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संसद हमले के दोषी अफजल गुरू ने चार साल पहले लिखे एक पत्र में कहा था कि संसद पर 13 दिसंबर को हुए हमले को लेकर हमें शर्मिदा होनी की जरूरत नहीं है। लेकिन उसने स्पष्ट तौर पर इसकी जिम्मेदारी नहीं ली।
दिल्ली के तिहाड़ जेल में 9 फरवरी को फांसी पर लटकाए गए अफजल गुरू ने एक स्थानीय साप्ताहिक उर्दू अखबार को लिखे पत्र में हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाउद्दीन को संबोधित करते हुए कहा था कि 13 दिसंबर की घटना के लिए हमें शर्मिदा होने की जरूरत नहीं है और साथ उसने इस हमले को षड्यंत्र कहने पर भी आपत्ति जताई थी।
अखबार के संपादक शबनम कयूम ने कहा कि चार साल पहले उन्हें गुरू का यह पत्र और आलेख मिला था और वह इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यह पत्र उसी के द्वारा लिखा गया है। मुझे इसकी परवाह नहीं है कि लोग इसे सच मानें या न मानें। जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने इस पत्र को आज प्रकाशित करने के बजाय चार से पहले क्यों नहीं किया, तो उन्होंने कहा कि वह उस समय ऐसा करना उचित नहीं समझते थे। मुझे लगता था कि वह भावना में बह गया था। वह मामले में शामिल नहीं था, लेकिन उसे लगता कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं है, तो क्यों न इस इल्जाम को स्वीकार कर अपनी शहादत दे दें। मुझे उस समय ऐसा नहीं लगा कि पत्र को प्रकाशित करने का सही वक्त है। उस समय यह उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता था, लेकिन अब वह नहीं है तो इसके इस्तेमाल करने में कोई हर्ज नहीं है।
अफजल ने पत्र में लिखा है, मैं सलाउद्दीन से अनुरोध करता हूं कि वह 13 दिसंबर के हमले को षड्यंत्र न कहें। इससे मेरे दिल में दर्द होता है। हमला कश्मीर मुद्दे से संबंधित था। यदि हमला षड्यंत्र था तो पूरा संघर्ष एक षड्यंत्र है। हमें 13 दिसंबर की घटना से शर्मिदा नहीं होना चाहिए। उसने लिखा था कि जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, भारत में अशांति बनी रहेगी।
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गुजरात में कांग्रेस का सफाया करने में जुटे मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया चाहते हैं। सटीक रणनीति के माहिर मोदी ने विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेसी नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री नरहरी अमीन को भाजपा से जोड़ा।
गत दिवस सौराष्ट्र के कद्दावर नेता व विधायक विट्ठल रादडिया और उनके विधायक पुत्र को अपने पाले में किया। अब सांसद कुंवरजी बावलिया व कई अन्य नेता भाजपा का दामन थामने की तैयारी में हैं।
भावनगर से भाजपा विधायक विभावरी दवे ने विस में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा, मोदी के नेतृत्व में गुजरात को कांग्रेस मुक्त बनाना उनका लक्ष्य है। गत दिनों गांधीनगर के पास ही छारोड़ी के स्वामीनारायण गुरुकुल में भाजपा विधायकों की कार्यशाला में मोदी ने सांसद, विधायक व पार्टी के नेताओं को राजनीति के पाठ तो पढ़ाए ही, जनता के दिल में सीधे उतरने के गुर भी सिखाए।
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कोलकाता: सूयसेन बाजार में भीषण आग, 12 की मौत
कोलकाता के सूर्यसेन बाजार में बुधवार सुबह 4 बजे लगी आग में 12 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं। दमकल की 25 गाड़ियां आग पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि आग लगने का प्राथमिक कारण शॉर्ट शर्किट को बताया जा रहा है। खबर आ रही है कि इस मार्केट में अभी भी 50 लोग फंसे हुए हैं।
आग कागज के एक गोदाम में लगी और फिर चारों ओर फैल गई। सूर्यसेन बाजार सियालदह स्टेशन के नजदीक है। गोदाम में प्लास्टिक के सामान रखे हुए थे, जिससे आग फैलने की आशंका बढ़ जाती है।
सूत्रों के मुताबिक, आग बुझाने में मुश्किलें आ रही हैं। इस इलाके में लोगों का काफी आना जाना है। इस इलाके में प्रिंटिंग की कई दुकानें हैं। सूर्यसेन बाजार के नजदीक एक घनी बस्ती भी है। अधिकारियों का कहना है कि मरने वाली संख्या में इजाफा हो सकता है।
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धौनी ने खोला राज! बताया, ओझा क्यों नहीं खेले पहला टेस्ट
ऑस्ट्रेलिया को पहले टेस्ट मुकाबले में 8 विकेट से हराने के बाद टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने इस राज का खुलासा किया है कि आखिर उन्होंने क्यों रवींद्र जडेजा को अंतिम एकादश में जगह दी और प्रज्ञान ओझा को आराम करने दिया। मैच समाप्ति के बाद जब धौनी से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि जडेजा एक अच्छे ऑलराउंडर हैं।
उन्होंने कहा कि जडेजा में एक अच्छी बात यह भी है कि वे बल्लेबाजी भी अच्छी कर लेते हैं और टीम में तीसरे स्पिनर की भूमिका भी बखूबी निभाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि ओझा भी एक अच्छे गेंदबाज हैं, लेकिन बल्लेबाजी में जडेजा उनसे आगे हैं और टीम में पहले ही दो स्पिनर आर. अश्विन और हरभजन सिंह थे, इसलिए जडेजा को ज्यादा महत्व दिया गया। गौरतलब है कि प्रज्ञान ओझा ने पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 20 विकेट हासिल किए थे।
जब धौनी से पूछा गया कि अंतिम एकादश में दो ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह और आर. अश्विन के चयन के पीछे क्या तर्क था, तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम में टॉप 6 बल्लेबाजों में से 4 बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इन दोनों को अंतिम एकादश में शामिल किया गया। बाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए ये मुश्किलें पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
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