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अर्नाब के चिट्ठे को 4575 से अधिक लोग नियमित सब्सक्राइब कर पढ़ते हैं. अर्नाब ने जब ब्लॉग लिखना शुरू किया तो इनके चिट्ठे को शुरू में कोई पढ़ता ही नहीं था. कोई पढ़ता भी होगा तो कोई टिप्पणी ही नहीं करता था. कई महीनों तक ये स्थिति बनी रही. तो एक दिन इन्होंने लिखा कि मैं किस लिए और किसके लिए लिखता हूं. मगर ये लगातार लिखते रहे. और आज चंद प्रसिद्ध भारतीय चिट्ठाकारों में इनका नाम शामिल है.
अर्नाब ब्लॉग लेखन के कुछ टिप्स कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:
1. कभी हार नहीं मानें – बस लिखते रहें. ईमानदारी से लिखते रहें, नियमित लिखते रहें. आज नहीं तो कल – दुनिया आपका, आपके लेखन का नोटिस तो लेगी ही. मैंने जब लिखना चालू किया तो कोई माई का लाल मेरे लिखे को पढ़ता ही नहीं था. टिप्पणी देना तो दूर की बात. मैं दिन पर दिन निराश और हताश होता जा रहा था. पर मैंने कभी भी हार नहीं मानी. मैं बस लिखता गया. और आज मेरे 600 पोस्ट पर 36 हजार जेनुइन टिप्पणियाँ मेरी सफलता की कहानी बयान करती हैं.
2. गलत कारण से चिट्ठाकारी न करें – यदि आपको लगता है कि अपनी चिट्ठाकारी से आप आजीविका चला सकते हैं, या कोई दुकानदारी चला सकते हैं या फिर समाज में क्रांति ला सकते हैं तो बेहतर है आप चिट्ठाकारी का विचार छोड़ दें. भारत में चिट्ठाकारी से आजीविका चंद अपवादों को छोड़कर संभव नहीं है. (हिन्दी में तो ख़ैर बिलकुल ही नहीं है – रवि) इसीलिए, ब्लॉग को ब्लॉग के रूप में ही रहने दें और ब्लॉगिंग के लिए ही ब्लॉग लिखें. हो सकता है कि आपके परिपक्व लेखन (हिन्दी ब्लॉगिंग में भी कई हैं ब्लॉग से प्रिंट मीडिया में आ चुके हैं- रवि) को प्रिंट मीडिया में जगह मिलने लगे और इस तरह कुछ मानदेय पारिश्रमिक मिलने लगे.
3. तकनॉलाजी में न घुसें – अपनी चिट्ठाकारी को शुद्ध रहने दें. माइक्रोब्लॉगिंग, मोब्लॉगिंग, पॉडकास्टिंग, वीडियोकास्टिंग, सर्च इंजिन ऑप्टीमाइजेशन इत्यादि इत्यादि अनाप शनाप आंकड़े बाजी से दूर रहें. जब तक आप ओबामा गर्ल नहीं हैं, आपके लिए शुद्ध ब्लॉगिंग ही सर्वोत्तम है.
4. नकारात्मक, प्रतिकूल टिप्पणियों से निराश और हताश न हों. ये ध्यान रखें कि दुनिया में आप हर किसी को प्रसन्न नहीं रख सकते. आप किसी खास वर्ग के लिए कुछ लिखते हैं तो दूसरा वर्ग आपके पीछे डंडा बल्लम लेकर तो पड़ेगा ही. आप अपने पाठकों का फीडबैक लें, और इससे अपना लेखन सुधारें, मगर ये याद रखें कि आप अपने ब्लॉग के सर्वश्रेष्ठ प्रशंसक और टीकाकार आप स्वयं हैं, और आपको पता है कि आपको क्या लिखना है.
5. यदि आप अब तक ब्लॉगिंग में नहीं कूदे हैं, तो यही सर्वश्रेष्ठ समय है ब्लॉगिंग में अपने आप को झोंकने का. (हिन्दी के लिए तो खैर, ये स्वर्णकाल है – मात्र दस-पंद्रह हजार सक्रिय हिन्दी ब्लॉग में एक्सपोजर और निगाह में चढ़ने का इससे बेहतर समय और हो ही नहीं सकता – रवि) और, आखिरी बात – चिट्ठाकारी में सब जायज है, पर मौलिकता का ध्यान रखते हुए जी भर कर उन विषयों पर लिखें जिसमें आपको अनुराग है – भले ही वो माचिस के डिब्बों के अपने संग्रह के बारे में क्यों न हो – आप पाएंगे कि आपके भीतर की सृजनात्मकता अपने पूर्ण स्वरूप में स्वयंमेव बाहर आ रही है.
बहुत उपदेश झेल लिया? उपदेशों को मानें या सिरे से खारिज करें, समय एक ठो ब्लॉग पोस्ट ठेलने का तो हो ही गया है. है ना?
साभार: इंटरनेट
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