kaduvi-batain
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रचना काल–१५ मई २००८
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मैं भारत का आम आदमी, अपनी बात कह सकता हूँ|
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भ्रष्ट व्यवस्था पर न बोलूं
मैं ऐसा इंसान नहीं,
भारत माँ का अपना बेटा,
मैं कोई मेहमान नहीं,
दौड़ रहा है खून रगों मैं,
मै कोई बेजान नहीं,
मुंह पर काला कपडा बांधे,
मौन नहीं रह सकता हूँ|
मैं भारत का आम आदमी………….
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हमने जिनको चुनकर भेजा,
भारत माँ की रक्षा को,
भूल गए वो कपूत सब,
अपनी नैतिक शिक्षा को,
कब तक पाले रहें हम,
इन आस्तीन के साँपों को,
अजगर जैसी विषधर का भी,
मैं सर कुचल सकता हूँ,
मैं भारत का आम आदमी…
हे माँ मुझको शक्ति दे दो,
इन गद्दारों से लड़ने की,
सत्यपथ पे कर्त्तव्य राह मैं,
हरदम आगे बड़ने की,
लाहौर कराची जैसी लंका,
पल भर मैं विध्वंस करूँ,
आतंकी चेहरों का सफाया,
चुटकी मैं कर सकता हूँ,
मैं भारत का आम आदमी…….
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