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बेफिक्र रहिए यह बजट आपका कोई नुकसान नहीं करेगा। और फायदा? यह बजट उसके लिए बना ही नहीं था। चिदंबरम को कांग्रेस और अर्थव्यवस्था की साख को ताजा नुकसान रोकना था। वह इतना करने से आगे कतई नहीं गए। पलानिअप्पन चिदंबरम ने बिग बैंग होने की अपनी स्थापित छवि से समझौता कबूल किया, मगर जोखिम नहीं लिया। शुक्र है इस बजट में कुछ भी रोल बैक नहीं होगा। न आह और न वाह! यह एक ठंडा व ठोस बजट है, लेकिन इस पर भरोसा किया जा सकता है।
यह बजट यूथ के मिजाज, ग्रोथ के हिसाब और टैक्स की गणित जैसा है। जिन्हें इन तीनों को समझने में दिक्कत होती हो, उसे अपनी सूची में में संप्रग के दसवें बजट को भी शामिल कर लेना चाहिए। आंकड़ों व परोक्ष फैसलों की पेचीदा कारीगरी से बुना यह बजट वक्त की कसौटी पर कसने के बाद ही समझ में आएगा। नामुराद वक्त ने पिछले वित्त मंत्रियों को बहुत धोखा दिया है। इसलिए चिदंबरम ने एक हर्फ भी ऐसा नहीं बोला, जिससे कोई उछल पडे़ या मायूस हो जाए। बजट की संख्याओं से ज्यादा उसके संदेश कीमती होते हैं। इसलिए चिदंबरम ने सिर्फ उन्हें संदेश भेजे, जिनसे फिलहाल मतलब है। बजट का राजनीतिक संदेश युवाओं व महिलाओं के लिए है, जो अब राजनीति के केंद्र में हैं। जबकि ग्रोथ पर फोकस रहने का संदेश उन रेटिंग एजेंसियों व निवेशकों के लिए है, जो इस बजट को देखने को बाद भारत की साख पर फैसला करेंगे। रही बात गरीबों के लिए तो उनके लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर है ही।
ड्रीम बजट के कारीगर चिदंबरम ने इस बजट से ठंडे, तकनीकी और स्थिर बजटों की एक नई श्रेणी ईजाद की है और बडे़ फैसलों को बजट से बाहर रखने की परंपरा जारी रखने का संकेत दिया है। इस बजट से अगर महंगाई कम नहीं होगी तो बढ़ेगी भी नहीं। अगर ग्रोथ कूदेगी नहीं तो शायद इससे ज्यादा ढहेगी नहीं। यह विकास दर ताजा आंकडे़ के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में 4.5 फीसद पर आ गई। घाटा अगर कम नहीं हुआ तो उसमें बढ़त जरूर रुक सकती है। आयकर में चिल्लर जैसी रियायत, बयालीस हजार अमीरों पर दिखावटी टैक्स जैसी घोषणायें महज सजावटी हैं और जुटाया गया 18,000 करोड का राजस्व भी मामूली है। महंगाई दर पर आधारित बांड, जमीनों की खरीद फरोख्त पर आयकर और शेयर बाजार में नए निवेशकों की आमद जैसे प्रयोगों की सफलता वक्त पर निर्भर होगी।
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नदीम के जज्बे को सलाम.!
यह कहानी असल जिंदगी के एक हीरो की है जिसने जीवन के संघर्ष के आगे कभी घुटने नहीं टेके और फिर एक चुनौती के लिए तैयार है। मुंबई में प्रेम नगर इलाके की एक छोटी से चॉल में रहने वाले नदीम शेख के दोनों हाथ नहीं हैं लेकिन अपनी इस कमजोरी को उन्होंने कभी बैसाखी नहीं बनने दिया।
इस साल दूसरी बार हाईस्कूल की परीक्षा में बैठने वाले नदीम को पूरी उम्मीद है कि पिछले साल की तरह उन्हें इस बार हताश नहीं होना पड़ेगा। वह पैर से लिखते हैं। खास बात यह है कि पिछली साल की तरह उन्होंने इस बार भी सहायक लेने से साफ इन्कार कर दिया है। उनके अनुसार मेरी सोच को मुझसे बेहतर कोई नहीं लिख सकता। नदीम ने पिछले साल भी हाईस्कूल की परीक्षा पैर से लिखकर ही दी थी लेकिन साइकोलॉजी और फिलॉसफी के पेपर में फेल हो गए थे। जोगेश्र्र्वरी के इस्माइल युसूफ कॉलेज से परीक्षा दे रहे 19 वर्षीय नदीम आर्ट्स के क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहते हैं। छोटे से घर में वह अपनी तीन बहनों, दो भाई और विधवा मां के साथ रहते हैं।
नदीम की मां ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। वह बताते हैं कि पिछले साल मनमुताबिक परिणाम न आने पर काफी निराशा हुई थी लेकिन मां ने ही मेरा हौसला बढ़ाया। इस बार उन्होंने साइकोलॉजी और फिलॉसफी की जगह भूगोल और राजनीति विज्ञान विषय चुने हैं। राज्य बोर्ड के चेयरमेन लक्ष्मीकांत पांडेय के मुताबिक नदीम का साहस और संकल्प बाकी छात्रों के लिए मिसाल है। आमतौर पर बच्चे नकली प्लास्टर तक चढ़वा लेते हैं ताकि उन्हें सहायक मिल जाए लेकिन नदीम ने ऐसा नहीं किया।
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सरेआम लूट, चिप व रिमोट से कर रहे पेट्रोल की चोरी
पंजाब के मानसा जिले में पेट्रोल पंपों पर हाइटेक तरीके से तेल चोरी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह सेल्समैनों से साठ-गांठ कर पेट्रोल पंपों की मशीनों में अपना ‘ठग यंत्र’ [चिप] फिट कर देता है। फिर वाहन में तेल डालने के दौरान सेल्समैन रिमोट से तेल की मात्रा कम कर देता है, जबकि उपभोक्ता को रीडिंग पूरी दिखाई देती है। इसके बदले में गिरोह पेट्रोल पंपों से मोटी रकम वसूलता है।
पुलिस ने लंबे समय से यह गोरखधंधा चला रहे गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर चिप व अन्य सामान बरामद किया है। इनका जाल उत्तर प्रदेश, पंजाब और मुंबई से लेकर देश के अन्य हिस्सों तक फैला हुआ है। गुरुवार को पत्रकार वार्ता में एसएसपी नरिंद्र भार्गव ने बताया कि पंजाब में इस गिरोह द्वारा मानसा के अलावा लोहियां [जालंधर], पीरमुहम्मद [फिरोजपुर], बल्ला [अमृतसर] व श्री मुक्तसर साहिब आदि क्षेत्रों में पेट्रोल पंपों पर तेल चोरी चल रही थी। पुलिस इन पंपों को सील कर जांच कर रही है। पुलिस के शक के दायरे में तेल कंपनियों के अधिकारियों के अलावा कई पंप मालिक हैं। भार्गव ने बताया कि पुलिस ने विनोद पाल के बुढलाडा स्थित पेट्रोल पंप पर छापा मारा तो मशीन में यंत्र लगा पाया। इस दौरान विनोद फरार हो गया। वह पहले किसी पंप पर सेल्समैन था। बाद में इस यंत्र से ठगी कर उसने बुढलाडा में अपना पेट्रोल पंप लगाया और खूब पैसे कमाए।
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