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आजकल मोबाइल सबके कान पर हर वक्त चिपका रहता है। चाहे आम हो या खास। बच्चे हों या बड़े। कभी जरूरत की वजह से तो कभी फैशन की वजह से। भैया, जरा सी सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। चलो जी आपको हम बाराखंभा मेट्रो स्टेशन पर हुई एक दुर्घटना के जरिए सचेत करते हैं।
हुआ दरअसल यह कि एक महिला बाराखंभा मेट्रो स्टेशन पर मोबाइल पर बातें कर रही थीं। बात करने में इतना मशगूल थीं कि इन्हें पता ही नहीं चला कि कब प्लेटफॉर्म खत्म हो गया। पैर फिसला और धड़ाम से नीचे गिर पड़ीं। मेट्रो चालक द्वारा इन्हें बचाने की लाख कोशिश के बावजूद टक्कर लग गई। वह तो शुक्र है कि स्टेशन होने की वजह से मेट्रो की रफ्तार कम थी।
महिला को उपचार के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि स्टेशन होने की वजह से उस दौरान टेन की रफ्तार धीमी थी, लेकिन इमरजेंसी ब्रेक लगाने के बावजूद महिला को ट्रेन से टक्कर लग गई। महिला की पहचान कंचन के रूप में हुई है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त संजीव भाटिया ने बताया कि महिला के सिर और दाहिने पैर में गंभीर चोट आई है। उसके परिजनों को सूचना दे दी गई है। पुलिस को यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि वह कहां जाने के लिए बाराखंभा मेट्रो स्टेशन आई थी। मोबाइल के जरिए महिला की पहचान कर उसके परिजनों को सूचना दी गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार उसके परिजन दिल्ली से बाहर रहते हैं। पुलिस प्लेटफार्म पर लगे सीसीटीवी कैमरों को देखकर भी हादसे का पता लगा रही है।
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हड़ताल से देश को लगेगी 20 हजार करोड़ की चपत
देश के प्रमुख मजदूर संगठनों को मनाने की केंद्र सरकार की कोशिशें नाकाम रही और बुधवार से 11 ट्रेड यूनियन दो दिनों की देशव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल की वजह से देश में वित्तीय लेनदेन और सरकार के काम काज पर व्यापक असर पड़ने के आसार हैं। उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है कि दो दिनों की हड़ताल से अर्थंव्यवस्था को 15 से 20 हजार करोड़ रुपये की चपत लगेगी। यह देश में अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल मानी जा रही है क्योंकि इस हड़ताल में देश के 11 ट्रेड यूनियन शामिल हो रहे हैं और 2.5 करोड़ लोग इस हड़ताल का हिस्सा बनेंगे।
हालांकि केंद्र सरकार ने इस हड़ताल से निपटने के लिए अपने इंतजाम कर लिए हैं। सरकार ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वह सामान्य कामकाज प्रभावित होने की सूरत में एटीएम में पर्याप्त राशि रखें ताकि ग्राहकों को कुछ राहत मिले। सरकार की तरफ से मंगलवार को फिर बैंककर्मियों से यह आग्रह किया गया कि वे हड़ताल पर न जाएं। लेकिन सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों के साथ ही रिजर्व बैंक के कर्मचारियों के संगठन ने भी दो दिवसीय हड़ताल में शामिल होने की घोषणा कर दी है। इससे वित्तीय लेनदेन पर और ज्यादा असर पड़ने के आसार हैं। उधर बंगाल सरकार ने इस हड़ताल पर अपना कड़ा रुख अपनाते हुए हड़ताल में शामिल होने वालें सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि उनका वेतन काट लिया जाएगा।
एसोचैम ने कहा है कि यह हड़ताल उस समय हो रही है, जब अर्थंव्यवस्था पूरी तरह से मंदी की चपेट में है। मैन्यूफैक्चरिंग के साथ ही सर्विस क्षेत्र में भी गिरावट हो रही है। प्रस्तावित हड़ताल से बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा सहित औद्योगिक तौर पर देश के लिए महत्वपूर्ण समझे जाने वाले राज्यों में जनजीवन के प्रभावित होने का काफी बुरा असर होगा।
एसोचैम का कहना है कि इस तरह की बड़ी हड़ताल सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 30 से 40 फीसद हिस्से पर असर डालते हैं। इस हिसाब से उसने दो दिनों में 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही है। साथ ही समय पर आपूर्ति नहीं होने से कई रोजमर्रा और औद्योगिक चीजों की कीमतों में वृद्धि भी हो सकती है।
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अरुण जेटली फोन टेपिंग में आरोपी सिपाही के नवाबी ठाठ
भाजपा नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली के मोबाइल फोन का अनधिकृत सीडीआर निकलवाने के प्रयास में गिरफ्तार दिल्ली पुलिस का सिपाही बुलंदशहर के गांव अहमदानगर का रहने वाला है।
मंगलवार को गांव जाने पर पता चला कि डबास फोन टेपिंग के जरिए धन वसूली का धंधा करता था। उसका नेटवर्क नोएडा, देहरादून जैसे बड़े शहरों में फैला है, जिससे उसने अथाह संपत्ति अर्जित की है।
अरविंद डबास ने एसीपी (अतिरिक्त पुलिस आयुक्त) की ऑफिशियल मेल से भाजपा नेता के मोबाइल की कॉल डिटेल (सीडीआर) पाने के लिए मोबाइल कंपनी के पास आग्रह भेजा था। कंपनी ने एसीपी को फोन किया तो मामले का खुलासा हुआ। अरविंद नई दिल्ली केसंसद मार्ग थाने में तैनात था और डेढ़ साल से ड्यूटी से अनुपस्थित था। पुलिस पूछताछ में सिपाही के देहरादून के दो भाजपा नेताओं से संपर्क में होने की भी बात सामने आई है। गांव में पता चला है कि पुलिस की नौकरी के साथ वह नोएडा की एक आटोमोबाइल वर्कशाप का मैनेजिंग डायरेक्टर भी है। इसके अलावा कुछ दोस्तों के साथ उसने देहरादून में जमीन का कारोबार भी फैला रखा है। सूत्रों की मानें तो अरविंद डबास फोन टेपिंग के जरिए धन वसूली के धंधे में भी माहिर था और पुलिस की नौकरी मिलने के बाद उसने इसी रास्ते से अकूत संपत्ति पैदा की है।
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जालियावाला बाग कांड पर क्या कैमरन मांगेंगे माफी?
अपने एक पूर्वज के किए कृत्य का गुस्सा इंग्लैंड के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को अभी तक झेलना पड़ रहा है। ब्रिटिश जनरल डायर ने 94 साल पहले (13 अप्रैल, 1919 को) जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण सभा कर रहे देशभक्त भारतीयों पर गोली चलाने का हुक्म देकर करीब डेढ़ हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।
करीब एक सदी होने को है, लेकिन लोगों के दिल में इस नरसंहार की टीस आज भी उठती है। कैमरन बुधवार को अमृतसर आ रहे हैं। उनका शहीदी स्थल जलियांवाला बाग में जाने का भी कार्यक्रम है जहां पर वह 30 मिनट रहेंगे और अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। उनके साथ मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी होंगे। इस नृशंस हत्याकांड के बाद पिछले 94 सालों में यह पहला मौका है, जब ब्रिटेन का कोई प्रधानमंत्री इस शहीदी स्थल पर पहुंच रहा है। कैमरन के दिलो-दिमाग में पता नहीं क्या चल रहा है, लेकिन अमृतसर के बाशिंदों के मन में जनरल डायर के प्रति आज भी वही आक्रोश है। लोगों की यह प्रबल इच्छा है कि कैमरन जनरल डायर के कृत्य के लिए जलियांवाला बाग में खड़े होकर भारतीयों से माफी मांगें। गौरतलब है कि इससे पूर्व 1997 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ भी जलियांवाला बाग आई थीं, लेकिन उन्होंने नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी थी। अब डेविड कैमरन माफी मांगते है या नहीं, इस पर पूरे देश की निगाहें लगी हैं।
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