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गीत : मन मंदिर में पूजा हो

कड़वा सच ......
कड़वा सच ......
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जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

तन्हाई की कब्रों में अब,

दफ़्न हुए सारे अरमां !

दम निकले उसकी बाँहों में,

घर में जिसके पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

पंकज पथिक प्रेम का मारा,

अथाह नीर में कुम्हलाया !

नैवेद्य- पात्र में उसे सजा लो,

जब भी कोई पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

अस्तित्व हीन पंकज पूजा बिन,

पंकज बिन सूनी पूजा !

खो जाओ एक दूजे में तुम,

जहाँ भी पावन पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

कीचड़ का वो रहने वाला,

तूं देवों की है दासी !

एक राह के दोनों राही,

तुम दोनों ही पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

प्रेम राग हर दिशि में गूंजे,

हो जाये जग मतवाला !

“अंकुर” की बस अर्ज़ यही है,

घर-घर प्रेम की पूजा हो !

जीवन के धुंधले दर्पण में , पास न कोई दूजा हो !

मिल जाएँ सारी खुशियाँ जब, मन मंदिर में पूजा हो !!

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