Hindi Blog World
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कल रात हिंदी मेरे सपने में आई थी
उसके मुखमंडल पर गहरी उदासी छाई थी.
मैंने पूछा हिंदी से
इतनी गुमसुम हो कैसे ?
अब तो हिंदी दिवस है आना
सम्मान तुम्हे सब से है पाना.
हिंदी बोली यहीं गिला है
वर्ष का इक दिन मुझे मिला है
अपने देश में मैं हूँ पराई
ऐसा मान न चाहूँ भाई.
मेरे बच्चे मुझे न जाने
लोहा अंग्रेजी का माने
सीखे लोग यहाँ जापानी
पर मैं हूँ बिल्कुल अनजानी.
हिंदी की ये बात सुनी जब
ग्लानी से भर उठी मैं तब
सोचा माँ की पीर बटा दूँ
जन-जन तक हिंदी पहुँचा दूँ.
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