्वयं में बदलाव हमें एकजुट और अब्बल बनाता है।

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