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चोरी और सीना जोरी

kaduvi-batain
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भारत सरकार ने १९९३ से २०११ के दौरान २०६ कोल ब्लाक्स मुफ्त मैं सरकारी व निजी कंपनियों को आवंटित किये| अपनी ताज़ा रिपोर्ट मैं कैग (CAG ) ने स्पष्ट किया है की सरकार की नि:शुल्क कोल ब्लाक्स आवंटन नीति के कारण देश को १.८६ लाख करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ है| २०६ में से १६५ ब्लाक्स २००४ से २०११ के बीच आवंटित किये गए और ये कार्यकाल congress (UPA ) सरकार का है| २००६ से २००९ के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के कोयला मंत्री थे और इस कार्यकाल में १३४ कोल ब्लाक्स आवंटित किये गए| सरकार ने ६२८२५ मिलियन टन कोयला मुफ्त में दिया जिसे एक निश्चित रकम पर बेचा जा सकता था| वित्त मंत्री चिदंबरम का कहना है की जिन कंपनियों को कोल ब्लाक्स आवंटित किये गए उन्होंने खनन शुरू ही नहीं किया अत: कोई नुक्सान हुआ ही नहीं| ये कितना हास्यास्पद एवं मूर्खतापूर्ण बयान है| ये तो वही बात हुयी की में अपना खेत किसी को मुफ्त में जोतने को दूं और चूँकि वो उसे बेच नहीं सकता अत: मुझे कोई नुक्सान नहीं है|
गृह मंत्री शिंदे कितनी निर्लज्जता से कहते हैं की इस घोटाले को भी जनता धीरे धीरे भूल जायेगी| क्यूंकि उनको पता है की जनता बरसों से अंधी और लाचार बैठी है| इस निर्लज्ज सरकार और उसके कारिंदों की करतूतें आप स्वयं ही देखिये…एक तो चोरी और ऊपर से सीना जोरी|
इन सब से ध्यान हटाने की लिए FDI का शिगूफा छोड़ दिया|
ममता जी के निर्णय को सभी एक धमकी की तरह ही ले रहे थे, किन्तु जो साहस उन्होंने दिखाया भले ही राजनीतिक हो सम्मान के योग्य है|
कोयला खनन की तरह इस सरकार का खनन आवश्यक है…और शायद ये प्रक्रिया शुरू हो चुकी हो….

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